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    हरियाणा में नया आदेश: मंडलायुक्त की हां पर ही भ्रष्टाचार की जांच करा पाएंगे उपायुक्त

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 02:00 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार की जांच प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नया आदेश जारी किया है। अब उपायुक्तों को भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की जांच के लिए मंडलायुक्तों से अनुमति लेनी होगी जो 15 दिनों के भीतर अनिवार्य होगी। ग्रुप-बी सी और डी के कर्मचारियों के खिलाफ मामलों की जांच का अधिकार सतर्कता अधिकारियों को होगा।

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    भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जिला और मंडल स्तर पर जारी निर्देशों में संशोधन।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्य सचिव कार्यालय के सतर्कता विभाग की ओर से जारी आदेश में जिला और उपमंडल सतर्कता समितियों तथा मंडलीय सतर्कता ब्यूरो (डिविजनल विजिलेंस ब्यूरो) की कार्यप्रणाली को स्पष्ट किया गया है। भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच के लिए उपायुक्तों को मंडलायुक्तों से अनुमति प्राप्त करनी होगी।

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    इससे पहले 26 मई 2022 को सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और एफआइआर दर्ज करने से जुड़ी प्रक्रिया तय की गई थी। लेकिन इन आदेशों को लेकर विभिन्न स्तरों पर अस्पष्टता बनी हुई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने स्पष्ट संशोधन जारी किया है।

    संशोधित आदेश के अनुसार अब उपायुक्त भ्रष्टाचार संबंधी रिपोर्ट मंडलायुक्त को भेजेंगे। मंडलायुक्त को यह रिपोर्ट मिलने के बाद 15 दिनों के भीतर अनुमति देना अनिवार्य होगा। अनुमति देने से पहले उपायुक्त और संबंधित विभागाध्यक्ष से परामर्श लिया जाएगा। यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17ए और भारत सरकार के निर्देश (3 सितंबर, 2021) के अनुरूप होगी।

    ग्रुप-बी, सी और डी के कर्मचारियों के लिए ये नियम

    आदेश में यह भी साफ किया गया है कि ग्रुप-बी, सी और डी के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों (जहां रिश्वतखोरी की राशि एक करोड़ रुपये तक हो) की जांच या एफआईआर दर्ज करने का अधिकार आईजी, डीआईजी और एसपी स्तर के सतर्कता अधिकारी को होगा।

    सरकार ने यह भी दोहराया है कि किसी भी जांच एजेंसी को पूर्व अनुमति लिए बिना न तो जांच शुरू करने का अधिकार होगा और न ही एफआइआर दर्ज करने का। विभाग ने साफ किया है कि पूर्व के आदेशों की अन्य शर्तें और प्रविधान यथावत रहेंगे।