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    ED ने भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ पंचकूला कोर्ट के फैसले को दी चुनौती, पू्र्व CM ने क्यों कहा-'याचिका उचित नहीं'?

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 05:38 PM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ धन शोधन मामले में पंचकूला की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी है। अदालत ने मुकदमे की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। ईडी का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है और इसका सीबीआई जांच से कोई संबंध नहीं है। मामला हरियाणा के पंचकूला में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन से जुड़ा है जिसमें अनियमितताएं पाई गईं।

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    ED ने भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ पंचकूला कोर्ट के फैसले को दी चुनौती (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंचकूला की धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए बनी विशेष अदालत द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश को ईडी ने चुनौती दी है। ईडी की याचिका पर सुनवाई के दौरान हुड्डा की तरफ से दलील दी गई कि ईडी की याचिका कानूनी रूप से उचित नहीं है।

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    उन्होंने कहा कि 22 आरोपितों में से केवल चार को ही पक्षकार बनाया गया है। ऐसे में यदि याचिका स्वीकार हो जाती है, तो बाकी आरोपितों के अधिकार प्रभावित होंगे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि जिस आवेदन पर विशेष अदालत ने रोक का आदेश दिया था, वह हुड्डा ने नहीं बल्कि अन्य आरोपित ने दाखिल किया था। बावजूद इसके ईडी ने हुड्डा को पक्षकार बना दिया, जबकि अन्य सभी आरोपितों को शामिल नहीं किया।

    ईडी की ओर से भारत के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू और विशेष अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कोर्ट से जवाब देने के लिए समय की मांग की, जिस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 28 अक्टूबर तक स्थगित कर दी। हाई कोर्ट ने इस मामले में हुड्डा से जवाब तलब किया हुआ था। ईडी ने दलील दी कि मामला औद्योगिक भूखंडों के आवंटन से संबंधित है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आवंटन मानदंडों को अंतिम रूप देने के लिए फाइल को लंबे समय तक अपने पास रखा।

    उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और आवेदन आमंत्रित करने की छह जनवरी 2016 की समय सीमा के बाद 24 जनवरी 2016 को मानदंड बदल दिए। ईडी ने अपने आवेदन में कहा कि पीएमएलए के प्रविधान के तहत जांच करने के बाद फरवरी 2021 में पंचकूला की विशेष अदालत के समक्ष अभियोजन शिकायत दायर की गई थी। अदालत ने फरवरी 2021 में शिकायत का संज्ञान लिया। लेकिन अदालत ने 15 मई 2024 के आदेश के अनुसार पीएमएलए मामले की सुनवाई को “सीबीआइ द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने तक” रोक दिया।

    आदेश को चुनौती देते हुए ईडी ने कहा कि विशेष न्यायाधीश ने इस तथ्य को गलत तरीके से नजरअंदाज कर दिया कि मनी लांड्रिंग अपराध स्वतंत्र था। मनी लांड्रिंग अलग अपराध है, इसलिए इस विषय पर सीबीआइ जांच से कोई लेना देना नहीं है। सीबीआइ व ईडी की जांच अलग है। चाहे मामले एक विषय पर ही क्यों न हों। इस प्रकार संबंधित कार्रवाई पर रोक के आधार पर मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाना कानून की दृष्टि से गलत था।

    याचिका में यह भी कहा गया कि पीएमएलए के तहत मुकदमे को अनुसूचित अपराध में अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने तक रोकने से देश भर में लंबित पीएमएलए मुकदमों पर गंभीर परिणाम होंगे। इससे मनी लांड्रिंग के योग्य मामलों को शुरू में ही विफल किया जा सकेगा और निदेशालय के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

    यह मामला हरियाणा के पंचकूला में 14 औद्योगिक भूखंडों के आवंटन से संबंधित है। आवेदन प्राप्त होने की अंतिम तिथि के बाद पात्रता मानदंडों में गलत तरीके से बदलाव किया गया। याचिका में यह भी कहा गया कि विशेष अदालत का आदेश देशभर में लंबित पीएमएलए मामलों पर असर डाल सकता है। यदि निर्धारित अपराध में अंतिम रिपोर्ट आने तक सुनवाई रुकी रही, तो मनी लांड्रिंग मामलों की मैरिट पर सुनवाई शुरू ही नहीं हो पाएगी और निदेशालय के कामकाज पर गंभीर असर पड़ेगा।