'किसानों को कम रेट पर बेचनी पड़ रही फसल', भूपेंद्र हुड्डा बोले- बाढ़ के बाद सरकार की मार झेलने को मजबूर
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मंडियों में किसानों को एमएसपी से कम रेट पर अपनी फसलें बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। धान बाजरा और कपास की आवक शुरू हो चुकी है लेकिन सरकारी खरीद में देरी हो रही है। किसानों को बाढ़ के बाद अब सरकार की मार झेलनी पड़ रही है। मुआवजे और खाद वितरण में भी देरी हो रही है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि मंडियों में एक बार फिर किसानों के साथ योजनाबद्ध लूट शुरू हो गई है। मंडियों में धान, बाजरा और कपास की आवक शुरू हो गई है। लेकिन सरकारी खरीद नहीं होने के चलते किसानों को एमएसपी से 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल कम रेट पर धान बेचना पड़ रहा है।
800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल कम पर बाजरा और करीब 2000 रुपये प्रति क्विंटल कम रेट पर कपास बेचनी पड़ रही है। बाढ़ की मार के बाद अब किसान सरकार की मार झेलने को मजबूर हैं।
हरियाणा सरकार ने एक दिन पहले ही निर्णय लिया है कि एक अक्टूबर को धान की सरकारी खरीद चालू होगी। लेकिन इस तिथि से पहले ही राज्य की मंडियों में धान की आवक चालू हो गई है। किसान बाजरा व कपास भी लाने लगे हैं। हुड्डा ने कहा कि खरीद से लेकर मुआवजा और खाद देने तक, हर काम में जानबूझकर देरी की जा रही है।
किसान कई दिन से बाढ़ और जलभराव से पीड़ित है और सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। अब तक पांच लाख से ज्यादा किसानों ने 31 लाख एकड़ भूमि पर खराबे की शिकायत दर्ज कराई है।
लेकिन सरकार द्वारा गिरदावरी और वेरिफिकेशन का काम कछुए की रफ्तार से किया जा रहा है। 31 लाख एकड़ में से अब तक सिर्फ तीन लाख एकड़ भूमि का ही वेरिफिकेशन हो पाया है।
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पिछले कई सीजन की तरह इस बार भी सरकार की मंशा किसानों को मुआवजे से वंचित करने की है। सरकार ने अब रबी की बिजाई पर भी संकट खड़ा कर दिया है। किसानों को डीएपी नहीं मिल रहा है। एकबार फिर कई-कई घंटे, कई-कई दिनों लंबी कतारों में परिवार समेत किसान खड़े हुए हैं।
लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। क्योंकि जरुरत के मुकाबले सिर्फ 22 प्रतिशत खाद ही मुहैया हो पाई है। हुड्डा ने कहा कि जब से भाजपा सत्ता में आई है, किसान इसी तरह एक-एक बैग खाद के लिए तरस रहे हैं। यह किसानों के साथ घोर अन्याय है।
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