राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सीनियर आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका को बड़ी राहत दी है। हरियाणा सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल कार्यालय ने हाई कोर्ट में जानकारी दी कि करनाल के मंडलायुक्त एवं राज्य भंडारण निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक संजीव वर्मा की शिकायत पर पंचकूला पुलिस ने डा. अशोक खेमका के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं में जो एफआइआर दर्ज की है, पंचकूला पुलिस ने उसकी पूर्व अनुमति राज्य सरकार से हासिल नहीं की। हरियाणा सरकार के इस बयान के आधार पर अब अशोक खेमका के विरुद्ध दर्ज एफआइआर रद होगी।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि यदि प्रदेश सरकार भविष्य में अशोक खेमका के खिलाफ एफआइआर की अनुमति देती भी है तो उसे कम से कम दस दिन पहले अशोक खेमका को सूचना देनी होगी।
हाईिकोर्ट ने इस केस में याचिका का निपटारा कर दिया है। बता दें कि अशोक खेमका की ओर से भी आइएएस अधिकारी संजीव वर्मा व रवींद्र कुमार के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी, जो बरकरार रहेगी। यानी खेमका को राहत के साथ ही संजीव वर्मा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन में नियुक्तियों में कथित गोलमाल के आरोप में तत्कालीन प्रबंधक निदेशक संजीव वर्मा ने अशोक खेमका के विरुद्ध पंचकूला के सेक्टर पांच थाने में एफआइआर दर्ज करने की सिफारिश की थी, जिसके आधार पर पुलिस ने 26 अप्रैल को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया था।
नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं का यह मामला उस समय का था, जब अशोक खेमका हरियाणा राज्य भंडारण निगम के प्रबंध निदेशक थे। खेमका ने पुलिस की इस कार्रवाई को यह कहते हुए अदालत में चुनौती दी थी, चूंकि वह प्रथम श्रेणी आइएएस अधिकारी हैं, इसलिए एफआइआर से पहले पुलिस ने राज्य सरकार से अनुमति हासिल नहीं की है। इस एफआइआर के बाद अशोक खेमका ने भी संजीव वर्मा के खिलाफ क्रास एफआइआर दर्ज कराई थी, जिसमें गृह मंत्री अनिल विज उनके साथ थाने में गए थे।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में मंगलवार को एडवोकेट जनरल कार्यालय की ओर से कहा गया कि अभी तक हरियाणा सरकार ने अशोक खेमका के खिलाफ दर्ज मामले में न तो अभियोजन चलाने की इजाजत दी और न ही एफआइआर की पूर्व अनुमति ली गई थी।
सरकार के इस जवाब पर कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अगर भविष्य में सरकार खेमका के खिलाफ अभियोजन चलाने की इजाजत देती है तो उन्हें दस दिन पूर्व का नोटिस दिया जाए, ताकि वह अपने पक्ष में कानूनी अधिकार का प्रयोग कर सकें। खेमका ने हाई कोर्ट में दलील थी कि एक लोक सेवक के खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले सरकार से मंजूरी लेनी जरूरी है। खेमका ने कहा कि उनके खिलाफ यह एफआइआर रंजिश में करवाई गई है।
FIR के बाद बैक डेट में मंजूरी देने से सरकार ने कर दिया था मना
सूत्रों के अनुसार पंचकूला पुलिस ने हरियाणा सरकार से इस मामले में 26 अप्रैल को दर्ज एफआइआर की तारीख से पूर्व की तिथि में खेमका के खिलाफ मामला दर्ज करने की इजाजत देने का आग्रह किया। लेकिन सरकार ने डीजीपी व पंचकूला पुलिस को संदेश भेज कर यह इजाजत देने से इन्कार कर दिया था।
सरकार ने हरियाणा के एडवोकेट जनरल द्वारा एक मामले में पहले दी गई कानूनी राय के आधार पर यह निर्णय लिया। सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर 2019 को यशवंत सिन्हा बनाम सीबीआइ में अपने फैसले में साफ कहा था कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने से पूर्व राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।