हरियाणा: 21 साल की कानूनी लड़ाई जीते चार HCS अधिकारी, अब नियुक्ति का रास्ता साफ; ये लाभ भी मिलेंगे
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 21 साल पहले चयनित एचसीएस अधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिन्हें नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था। अदालत ने नियुक्ति न देने के सभी आधारों को अवैध ठहराया। इस फैसले से शक्ति सिंह, कुलदीप मलिक, सुभाष तायल और दीपक कुमार की नियुक्ति का रास्ता खुल गया है, और उन्हें वरिष्ठता तथा सेवा लाभ मिलेंगे।

हरियाणा: 21 साल की कानूनी लड़ाई जीते चार HCS अधिकारी। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) के 21 साल पहले चयनित उम्मीदवार शक्ति सिंह, कुलदीप मलिक, सुभाष तायल और दीपक कुमार के पक्ष में फैसला सुनाकर लंबे समय से चला आ रहा एक न्यायिक गतिरोध खत्म कर दिया है।
शक्ति सिंह समेत इन सभी अधिकारियों को एचसीएस कार्यकारी शाखा में चयनित होने के बावजूद नियुक्तियां देने से इन्कार कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने नियुक्ति नहीं देने संबंधी समस्त आधार को अमान्य करार दिया।
इस फैसले से शक्ति सिंह, कुलदीप मलिक, दीपक कुमार और सुभाष तायल की नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है, जिसमें उन्हे सांकेतिक वरिष्ठता और परिणामी सेवा लाभ भी मिलेंगे।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शक्ति सिंह समेत इन चारों अधिकारियों से पहले एचसीएस कार्यकारी शाखा के 21 साल पहले ही चयनित उम्मीदवार सुरेंद्र लाठर के पक्ष में भी इसी तरह का फैसला सुनाया था।
अब इन सभी अधिकारियों को पुरानी तारीख से नियुक्ति के साथ सांकेतिक वरिष्ठता और परिणामी सेवा लाभ प्राप्त होंगे। हाई कोर्ट ने कहा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित और नियुक्ति के लिए सिफारिश के बाद भी राज्य सरकार द्वारा उम्मीदवारों को दागी मानकर नियुक्ति नहीं देने का आधार अमान्य है।
शक्ति सिंह समेत यह सभी एचसीएस अधिकारी हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा 24 जनवरी 2004 के विज्ञापन संख्या 12 के अनुसार आयोजित एचसीएस (कार्यकारी शाखा) परीक्षा में शामिल हुए थे। आयोग ने उन्हें विधिवत रूप से चयनित किया और नियुक्ति के लिए औपचारिक रूप से उनकी सिफारिश की।
2004 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया रुक गई। सरकार बदलने के बाद मामला राज्य सतर्कता ब्यूरो के पास जांच के लिए भेज दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप और देरी हुई।
तब शक्ति सिंह समेत पांचों एचसीएस अधिकारियों ने तत्कालीन मुख्य सचिव के विरुद्ध पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। न्यायालय के निर्देश पर सतर्कता ब्यूरो ने नौ नवंबर 2011 को एक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कुछ अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इस आधार पर राज्य ने एक बार फिर चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति रोक दी।
बाद में पता चला कि फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला करनाल की 18 जुलाई 2011 की जांच रिपोर्ट में कथित अनियमितताओं को पहले ही दोषमुक्त कर दिया गया है। इसके बाद फिर अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट की शरण ली। लंबी सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि हरियाणा लोक सेवा आयोग ने याचिकाकर्ताओं के चयन को कभी किसी नियम के उल्लंघन के लिए चुनौती नहीं दी।
उसी चयन प्रक्रिया से अन्य सभी उम्मीदवारों की नियुक्तियां हो चुकी थी, जिनकी संख्या 28 के आसपास है। इसी आधार पर शक्ति सिंह समेत चारों अधिकारियों की एचसीएस (कार्यकारी शाखा) में नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर दिया। शक्ति सिंह 2004 से हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कार्यरत हैं और वर्तमान में क्षेत्रीय अधिकारी के पद पर सेवाएं दे रहे हैं।

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