नियमों को दरकिनार कर लिया नौतोड़ भूमि को अमान्य घोषित करने का फैसला
33 साल से मोरनी के हजारों किसान नौतोड़ का मालिकाना हक मिलने के लिए बंदोबस्त की राह देख रहे हैं।
जागरण संवाददाता, पंचकूला : 33 साल से मोरनी के हजारों किसान नौतोड़ का मालिकाना हक मिलने के लिए बंदोबस्त की राह देख रहे हैं। लेकिन, सरकारों की अनदेखी के कारण कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल एडवोकेट ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में मोरनी नौतोड़ का मालिकाना हक दिलवाने के मामले में याचिकाएं दायर की हुई हैं। जिसके नतीजे में सरकार ने मोरनी के लिए फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर भी नियुक्त किया हुआ है। 100 साल से 14 विभिन्न बासों के गांव के हजारों किसानों ने नौतोड़ जमीन को उपजाऊ योग्य बनाया है। विजय बंसल ने पुन: रिव्यू याचिका दायर की हुई है। बंसल के अनुसार प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए एक बैठक 11 मार्च 2020 व 13 मार्च 2020 को उपायुक्त पंचकूला की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें किसानों के हित को दरकिनार करते हुए 14 भोज के हजारों किसानों के 257 एकड़ की कुल भूमि पर गिरदावरी में नाम होने को अमान्य घोषित करने का फैसला लेकर राज्य सरकार को लागू करने की सिफारिश की गई। जबकि यह मामला अभी हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है तथा 14 सितंबर 2020 को अगली सुनवाई है। मोरनी नौतोड़ संबंधित मामलों को लेकर फॉरेस्ट सेटलमेंट अफसर नियुक्त किया हुआ है। मामले में डीसी पंचकूला सक्षम नहीं
ऐसे में नौतोड़ संबंधित फैसले लेने के लिए उपायुक्त सक्षम नहीं है, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर बंदोबस्त अधिकारी को नकारा गया और अफसरों द्वारा एक बैठक बुलाकर गिरदावरी में किसानों के हक को अमान्य घोषित करने का निर्णय लिया गया, जोकि बिल्कुल गलत है। हाई कोर्ट के आदेशों पर नियुक्त फॉरेस्ट सेटलमेंट अफसर द्वारा मोरनी के 14 भोज कोटाहा में जमीनों की निशानदेही समेत असल मालिकों को जमीन का कब्जा देने के लिए मध्यस्ता करने का निर्णय लेगा, जबकि इस मामले में डीसी पंचकूला सक्षम नहीं है। उच्च न्यायलय में हरियाणा सरकार ने शपथपत्र देकर कहा हुआ है कि फॉरेस्ट सेटलमेंट अफसर को एक करोड़ की राशि मंजूर करके सारा स्टाफ उपलब्ध करवाया हुआ है।
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