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    'लोगों को तुरंत न्याय मिले, यही कानून का मूल उद्देश्य', लोकसभा स्पीकर ओम बिरला बोले- तय हो कार्यपालिका की जवाबदेही

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 07:56 PM (IST)

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अस्पष्ट कानून से न्यायपालिका का हस्तक्षेप बढ़ता है। उन्होंने विधानसभाओं और संसद में कानून का मूल ड्राफ्ट स्पष्ट रखने पर जोर दिया। चंडीगढ़ में विधायी प्रारूपण पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट सरल और पारदर्शी कानून को लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण बताया। उनका कहना था कि विधायी मसौदा नागरिकों के कल्याण और राज्य के विकास के लिए प्रभावी होना चाहिए।

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    कानून का प्रारूप अस्पष्ट होने पर बढ़ जाती न्यायपालिका के हस्तक्षेप की संभावना: ओम बिरला

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कानून का प्रारूप अस्पष्ट होने पर न्यायपालिका के हस्तक्षेप की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए विधानसभाओं और संसद में कानून का मूल ड्राफ्ट बनाते समय कभी ग्रे एरिया (अपरिभाषित क्षेत्र) नहीं छोड़ना चाहिए।

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    कार्यपालिका की जवाबदेही तय हो और लोगों को त्वरित न्याय मिले, यही कानून का मूल उद्देश्य हो। विधायी प्रारूपण बिल्कुल स्पष्ट और निश्चित होना चाहिए। तभी अच्छा कानून बनेगा।

    लोकसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में हरियाणा विधानसभा और संविधान एवं संसदीय अध्ययन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विधायी प्रारूपण पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए यह बात कही।

    उन्होंने कहा कि स्पष्ट, सरल और पारदर्शी कानून ही लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाते हैं। समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुरूप कानूनों में संशोधन और नए कानूनों का निर्माण आवश्यक है। हमारा प्रयास है कि आने वाले समय में ऐसे विधायी मसौदे तैयार कर सकें, जो नागरिकों के कल्याण और राज्य के विकास के लिए अधिक प्रभावी साबित हों।

    बिरला ने कहा कि भारत का संविधान आज भी हम सभी के लिए एक सशक्त मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहा है। इसके निर्माण की प्रक्रिया एक लंबी चर्चा, विस्तृत संवाद और सहमति-असहमति के दौर से गुज़री। हर विषय पर गहन बहस हुई, लेकिन अंततः सर्वसम्मति से वह संविधान बना, जो उस समय की परिस्थितियों के अनुरूप था।

    संविधान ने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की स्पष्ट शक्तियां निर्धारित की हैं और इन्हीं सीमाओं में रहकर संसद एवं विधानसभाएं जनता की आकांक्षाओं को कानूनी स्वरूप देती हैं। कभी विधायी विभागों में अनुभवी विशेषज्ञ बड़ी संख्या में कार्यरत थे। समय के साथ वे सेवानिवृत्त होते गए और धीरे-धीरे विधायी मसौदा तैयार करने वाले विशेषज्ञों की कमी महसूस होने लगी।

    उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य की विधानसभाएं और राज्य सरकारें नियमित रूप से विधायी ड्राफ्टिंग से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें। इसका उद्देश्य यह है कि जिन अनुभवी विशेषज्ञों ने अनेक महत्वपूर्ण कानूनों के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई है, उनके अनुभव का लाभ नई पीढ़ी तक पहुंच सके।

    इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष यूटी खादर फरीद, हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष डा. कृष्ण लाल मिढा और लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी अपनी बात रखी।

    विधानसभाओं में व्यापक चर्चा हो

    लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि अच्छा लोकतंत्र वही है, जहां विधानसभाओं में व्यापक चर्चा, संवाद, सहमति और असहमति के बावजूद अंतिम उद्देश्य लोक कल्याण हो। हरियाणा विधानसभा द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण शिविर इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे आने वाले समय में और बेहतर, जनकल्याणकारी एवं समयानुकूल कानून बनाए जा सकेंगे। यदि विधायी ड्राफ्टिंग अच्छी होगी तो विचारधारा के आधार पर सहमति–असहमति हो सकती है, लेकिन कानून की भाषा पर आपत्ति नहीं होगी।

    अमित शाह ने की थी शुरुआत

    यह कार्यक्रम गृह मंत्रालय के तत्वावधान में चल रहे राष्ट्रीय विधायी प्रारूपण कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2023 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई थी। इससे पहले गांधीनगर, लखनऊ, शिमला, रांची, जबलपुर और पटना जैसे शहरों में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। 

    दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में हरियाणा विधानसभा और हरियाणा सरकार के लगभग 400 अधिकारी और कर्मचारी शामिल होंगे, जिन्हें विशेषज्ञ वक्ता विधायी प्रारूपण, संवैधानिक मूल्यों, सटीक कानूनी भाषा के महत्व और निर्वाचन के नियमों पर मार्गदर्शन देंगे।