हरियाणा: विकास परियोजनाओं के लिए जमीन के मुंह मांगे दाम ले सकेंगे किसान, कलेक्टर रेट से 3 गुना तक कीमत मांगने की हटी शर्त
उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व को स्पष्ट करने के लिए अध्यादेश पारित किया है। इसका उद्देश्य कब्जाधारकों के अधिकारों को पहचानना और संपत्ति हस्तांतरण को सुगम बनाना है, जिससे ग्रामीण बैंक ऋण जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकें।
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विकास परियोजनाओं के लिए जमीन के मुंह मांगे दाम ले सकेंगे किसान। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। गांव-कस्बों में आबादी देह जमीन पर काबिज लोगों को अब मालिकाना हक दिया जाएगा। ड्रोन सर्वे और प्रापर्टी कार्ड के आधार पर स्वामित्व अधिकार मिलेगा। वहीं, सरकार को जमीन देने के लिए कोई भू-मालिक स्वयं या किसी बिचौलिये के माध्यम से ई-भूमि पोर्टल पर सहमति देता है तो इसे वैध माना जाएगा।
कलेक्टर रेट से अधिकतम तीन गुना दर की शर्त हटा दी गई है। इसके अलावा खेती के लिए पट्टे पर दी जाने वाली भूमि में से पांच प्रतिशत जमीन 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित होगी। इसी तरह ग्राम पंचायतें अपने स्तर पर 250 एकड़ तक भूमि के उपयोग की योजना तैयार कर सकेंगी।
गोअभ्यारण्य को 20 साल के लिए 5100 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से जमीन दी जाएगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिए गए। ‘हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निहितिकरण, अभिलेखन एवं समाधान) अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इससे आबादी देह क्षेत्रों में कब्जाधारकों को स्वामित्व अधिकार प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
मौजूदा प्रविधानों के अंतर्गत भूमि मालिक या बिचौलिया ई-भूमि पोर्टल पर अपनी भूमि का प्रस्ताव केवल संबंधित जिले की कलेक्टर दर से अधिकतम तीन गुना दर तक ही दे सकता था। यह प्रतिबंध, विशेष रूप से उन गांवों, जहां कलेक्टर दरें बाजार दरों से काफी कम हैं, वास्तविक जमीन के प्रस्ताव प्राप्त करने में कठिनाइयां पैदा कर रहा था। अब आनलाइन स्व प्रमाणन से होगा सीएलयू हरियाणा अनुसूचित सड़कें और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास प्रतिबंध अधिनियम में बदलाव किया गया है।
अधिसूचित विकास योजनाओं में भूमि उपयोग क्षेत्रों के अनुरूप स्व-प्रमाणन के अंतर्गत प्रणाली शुरू की जाएगी। नई प्रणाली पात्र आवेदकों को डिजिटल रूप से प्रस्तुत दस्तावेजों और स्वचालित सत्यापन के आधार पर आनलाइन स्व-प्रमाणन के माध्यम से भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) की अनुमति प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी।
इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी, मानवीय हस्तक्षेप में कमी आएगी और राज्य में कारोबार करने में आसानी होगी। आनलाइन पोर्टल भी विकसित किया जाएगा। इसके अलावा पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियम, 1964 में भी संशोधन किया गया है।
अध्यादेश का उद्देश्य कब्जाधारकों के स्वामित्व अधिकारों की पहचान करना, उनका अभिलेखन करना और उनका समाधान करना है, ताकि जिनका स्वामित्व सर्वोत्तम रूप से सिद्ध होता है, उन्हें मालिक के रूप में दर्ज किया जा सके। यह अध्यादेश स्वामित्व, लीज और बंधक (कब्जे सहित या बिना कब्जे) जैसे संपत्ति अधिकारों के हस्तांतरण को भी सुगम बनाएगा, जिससे ग्रामीण निवासी बैंक ऋण सहित अन्य वित्तीय सेवाओं का लाभ ले सकें। यह कानून आबादी देह क्षेत्रों में सुनियोजित विकास को भी बढ़ावा देगा।
विकास परियोजनाओं के लिए स्वेच्छा से सरकार को भूमि देने की नीति में संशोधन विकास परियोजनाओं हेतु विभागों, सरकारी संस्थाओं, बोर्ड-निगमों एवं सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद संबंधी नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। नया प्रविधान जोड़ा है, जिसके अनुसार यदि कोई भू-मालिक स्वयं या किसी बिचौलिये के माध्यम से ई-भूमि पोर्टल पर अपनी सहमति अपलोड करता है और वह सभी शर्तों को पूरा करता है, तो उसकी सहमति को वैध माना जाएगा।

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