सीपीएस मामले में कानून बनाना विस का नहीं संसद का अधिकार क्षेत्र : हाईकोर्ट
हरियाणा में सीपीएस नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने कहा कि सीपीएस नियुक्ति मामले में संसद ही कानून बना सकती है।
जेएनएन, चंडीगढ़ : हरियाणा में सीपीएस (मुख्य संसदीय सचिव) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान सामने नहीं रखा गया जिसके तहत सीपीएस की नियुक्ति की गई हो। इस दौरान कानून बनाकर सीपीएस की नियुक्ति को वैध करने की बात पर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह कानून बनाना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और न ही विधानसभा में इसे लाया जा सकता है। इसे केवल संसद में ही पास करवाया जा सकता है। इसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षो को अपने पक्ष में जजमेंट पेश करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई बुधवार तक टाल दी।
मंगलवार को मामले की सुनवाई आरंभ होते ही हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि आखिर कौन से कानूनी अधिकार से सीपीएस की नियुक्ति की गई है। इस दौरान हरियाणा सरकार और सीपीएस की ओर से मौजूद वकील ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित पंजाब सरकार की अपील का हवाला देते हुए कहा कि उस अपील में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न पंजाब के सीपीएस की नियुक्तियों को खारिज करने वाले आदेशों पर रोक लगा दी जाए।
इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहींं लगाई है और ऐसे में यह फैसला अभी भी कायम है। ऐसे में क्यों न सीपीएस के सारे वित्त लाभ रोक दिए जाएं। हरियाणा सरकार और सीपीएस के वकील ने इसका विरोध करते हुए अपना पक्ष रखने हेतू समय मांगा गया। हाई कोर्ट ने अपील मंजूर करते हुए सुनवाई 28 मार्च तक टाल दी।
मामले में याचिका दाखिल करते हुए कहा गया था कि हरियाणा सरकार ने सीपीएस का पद मनमर्जी से सृजित किया है। इस पद को सृजित करने से इन विधायकों को विशेष दर्जा दिया गया है जिसके लिए इन्हें जनता की गाढ़ी कमाई से भुगतान किया जाता है। याची पक्ष की ओर से पंजाब के सीपीएस की नियुक्ति खारिज करने के फैसले को आधार बनाते हुए हरियाणा के सीपीएस की नियुक्ति भी खारिज करने की अपील की गई है।
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