वारंटी में गड़बड़ी पड़ी भारी, रिलायंस रिटेल और एचपी को उपभोक्ता के 42,750 रुपये लौटाने होंगे
पंचकूला उपभोक्ता फोरम ने रिलायंस रिटेल और एचपी को एक उपभोक्ता को 42,750 रुपये लौटाने का आदेश दिया, क्योंकि लैपटॉप की वारंटी में गड़बड़ी थी। दिवंगत उपभोक्ता ने 2019 में लैपटॉप खरीदा था, जिसमें खरीद के बाद समस्याएं आईं। फोरम ने सेवा में कमी मानते हुए मानसिक पीड़ा के लिए अतिरिक्त मुआवजा देने का भी आदेश दिया। रिलायंस रिटेल को उपभोक्ता को वारंटी की सही जानकारी न देने का दोषी पाया गया।

2021 में दायर शिकायत पर उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला।
जागरण संवाददाता, पंचकूला। उपभोक्ता फोरम ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए रिलायंस रिटेल लिमिटेड और हेवलेट पैकार्ड ग्लोबल सॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड (एचपी) को उपभोक्ता जगिरो देवी के कानूनी उत्तराधिकारियों को 42,750 रुपये की राशि 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं। फोरम ने यह भी निर्देश दिया कि दोनों कंपनियां मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी खर्च के लिए अतिरिक्त 20,000 रुपये का मुआवजा भी अदा करें।
यह मामला जगिरो देवी द्वारा 2021 में दायर उपभोक्ता शिकायत से जुड़ा था। सुनवाई के दौरान एचपी कंपनी अनुपस्थित रही और फोरम ने उसे एक्स-पार्टी घोषित कर दिया। जगिरो देवी, एसएस इंडस्ट्रीज की प्रोपराइटर थीं, ने 28 अगस्त 2019 को रिलायंस डिजिटल स्टोर, सेक्टर-9, पंचकूला से एचपी कंपनी का एक लैपटाप 57,000 रुपये में खरीदा था।
यह लैपटाप उनके पोते की पढ़ाई के लिए खरीदा गया था। शिकायत के अनुसार, खरीद के एक वर्ष बाद लैपटाप में तकनीकी समस्याएं आने लगीं सिस्टम धीमा चलने लगा और वेब ब्राउजर ठीक से काम नहीं कर रहे थे। जब आनलाइन वारंटी जांची गई तो यह देखकर शिकायतकर्ता हैरान रह गईं कि लैपटाप की वारंटी 17 अक्टूबर 2018 से शुरू होकर 16 अक्टूबर 2019 तक की दिखाई जा रही थी, जबकि खरीद की तारीख अगस्त 2019 थी।
शिकायतकर्ता ने इस विसंगति के बारे में रिलायंस रिटेल को अवगत कराया, लेकिन कंपनी की ओर से कोई ठोस समाधान नहीं मिला। कई बार संपर्क करने और ईमेल भेजने के बावजूद समस्या दूर नहीं हुई। इसके बाद जगिरो देवी ने फोरम का दरवाजा खटखटाया। रिलायंस रिटेल की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उनकी कंपनी केवल उत्पाद बेचने का काम करती है और निर्माण संबंधी दोषों के लिए निर्माता कंपनी जिम्मेदार होती है। उन्होंने कहा कि लैपटाप की वारंटी खरीद की तारीख से एक वर्ष तक वैध थी और उपभोक्ता ने वारंटी अवधि के भीतर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।
सेवा में गंभीर कमी का मामला
फोरम ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि जब कोई उपभोक्ता दोषपूर्ण उत्पाद से नुकसान झेलता है तो जिम्मेदारी पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर होती है इसमें विक्रेता, वितरक और निर्माता सभी शामिल हैं। फोरम ने कहा कि रिलायंस रिटेल ने वारंटी से जुड़ी शिकायत को एचपी कंपनी तक पहुंचाने के बाद भी उपभोक्ता को राहत नहीं दिलाई, जिससे यह सेवा में गंभीर कमी का मामला बनता है। फोरम ने यह भी कहा कि विक्रेता का दायित्व है कि वह उत्पाद बेचते समय उपभोक्ता को उसकी वारंटी, वैधता और अन्य शर्तों की सटीक जानकारी दे।
कुल कीमत का एक चौथाई देना होगा
फोरम ने माना कि शिकायतकर्ता ने लैपटाप का लगभग दो वर्षों तक उपयोग किया था, इसलिए कुल कीमत में से एक चौथाई राशि (14,250 रुपये) उपयोग के मद में घटाकर 42,750 रुपये लौटाने का आदेश दिया गया। फोरम ने अपने निर्णय में निर्देश दिया कि रिलायंस रिटेल लिमिटेड और एचपी कंपनी दोनों संयुक्त रूप से 42,750 रुपये की राशि ब्याज सहित लौटाएं। इसके अलावा, मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 5,000 रुपये और मानसिक उत्पीड़न के लिए रिलायंस रिटेल को 5,000 रुपये तथा एचपी कंपनी को 10,000 रुपये देने के आदेश दिए गए हैं।

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