गोवा अग्निकांड के बाद हरियाणा में सख्ती, नाइट क्लबों का होगा फायर सेफ्टी ऑडिट; संचालकों को अब करना होगा यह काम
हरियाणा के सभी नाइट क्लबों में फायर सेफ्टी आडिट कराया जाएगा। संचालकों को फायर-प्रूफ होने की गारंटी देनी होगी। गोवा अग्निकांड के बाद डीजीपी ओपी सिंह ने ...और पढ़ें
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गोवा अग्निकांड के बाद हरियाणा में सख्ती। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सभी नाइट क्लबों में फायर सेफ्टी आडिट कराया जाएगा। सभी संचालकों को लिखित में गारंटी देनी होगी कि उनका नाइट क्लब पूरी तरह से फायर-प्रूफ है। साथ ही ऐसे हादसों से बचने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार की जाएगी।
गोवा के अरपोरा स्थित बिर्च बाय रोमियो लेन नाइट क्लब में शनिवार रात को हुए भयंकर अग्निकांड में 25 लोगों की मौत हो गई थी।
इसे देखते हुए हरियाणा में भी सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा के लिए पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने सभी आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया है कि उनके क्षेत्र में जहां कहीं भी नाइट क्लब हैं, वहां फायर सेफ्टी आडिट कराया जाए। नाइट क्लब संचालकों को गारंटी देने के लिए भी कहें।
सिविल प्रशासन से ताल-मेल कर देखें कि दमकल गाड़ियां एवं अस्पताल ऐसी चुनौतियों के लिए क्या पूरी तरह से तैयार हैं।
वहीं, फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में हाईवे पर थार सवार दो युवकों द्वारा पैर से स्टीयरिंग थामने को सनकी दिमाग की सोच करार देते हुए पुलिस महानिदेशक ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा है कि ऐसे ही लोगों की वजह से हजारों लोग एक्सीडेंट में मरते हैं।
फरीदाबाद पुलिस को कहा गया है कि चालान काफी नहीं है। इनके खिलाफ खतरनाक ड्राइविंग का मुकदमा दर्ज करें तथा इनका ड्राइविंग लाइसेंस कैंसिल करें। सड़कों पर स्टंट करने वाले सभी वाहन चालकों के खिलाफ खतरनाक ड्राइविंग का मामला दर्ज कर उनके लाइसेंस निरस्त कराए जाएंगे।
आनलाइन धोखाधड़ी से बचाएगा पीवीआर
पुलिस महानिदेशक ने आनलाइन धोखाधड़ी और डिजिटल स्कैम से बचने के लिए नया फार्मूला पीवीआरदिया है। पाज यानी रुकिये। वेरिफाई यानी जांचिये और रिपोर्ट यानी 1930 पर रिपोर्ट करें। तीन-स्टैप के हथियार को लेकर डीजीपी कहते हैं कि आज के स्कैमर्स तकनीक से ज्यादा मानव भावनाओं को हैक करते हैं।
हर धोखाधड़ी अक्सर छह ट्रिगर्स डर, जल्दबाजी, भरोसा, जिज्ञासा, लालच और लापरवाही पर खेलती है। स्कैमर आपकी घबराहट पर निर्भर करता है। दो सेकंड रुक जाएं तो उनका खेल खत्म। नंबर, लिंक और मैसेज की असलियत चेक करें। कोई असली संस्था आपसे भाग-दौड़ में जानकारी नहीं मांगती। अगर जरा भी शक हो तो तुरंत 1930 पर काल करें।
हम मिनटों में पैसे फ्रीज करा सकते हैं। पीवीआर माडल को तीन सिनेमाई लाइनों से जोड़ते हुए डीजीपी कहते हैं कि पाज यानि “जिसका मुझे था इंतज़ार”…, वेरिफाई यानी “कौन है वो, बोलो बोलो कौन है…” और रिपोर्ट “1930 –चक दे इंडिया!” अगर गाना याद रह जाए तो सुरक्षा भी याद रह जाएगी।”
हरियाणा में 24×7 1930 साइबर हेल्पलाइन, जिला-स्तर पर साइबर पुलिस स्टेशन, विशेष फारेंसिक टीमें और एफआइआर के बिना रिफंड सिस्टम जैसी सुविधाएं नागरिकों को तुरंत सहायता देने के लिए तैयार हैं। पीवीआर ही आपकी डिजिटल ढाल है।

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