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    हरियाणा: खाद विक्रेताओं को रोजाना दुकान के बाहर देनी होगी ये जानकारी, कालाबाजारी पर लगेगी रोक

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 08:14 PM (IST)

    हरियाणा में रबी फसल की बुवाई के दौरान कई जिलों में डीएपी और यूरिया की कमी हो रही है। मुख्य सचिव ने खाद वितरण में पारदर्शिता लाने के निर्देश दिए हैं। किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा या पटवारी से सत्यापित कॉपी दिखानी होगी। कृषि विभाग किसानों को डीएपी के विकल्प के बारे में जागरूक करेगा।

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    खाद विक्रेताओं को रोजाना देनी होगी स्टॉक की जानकारी। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली/पंचकूला। हरियाणा में रबी की फसल की बुवाई आरंभ हो चुकी है। बीज के साथ खाद की भी जरूरत है। कई जिलों में किसानों को समय से डीएपी (डाई ओमनियम फास्फेट) तथा यूरिया नहीं मिल रहा है। किसान खाद लेने के लिए कृषि रक्षा इकाई तथा लाइसेंस युक्त दुकानों में आते और शाम को बैरंग लौट जाते हैं।

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    इस तरह की शिकायतें आने के बाद व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश देकर वितरण प्रणाली पर सख्त निगरानी रखने को कहा है। रेवाड़ी, भिवानी, नारनौल, पलवल तथा सोनीपत, फतेहाबाद तथा जींद से सबसे अधिक शिकायतें सामने आ रही हैं।

    समस्या और भी जिलों में हैं। खाद विक्रेताओं का कहना है कि डीएपी तथा यूरिया की उपलब्धता खपत के मुकाबले आधी भी नहीं हैं। किसानों का आरोप है कि वितरण में मनमानी की जा रही है। मुख्य सचिव की ओर ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि खाद विक्रेता को किसानों को मोबाइल पर वितरण तिथि की जानकारी देनी भी जरूरी है।

    मुख्य सचिव ने कहा कि खाद विक्रेताओं को ओपनिंग और क्लोजिंग बैलेंस की जानकारी प्रतिदिन दुकान के बाहर चस्पा करनी होगी। इसका ब्योरा भी कृषि अधिकारी के माध्यम से एसडीएम तथा उपायुक्त को भेजा जाएगा। सूचना भी ऐसी जगह लगाई जाए कि दूर से किसानों को नजर आए। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण कराने वाले किसानों को ही फोटो कापी देखने के बाद खाद दी जाएगी।

    यदि किसी कारण से किसान ने पंजीकरण नहीं कराया तो उसे पटवारी की ओर से सत्यापित कापी देनी होगी। बाक्स कृषि विभाग करे किसानों को जागरूक मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि कृषि विभाग किसानों को डीएपी के विकल्प के बारे में जागरूक करे।

    उन्हें बताया जाए कि डीएपी की जगह एनपीके नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम या फिर सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) का प्रयोग करें। जो बेहतर भी है और डीएपी के मुकाबले दाम भी कम है। डीएपी में नाइट्रोजन 18 प्रतिशत और 46 प्रतिशत फास्फोरस पाया जाता है। एसएसपी में फास्फोरस, सल्फर और कैल्शियम पाया जाता है। फसल को कैल्शियम की भी जरूरत होती है।