कांग्रेस विधायक मामन खान की जान को खतरा? हाईकोर्ट से मांगी Z या Z+ श्रेणी की सुरक्षा
हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस विधायक मामन खान ने जान को खतरा बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने सरकार से सुरक्षा ...और पढ़ें

गंभीर खतरे का हवाला देकर कांग्रेस विधायक मामन खान ने हाईकोर्ट की शरण ली।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के नूंह जिले की फिरोजपुर झिरका विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक मामन खान ने अपनी जान को गंभीर और निरंतर खतरा बताते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका में विधायक ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने, जेड या जेड-प्लस श्रेणी की सुरक्षा देने तथा बिना न्यायालय की अनुमति सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं करने के निर्देश देने की मांग की है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी प्रतिवादी पक्षों को 22 जनवरी तक जवाब दायर करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
याचिका के अनुसार मामन खान एक संवेदनशील और सांप्रदायिक रूप से नाजुक क्षेत्र से आते हैं और लगातार सक्रिय राजनीतिक जीवन में हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि उनकी बढ़ती राजनीतिक सक्रियता और सरकार की नीतियों की मुखर आलोचना के चलते उन्हें संगठित आपराधिक गिरोहों से लगातार धमकियां मिल रही हैं। याचिका में विशेष रूप से कुख्यात गैंगस्टरों लारेंस बिश्नोई और रोहित गोदारा से जुड़े तत्वों द्वारा निगरानी और संभावित हमले की आशंका का जिक्र किया गया है।
याचिका में यह भी बताया गया है कि जनवरी 2025 में नूंह के पुलिस अधीक्षक द्वारा विधायक के निजी वाहन को बुलेटप्रूफ कराने की अनुमति दी गई थी, जिसमें स्पष्ट रूप से गंभीर खतरे का उल्लेख किया गया था। इसके बावजूद विधायक का कहना है कि उपलब्ध कराई गई सुरक्षा न तो पर्याप्त है और न ही नियमित रूप से तैनात रहती है, जिससे उनकी और उनके परिवार की जान जोखिम में बनी हुई है। विधायक को अस्थायी रूप से नूंह से गुरुग्राम स्थानांतरित करना पड़ा।
मामन खान ने याचिका में आरोप लगाया है कि तीन नवंबर 2025 को उन्होंने मुख्यमंत्री और संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को लिखित रूप से सुरक्षा बढ़ाने का अनुरोध किया था, लेकिन अब तक न तो उन अभ्यावेदनों पर कोई निर्णय लिया गया और न ही कोई ठोस कार्रवाई की गई।
याचिका में हाईकोर्ट से यह भी अनुरोध किया गया है कि अदालत अंतरिम आदेश पारित कर याचिका के लंबित रहने तक सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कटौती पर रोक लगाए और एक स्वतंत्र, खुफिया-आधारित थ्रेट असेसमेंट कराकर उचित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दें।

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