हरियाणा: धर्म सिंह छौक्कर के बेटे सिकंदर को हाईकोर्ट से राहत, शिकायत पर संज्ञान से पहले सुनवाई का मिला अधिकार
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता 2023 के तहत आरोपी को शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले सुनवाई का अधिकार है। यह नियम उन मामलों में भी लागू होगा जहाँ शिकायत बीएनएसएस लागू होने से पहले दायर की गई थी लेकिन संज्ञान बाद में लिया गया। अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यह फैसला सुनाया जिसमें आरोपी को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया था।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में स्पष्ट किया है कि भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत आरोपित को शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले सुनवाई का अधिकार है और यह लाभ उन मामलों में भी मिलेगा जिसकी शिकायत बीएनएसएस लागू होने से पहले दायर हुई हो, लेकिन संज्ञान बाद में लिया गया हो।
मामला प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत दर्ज शिकायत से जुड़ा था। शिकायत 27 जून 2024 को दायर की गई थी, जबकि बीएनएसएस 1 जुलाई 2024 से लागू हुआ।
विशेष अदालत ने 5 दिसंबर 2024 को शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कांग्रेस के पूर्व विधायक धर्म सिंह छौक्कर के पुत्र आरोपित सिकंदर सिंह को सुनवाई का अवसर नहीं दिया।
जस्टिस त्रिभुवन दहिया की एकल पीठ ने कहा कि बीएनएसएस की धारा 223(1) का पहला परविधान आरोपित को संज्ञान से पहले सुनवाई का वैधानिक अधिकार देता है, जो प्राकृतिक न्याय और संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 के अनुरूप है।
अदालत ने माना कि मात्र शिकायत दाखिल करना “जांच” या “इनक्वायरी” की शुरुआत नहीं है, जब तक कि न्यायालय शिकायत पर अपना न्यायिक मन न लगाए।
कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के कुशल कुमार अग्रवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय फैसले का हवाला देते हुए कहा कि लाभकारी व्याख्या के सिद्धांत के तहत नया कानून आरोपित के पक्ष में लागू किया जा सकता है, भले ही शिकायत पुरानी हो, यदि संज्ञान बीएनएसएस लागू होने के बाद लिया गया है।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने 22 नवंबर 2024 और 5 दिसंबर 2024 के विशेष न्यायाधीश के आदेश रद्द कर दिए और निर्देश दिया कि आठ सप्ताह के भीतर आरोपित को सुनवाई का अवसर देकर नया आदेश पारित किया जाए।
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