Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ई-भूमि पोर्टल से न केवल पारदर्शिता बढ़ रही, बल्कि किसानों को उनकी जमीन की मुंहमांगी कीमत भी मिल रही

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 29 Jun 2022 12:49 PM (IST)

    सरकारी विभागों की खाली पड़ी जमीन चिह्नित की जा चुकी है जिसका उपयोग नई परियोजनाओं के संचालन में होगा। बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की योजना है। हरियाणा सरकार ने उपयोगी परियोजनाओं के लिए जमीन की अदला-बदली का विकल्प किसानों के सामने रखा है।

    Hero Image
    किसानों को उनकी जमीन का बलपूर्वक अधिग्रहण नहीं किया जा रहा।

    पंचकूला, अनुराग अग्रवाल। हरियाणा में जमीन हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रही है। पिछली भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार पर अगर अंगुली उठी थी तो सिर्फ जमीन के अधिग्रहण, उसके मुआवजे की राशि और लाइसेंस की अदला-बदली की वजह से। भाजपा समेत तब के विपक्ष ने हुड्डा सरकार को प्रापर्टी डीलरों की सरकार तक कहना शुरू कर दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ड वाड्रा की कंपनी को गुरुग्राम में दी गई बेशकीमती जमीन का विवाद पूरे देश ने देखा है। निर्धारित समय अवधि में काम पूरा नहीं होने पर अब इस जमीन का लाइसेंस मनोहर सरकार ने रद कर दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केंद्र सरकार के जमीन अधिग्रहण कानून में प्रविधान है कि सरकार राज्य की विशेष परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहीत कर सकती है, लेकिन जिस मुद्दे को लेकर भाजपा विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस पर हमलावर रही, उसे अब वह कांग्रेस के हाथ में नहीं देना चाहती। इसी वजह से हरियाणा में सरकारी विकास परियोजनाओं के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहीत नहीं की जाती, बल्कि ई-भूमि पोर्टल के जरिये मुंहमांगी कीमत पर खरीदी जाती है।

    मुख्यमंत्री मनोहर लाल (बाएं) चंडीगढ़ में हाई पावर लैंड परचेज कमेटी की बैठक लेते हुए। जागरण

    प्रदेश सरकार ई-भूमि पोर्टल पर बताती है कि उसे किस परियोजना के लिए कहां कितनी जमीन की जरूरत है। फिर जमीन बेचने के इच्छुक किसान इसी पर जमीन की जानकारी अपलोड करने के साथ ही उसके संभावित रेट भी बताते हैं। किसानों और भू-स्वामियों से बिना किसी डीलर या मध्यस्थ के सीधे जमीन की खरीद के लिए सरकार ने हाई पावर लैंड परचेज कमेटी बनाई है, जिसके चेयरमैन खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं और उस कमेटी में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला समेत राज्य सरकार के पांच मंत्री शामिल हैं। लैंड परचेज कमेटी की बैठक में जमीन की खरीद करते समय बाकायदा सौदेबाजी होती है। कुछ रेट बढ़ाकर दिए जाते हैं तो कुछ कम करवाए जाते हैं। इसका फायदा यह है कि अभी तक जमीन अधिग्रहण को लेकर राज्य में कोई ऐसा आंदोलन नहीं हो पाया, जो पिछली हुड्डा सरकार में हर दिन होते रहे हैं। किसान की मर्जी है। अगर उसे जरूरत है और दाम ठीक मिलते हैं तो वह सरकार को जमीन बेच दे, अन्यथा अपने उपयोग में लाता रहे।

    दरअसल हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से बिल्कुल सटा हुआ राज्य है। किसी भी निवेशक की निगाह एनसीआर की बेशकीमती जमीन पर होती है। सरकार को औद्योगिक निवेश के साथ-साथ विकास परियोजनाओं के लिए भी जमीन चाहिए। एनसीआर में जमीन की कीमत आसमान छू रही है। ऐसे में सरकार के पास इन निवेशकों और विकास परियोजनाओं को हरियाणा के उस भीतरी इलाके में लाने का विकल्प है, जहां की जमीन कम उपजाऊ और अधिक सस्ती है। इसके लिए सरकार ने अलग से अपना लैंड बैंक बनाया है। प्रदेश सरकार अब शहरी निकायों, ग्राम पंचायतों की जमीन के अलावा ऐसी तमाम जमीन को चिह्नित कर लैंड बैंक में शामिल करती जा रही है, जिसका अभी तक ठीक ढंग से हिसाक-किताब नहीं रखा जा रहा था। सरकारी विभागों की खाली पड़ी जमीन चिह्नित की जा चुकी है, जिसका उपयोग नई परियोजनाओं के संचालन में होगा। बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की योजना है। हरियाणा सरकार ने उपयोगी परियोजनाओं के लिए जमीन की अदला-बदली का विकल्प किसानों के सामने रखा है।

    सरकार निर्धारित रेट, नियम और शर्तो के आधार पर किसानों से अपने उपयोग की जमीन हासिल कर लेगी और उसके बदले में किसी दूसरी जगह पर किसान के उपयोग की जगह प्रदान कर देगी। ई-भूमि पोर्टल के जरिये राज्य सरकार अब तक 1154 एकड़ जमीन की खरीद कर चुकी है, जिस पर 60 बड़ी परियोजनाओं का संचालन या तो पूरा हो चुका है अथवा होने वाला है। इस जमीन की कीमत 554 करोड़ 76 लाख रुपये है।

    राज्य में कई हजार एकड़ जमीन बंजर है। बंजर जमीन को उद्योगों को लीज पर देने की योजना है। इस जमीन पर हक सरकार यानी पंचायत का रहेगा और किराया पंचायत के खाते में जाता रहेगा। इसका बड़ा फायदा यह होगा कि उद्योग की लागत कम आएगी और हरियाणा के लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सकेगा। ई-भूमि पोर्टल से न केवल पारदर्शिता बढ़ रही है, बल्कि किसान भी खुश हैं कि उनकी जमीन का बलपूर्वक अधिग्रहण नहीं किया जा रहा और उन्हें मुंहमांगी कीमत मिल रही है।

    राज्य ब्यूरो प्रमुख, हरियाणा