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Agriculture Laws: कृषि कानूनों पर शऱद पवार के बाद हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा कठघरे में

Agriculture Laws केंद्र के कृषि कानूनों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के बाद अब हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी आ गए हैं। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हुड्डा के नेतृत्व वाले मुख्यमंत्रियों के समूह ने 10 पहले मंडी कानून में बदलाव की सिफारिश की थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 05:31 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 08:43 AM (IST)
Agriculture Laws: कृषि कानूनों पर शऱद पवार के बाद हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा कठघरे में
हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। Agriculture Laws: केंद्र सरकार के तीन कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के बाद अब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा घिरते नजर आ रहे हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री स. मनमोहन सिंह की सरकार में हुड्डा मुख्यमंत्रियों की उस समिति के अध्यक्ष थे, जिसने 15 दिसंबर 2010 को केंद्र सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कृषि कानूनों में सुधार की जरूरत बताते हुए उन्हें तत्काल लागू करने की बात कही थी।

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हुड्डा के नेतृत्व वाले मुख्यमंत्रियों के समूह ने दस साल पहले की थी मंडी कानून में बदलाव की सिफारिश

 भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली मुख्यमंत्रियों की इस समिति ने किसानों को फसल बेचने में होने वाली दिक्कतों का जिक्र करते हुए मंडी कानून में बदलाव का सुझाव दिया था। हुड्डा समिति ने केंद्र की मनमोहन सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बाजार ऐसे होने चाहिए, जहां किसान अपनी फसल को सीधे और आसानी से ग्राहकों तक बेच सकें। केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को इन तीन कृषि कानूनों में अपनी फसल कहीं भी खुले बाजार में बेचने की आजादी दी है। अब वह इन कृषि कानूनों का खुलकर विरोध कर रहे हैं।

सीएम मनोहर ने उठाए हुड्डा के बदले स्टैंड पर सवाल, हुड्डा बोल- हमने अपनी सरकार में किए बड़े बदलाव

इतना ही नहीं, हुड्डा का नजरिया भी अब बदल गया है। विधानसभा में उन्होंने खुलकर कहा था कि केंद्र सरकार भले ही तीनों कृषि कानून लागू रखे, लेकिन उसे एमएसपरी (फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी देने वाला चौथा कानून बना देना चाहिए। इससे किसान व विपक्ष मान जाएंगे। हुड्डा ने दो दिन पहले दिल्ली में जो प्रेस कान्फ्रेंस की है, उसमें वह इन तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग करते हुए नजर आ रहे हैं, जिससे लग रहा कि पूरा आंदोलन राजनीति की भेंट चढ़ चुका है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हुड्डा के इस स्टैंड पर सवाल उठाए हैं।

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किसान समझें मोदी उनका अहित क्यों होने देंगे: मनोहरलाल

किसानों को यह समझने की जरूरत है कि उनकी आय डबल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के अहित कैसे होने देंगे। भाजपा हमेशा से ही किसानों के हितों की पक्षधर रही है। जिन कुछ मुद्दों पर किसानों को असमंजस है, उन्हें सरकार चर्चा के बाद दूर कर रही है। अच्छी बात यह है कि इस आंदोलन में हरियाणा के किसान नहीं हैं, क्योंकि वह जान रहे हैं कि इन कानूनों का उन्हें फायदा है और उनका राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है। यह आंदोलन राजनीतिक बन गया है। उन्हें कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का टूल बनने से बचना होगा।

                                                                                            - मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा।

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प्राइवेट मंडियों को बढ़ावा दे रही भाजपा सरकार: हुड्डा

'' किसानों को एमएसपी का संरक्षण ज़रूरी है। सरकारी मंडियों का विस्तार होने से ऐसा होगा। मौजूदा सरकार प्राइवेट मंडियों को बढ़ावा दे रही है। कांट्रेक्ट फार्मिंग क़ानून किसानों के हित में नहीं है। इसमें न एमएसपी का ज़िक्र है और न कोर्ट जाने का अधिकार। हमारी सरकार ने अगस्त 2007 में नियम बनाया था, जिसमें था कि एमएसपी से कम पर कोई कांट्रेक्ट नहीं होगा। मेरे नेतृत्व वाले मुख्यमंत्रियों के समूह ने किसानों के सशक्तीकरण के लिए क्रांतिकारी सिफारिशें की थी। फसली ऋण का ब्याज 12 प्रतिशत से कम कर चार प्रतिशत किया। हरियाणा में कांग्रेस ने इसे शून्य कर दिया। यूपीए सरकार में एमएसपी में सालाना 13 से 14 प्रतिशत बढ़ोतरी होती थी, जबकि भाजपा में यह चार से पांच प्रतिशत है।

                                                                                         - भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व सीएम, हरियाणा।

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