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    वार्डबंदी के लिए बनी कमेटी पर विवाद, पंचकूला निगम चुनाव से पहले गरमाई राजनीति, पढ़िये क्या है वजह

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 05:40 PM (IST)

    पंचकूला नगर निगम चुनाव 2026 से पहले वार्डबंदी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कमेटी में उनके पार्षदों को बाहर कर दिया गया है और ज्ञानचंद गुप्ता के समर्थकों को शामिल किया गया है। विपक्षी दलों ने इसे तानाशाही बताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दी है जिससे पंचकूला की राजनीति गरमा गई है।

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    नगर निगम का कार्यकाल जनवरी में समाप्त होगा। इसके बाद मेयर और 20 पार्षद पदों के लिए चुनाव होंगे।

    राजेश मलकानियां, पंचकूला। जनवरी 2026 में होने वाले पंचकूला नगर निगम चुनावों से पहले ही वार्डबंदी को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। हरियाणा शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता ने वार्डबंदी के लिए कमेटी को स्वीकृति दे दी है, लेकिन इस कमेटी में कांग्रेस के दोनों पार्षदों को बाहर कर भाजपा पार्षदों को शामिल किया गया है। कांग्रेस समेत आम आदमी पार्टी (आप) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने इस कदम को सीधे तौर पर तानाशाही बताते हुए सरकार पर धांधली के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने कोर्ट जाने की धमकी भी दी है।

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    पंचकूला की उपायुक्त द्वारा भेजी गई कमेटी में कांग्रेस के दो पार्षदों संदीप सिंह सोही और गौतम प्रसाद का नाम शामिल था। लेकिन आयुक्त एवं सचिव ने इन दोनों को बाहर कर दिया और उनकी जगह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता के दो समर्थक वार्ड नंबर 8 से पार्षद हरेंद्र मलिक और वार्ड नंबर 1 से पार्षद नरेंद्र पाल सिंह लुबाना को शामिल कर लिया। मेयर और अधिकारी इस कमेटी में शामिल हैं। स्वीकृत की गई नई कमेटी में पार्षद जय कुमार कौशिक (वार्ड 5), सोनू बिरला (वार्ड 12), हरेंद्र मलिक (वार्ड 8), रितु गोयल (वार्ड 3) और नरेंद्र पाल सिंह लुबाना (वार्ड 1) का नाम है।

    कांग्रेस ने फैसले को लोकतंत्र के खिलाफ बताया

    कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले को लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवीन बंसल ने कहा कि यह चुनाव से पहले की सीधी धांधली है। भाजपा ने विपक्ष के किसी पार्षद को शामिल नहीं किया। जब कमेटी में ही निष्पक्षता नहीं है, तो चुनाव कैसे निष्पक्ष होंगे? उन्हें पहले से ही आशंका थी कि कमेटी में धांधली होगी। इसी कारण उपायुक्त को ज्ञापन भी दिया गया था। बावजूद इसके कांग्रेस के दोनों पार्षदों को बाहर कर दिया गया।

    नवीन बंसल ने कहा भाजपा ने विपक्ष को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है। यह चुनाव से पहले ही धक्केशाही की हद है। कांग्रेस विधायक चंद्र मोहन ने साफ कहा कि पार्टी इस फैसले को अदालत में चुनौती देगी। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस पार्षदों को शामिल नहीं किया गया तो कमेटी को कोर्ट में रद करवाने के लिए याचिका दायर करेंगे।

    अन्य दलों ने भी जताया विरोध

    सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि जजपा और आम आदमी पार्टी ने भी कमेटी के गठन का विरोध किया है। जजपा जिला प्रधान ओपी सिहाग ने कहा कि उनके पास भी नगर निगम में एक पार्षद है, लेकिन कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। सरकार को सभी विपक्षी दलों को कमेटी में जगह देनी चाहिए थी।

    आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राठी ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा हमेशा तानाशाही करती आई है। यदि भाजपा को खुद ही मेयर और पार्षद चुनने हैं तो चुनाव पर करोड़ों रुपये खर्च करने की जरूरत ही क्या है?

    जनवरी 2026 में खत्म होगा मौजूदा कार्यकाल मौजूदा

    नगर निगम का कार्यकाल जनवरी 2026 में समाप्त हो रहा है। इसके बाद मेयर और 20 पार्षद पदों के लिए चुनाव होंगे। फिलहाल नगर निगम पर भाजपा का वर्चस्व है, महापौर सहित ज्यादातर पार्षद भाजपा से हैं। इस बार वार्डों की संख्या में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन महिला आरक्षित वार्डों में फेरबदल किया जाएगा। महिलाओं के लिए वार्डों की संख्या बढ़ गई है। इसके अलावा कमेटी मौजूदा वार्डों में कुछ इलाकों को घटा-बढ़ा सकती है।

    कांग्रेस का आरोप : ‘धक्केशाही की हद’

    सियासी संग्राम तेज पंचकूला नगर निगम चुनाव से पहले वार्डबंदी कमेटी पर उठे इस विवाद ने सियासत को गर्मा दिया है। कांग्रेस जहां कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है, वहीं जजपा और आप भी सरकार को घेरने में जुटी हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा चुनावी राजनीति का बड़ा हथियार बन सकता है।