भूपेंद्र सिंह हुड्डा से जुड़े मामले में हाईकोर्ट क्यों पहुंची ED? याचिका पर अदालत ने पूर्व CM से मांगा जवाब
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ पंचकूला की पीएमएलए विशेष अदालत द्वारा मुकदमे की कार्यवाही पर रोक के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। ईडी का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है और इसका सीबीआई जांच से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए पीएमएलए मामले की सुनवाई को रोकना गलत है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंचकूला की पीएमएलए विशेष अदालत द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर रोक के आदेश को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
हाई कोर्ट के जस्टिस महावीर सिंह सिंधु ने ईडी की याचिका पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नोटिस जारी कर 9 दिसंबर तक जवाब तलब किया है। इस मामले पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू ने ईडी का पक्ष रखा। ईडी ने दलील दी कि मामला औद्योगिक भूखंडों के आवंटन से संबंधित है।
'अपने पद का किया दुरुपयोग'
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आवंटन मानदंडों को अंतिम रूप देने के लिए फाइल को लंबे समय तक अपने पास रखा। उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और आवेदन आमंत्रित करने की छह जनवरी 2016 की समय सीमा के बाद 24 जनवरी 2016 को मानदंड बदल दिए।
भूखंडों का आवंटन प्रस्तावित मानदंडों के अनुसार नहीं किया गया था। समय सीमा बीत जाने के बाद इसे बदल दिया गया और गलत तरीके से अयोग्य आवेदकों को भूखंड आवंटित कर दिए गए।
अंतिर रिपोर्ट दाखिल किए जाने तक लगी रोक
ईडी ने अपने आवेदन में कहा कि पीएमएलए के प्रविधान के तहत जांच करने के बाद फरवरी 2021 में पंचकूला की विशेष अदालत के समक्ष अभियोजन शिकायत दायर की गई थी।
अदालत ने फरवरी 2021 में शिकायत का संज्ञान लिया। लेकिन अदालत ने 15 मई 2024 के आदेश के अनुसार पीएमएलए मामले की सुनवाई को “सीबीआई द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने तक” रोक दिया।
आदेश को चुनौती देते हुए ईडी ने कहा कि विशेष न्यायाधीश ने इस तथ्य को गलत तरीके से नजरअंदाज कर दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग अपराध स्वतंत्र था।
सीबीआई व ईडी की जांच अलग है
मनी लॉन्ड्रिंग अलग अपराध है, इसलिए कि इस विषय पर सीबीआइ जांच से कोई लेना देना नहीं है। सीबीआइ व ईडी की जांच अलग है, चाहे मामले एक विषय पर ही क्यों न हों। इस प्रकार संबंधित कार्यवाही पर रोक के आधार पर मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाना कानून की दृष्टि से गलत था।
यह भी कहा गया कि विशेष अदालत ने आदेश पारित करते समय वैधानिक प्रविधान की अनदेखी की, जो यह प्रविधान करते हैं कि पीएमएलए के तहत मुकदमा अनुसूचित अपराध के संबंध में पारित किसी अन्य आदेश पर निर्भर नहीं होगा और इसे अलग से चलाया जाएगा।
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इसमें यह भी कहा गया कि सीबीआइ द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने तक पीएमएलए के तहत मुकदमे की कार्यवाही जारी रखने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि पीएमएलए की योजना में यह शामिल है कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध और अनुसूचित अपराधों के लिए मुकदमे अलग-अलग और एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं।
याचिका में यह भी कहा गया कि पीएमएलए के तहत मुकदमे को अनुसूचित अपराध में अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए जाने तक रोकने से देश भर में लंबित पीएमएलए मुकदमों पर गंभीर परिणाम होंगे।
इससे मनी लॉन्ड्रिंग के योग्य मामलों को शुरू में ही विफल किया जा सकेगा और निदेशालय के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह मामला हरियाणा के पंचकूला में 14 औद्योगिक भूखंडों के आवंटन से संबंधित है।
आवेदन प्राप्त होने की अंतिम तिथि के बाद पात्रता मानदंड में गलत तरीके से बदलाव किया गया। इस मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा व अन्य को मिली जमानत को भी रद करवाने के लिए ईडी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की हुई है जो अभी विचाराधीन है।
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