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    एचएसवीपी घोटाला में हरियाणा के पूर्व MLA रामनिवास गिरफ्तार, 68 करोड़ रुपये अवैध रूप से किए ट्रांसफर

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 02:59 PM (IST)

    पंचकूला में एचएसवीपी घोटाले में पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा को गिरफ्तार किया गया है। राज्य सतर्कता ब्यूरो ने 68 करोड़ रुपये से अधिक के गबन के मामले में यह कार्रवाई की है। रामनिवास को प्रोडक्शन वारंट पर पेश कर एक दिन की रिमांड पर लिया गया है। आरोप है कि उन्होंने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर एचएसवीपी के खातों से करोड़ों रुपये का गबन किया।

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    एचएसवीपी घोटाला में हरियाणा के पूर्व MLA रामनिवास गिरफ्तार (जागरण फोटो)

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, पंचकूला की टीम ने 68 करोड़ रुपये से अधिक के गबन मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व विधायक और पूर्व लेखा सहायक रामनिवास सुरजाखेड़ा को गिरफ्तार किया है।

    ब्यूरो ने आरोपित को प्रोडक्शन वारंट पर पेश कर न्यायालय से एक दिन का पुलिस रिमांड हासिल किया है।

    सेवानिवृत्ति से पहले बंद करवा दिया खाता

    आरोपित सुनील बंसल ने अपने रिटायरमेंट से एक दिन पहले, 27 फरवरी 2019 को फर्जी खाता बंद करवा दिया। ब्यूरो की जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि आरोपितों ने एचएसवीपी के अन्य 10 बैंक खातों से भी करोड़ों रुपये ट्रांसफर कर गबन किया।

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    गौरतलब है कि रामनिवास ने 6 दिसंबर 2017 को ही सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था और बाद चुनाव लड़ा और विधायक बन गए थे। ब्यूरो ने फरार आरोपित संजीव बिंदल और कुलबीर सिंह के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है।

    दोनों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। बता दें कि यह मामला 7 मार्च, 2023 को पंचकूला के सेक्टर-7 पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज की गई एफआइआर से जुड़ा है।

    एचएसवीपी मुख्यालय में मुख्य लेखा अधिकारी और डीडीओ चमन लाल द्वारा दर्ज की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2015 से 2019 के बीच, एक फर्जी बैंक खाते का इस्तेमाल 70 करोड़ रुपए के संदिग्ध डेबिट लेनदेन करने के लिए किया गया था।

    68 करोड़ रुपये अवैध रूप से ट्रांसफर

    जांच से पता चला कि 2 जनवरी 2018 से 10 सितंबर 2018 तक एचएसवीपी के दो खातों से कुल 68.71 करोड़ रुपये अवैध रूप से उक्त फर्जी खाते में ट्रांसफर किए गए।

    इसके बाद रामनिवास, सुनील बंसल और प्राइवेट व्यक्ति संजीव बिंदल ने इस राशि को 85 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किया। ये खाते कथित रूप से जमीन अधिग्रहण मुआवजा धारकों के नाम पर थे, जबकि वास्तविकता में एचएसवीपी ने ऐसी कोई जमीन अधिग्रहित ही नहीं की थी।