साध्वियों से रेप मामले में राम रहीम ने अचानक वापस ली याचिका, सजा रुकवाने के लिए किया था हाईकोर्ट का रुख?
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह ने दुष्कर्म मामले में सजा निलंबन याचिका हाईकोर्ट से वापस ले ली है जिसे कोर्ट ने दोबारा दाखिल करने की अनुमति के साथ खारिज कर दिया। पत्रकार छत्रपति हत्याकांड में सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू हो गई है। सीबीआई अदालत ने गुरमीत सिंह को दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी ठहराया था।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह ने 2017 के बहुचर्चित दुष्कर्म मामले में अपनी सजा को निलंबित करने की याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से औपचारिक रूप से वापस ले ली है।
हाईकोर्ट ने याचिका को याचिकाकर्ता की इच्छा के अनुसार 'स्वतंत्रता के साथ दोबारा याचिका दायर करने की छूट' के साथ खारिज कर दिया। वहीं, पत्रकार छत्रपति हत्या मामले में सजा के खिलाफ अपील पर मुख्य न्यायाधीश की बेंच में सुनवाई शुरू हो गई है।
चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस विक्रम अग्रवाल की खंडपीठ के सामने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की तरफ से सूचित किया कि वह दुष्कर्म मामले में दाखिल की गई याचिका को वापस लेना चाहता है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा, 'यह याचिका खारिज मानी जाए, लेकिन भविष्य में पुन प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता बनी रहेगी।'
गौरतलब है कि यह याचिका करीब दो वर्षों से लंबित थी। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस देरी पर चिंता जाहिर की थी और स्पष्ट किया था कि अगली तारीख को चाहे बहस हो या नहीं, याचिका का निपटारा किया जाएगा।
हालांकि, उस सुनवाई के दौरान डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के वकील ने और समय की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने 'काफी अनिच्छा के साथ' अगली सुनवाई की अनुमति दी थी। अब जबकि सजा निलंबन की याचिका वापस ली जा चुकी है, हाईकोर्ट ने साफ किया है कि अब मुख्य आपराधिक अपील पर सुनवाई की जाएगी, जिसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी है।
डेरा प्रमुख को सीबीआई की विशेष अदालत, पंचकूला ने 25 अगस्त 2017 को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 506 के तहत दो महिला अनुयायियों के दुष्कर्म का दोषी ठहराया था। इसके लिए उसे बीस वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी प्रत्येक अपराध के लिए 10-10 वर्ष की सजा, जो एक के बाद एक चलनी थी।
वहीं, पत्रकार छत्रपति की हत्या मामले में सीबीआई अदालत ने डेरामुखी सहित चार आरोपितों को दोषी करार देते हुए वर्ष 2019 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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