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    दिल्ली कूच के बाद अब हरियाणा विधानसभा घेरेंगे किसान

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Wed, 28 Feb 2018 11:14 AM (IST)

    हरियाणा के किसान संगठनों ने अपने आंदोलन के अगले चरण की घोषणा कर दी गई है। राष्ट्रीय किसान महासंघ की कोर कमेटी ने 6 मार्च को हरियाणा विधानसभा के घेराव का एेलान किया है।

    दिल्ली कूच के बाद अब हरियाणा विधानसभा घेरेंगे किसान

    जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के किसान संगठनों ने कर्ज माफ कराने और फसल लागत का डेढ़ गुना देने संबंधी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू कराने के लिए आंदोलन के अगले चरण की घोषणा कर दी गई है। दिल्ली कूच के बाद राष्ट्रीय किसान महासंघ की कोर कमेटी ने 6 मार्च को हरियाणा विधानसभा के घेराव का एलान किया है। किसान आज चंडीगढ़ कूच के लिए यमुनानगर के रादौर से पदयात्रा शुरू करेंगे।

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    उल्लेखनीय है कि दिल्ली कूच के दौरान रादौर में ही किसानों पर लाठीचार्ज किया गया था। वहीं राज्य भर में किसानों नेताओं की धरपकड़ हुई। उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे तक दर्ज किए गए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला ने किसानों पर लाठीचार्ज की आलोचना करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया था।

    राष्ट्रीय किसान महासंघ की सात सदस्यीय कोर कमेटी के नेता गुरनाम सिंह चढूनी के अनुसार सरकार ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में किए वादे को पूरा करने की बजाय आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसाई और उन पर मुकदमे दर्ज करा दिए। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली में कार्यकर्ता बिना हेलमेट गए, लेकिन किसानों को नियमों का हवाला देकर तंग किया गया। चढूनी के अनुसार हमारा संघर्ष यहीं खत्म नहीं होगा।

    भाकियू नेता राकेश बैैंस के अनुसार बुधवार से पदयात्रा आरंभ होगी। पदयात्रा में शामिल समस्त किसान 5 मार्च तक पंचकूला के गुरुद्वारा नाडा साहिब पहुंच जाएंगे। वहां से 6 मार्च को सुबह विधानसभा की तरफ कूच किया जाएगा।

    सरकार ने हटाई धारा 307, लेकिन जमानत नहीं कराएंगे किसान

    रादौर में लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने किसानों पर लगाई हत्या के प्रयास की धारा 307 को वापस ले लिया है। इसके बावजूद किसानों पर अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा। आंदोलन के दौरान पकड़े गए ट्रैक्टर-ट्रालियों के बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ। भाकियू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के अनुसार किसान धारा 307 हटाने के बावजूद जमानत नहीं लेंगे। उनकी मांग है कि किसानों पर बनाए सभी मुकदमे वापस लिए जाएं। वहीं किसानों के ट्रैक्टर बिना सुपरदारी के छोड़े जाएं।