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    पंचकूला में रिटायर्ड इंस्पेक्टर से 4.03 लाख की साइबर ठगी, फेसबुक पर विज्ञापन देखा और झांसे में आ गए

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 08:22 PM (IST)

    पंचकूला में एक सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर बलदेव कृष्ण शर्मा साइबर ठगी का शिकार हो गए, जिनसे 4.03 लाख रुपये ठगे गए। फेसबुक पर लाइफ सर्टिफिकेट अपडेट करने के विज्ञापन पर क्लिक करने के बाद, उन्होंने अपनी गोपनीय जानकारी साझा की, जिसके परिणामस्वरूप उनके खाते से पैसे निकाल लिए गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    मोबाइल नंबर पर एक अज्ञात व्यक्ति ने काॅल किया और कर ली ठगी।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। पिंजौर की हिमशिखा सोसायटी निवासी 78 वर्षीय बलदेव कृष्ण शर्मा से साइबर ठगों ने 4 लाख 3 हजार रुपये की ठगी कर ली। बलदेव कृष्ण शर्मा फूड एंड सप्लाई विभाग में इंस्पेक्टर पद से रिटायर्ड हैं। इसकी शिकायत उन्हाेंने पुलिस को दी। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी।

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    बलदेव कृष्ण शर्मा ने पुलिस को बताया कि वह घर पर फेसबुक चला रहे थे। वहां उन्हें पीएनबी लाइफ सर्टिफिकेट अपडेट का एक विज्ञापन दिखा। विज्ञापन में दावा किया गया था कि पेंशनर बिना बैंक जाए अपना लाइफ सर्टिफिकेट अपडेट कर सकते हैं। उन्होंने लिंक पर क्लिक किया, जिसके बाद उनके फोन में एक फाइल डाउनलोड होने लगी।

    फाइल डाउनलोड होते ही उनके मोबाइल नंबर पर एक अज्ञात व्यक्ति ने काॅल किया और उनसे पूछा कि फाइल कितनी लोड हुई है। बाद में उसी व्यक्ति ने दोबारा काॅल करके उनसे बैंक खाता नंबर, आधार कार्ड नंबर, एटीएम कार्ड नंबर और पीन जैसी गोपनीय जानकारी ले ली। इसके बाद एक और नंबर से उन्हें व्हाट्सएप काॅल आई और ठगों ने उनसे अन्य जानकारी ले ली।

    अगले दिन उसके पंजाब नेशनल बैंक खाते से पहले एक रुपया और फिर 3,000 रुपये और उसके बाद 4,00,000 रुपये की बड़ी राशि आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर कर दी गई। कुल 4,03,000 रुपये खाते से निकलने का मैसेज देखकर पीड़ित बैंक पहुंचा, जहां उन्हें धोखाधड़ी की पुष्टि हुई।

    उन्होंने तुरंत अकाउंट ब्लाक करवाया और साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत साइबर पोर्टल के माध्यम से थाना साइबर क्राइम को प्राप्त हुई। जांच में पीड़ित के बयान दर्ज किए गए और मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ठगी में उपयोग किए गए मोबाइल नंबर, एपीके लिंक और बैंक ट्रांजेक्शन का साइबर फोरेंसिक विश्लेषण जारी है। आरोपितों का पता लगाने के लिए तकनीकी जांच तेज की गई है।