धान की खेती पर सियासत: सीएम मनोहरलाल ही नहीं कांग्रेसियों को भी सता रही है पानी की कमी
हरियाणा में पानी पर राजनीति गर्मा गई है। हरियाणा सरकार द्वारा पानी की कमी के मद्देनजर कदम उठाया गया तो कांग्रेस ने विरोध किया। वैसे कांग्रेस नेता भी पानी की कमी से चिंतित हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। हरियाणा में धान की खेती को लेकर चढ़ा सियासी पारा अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयान के बाद उतर गया है, लेकिन दक्षिण हरियाणा में पानी की कमी के कारण सभी राजनीतिक दलों के नेता चाहते हैं कि पानी की बचत की जाए और दक्षिण हरियाणा तक पानी पहुंचे।
दक्षिण हरियाणा में कांग्रेसी भी मांग रहे हैं पानी
पानी की बचत को ध्यान में रखकर हरियाणा सरकार ने 40 मीटर से नीचे भूजल वाले क्षेत्रों में धान की खेती की बजाए किसानों को मक्का, ज्वार, गन्ना, दाल, तिलहन की फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया था। इसके लिए सरकार ने धान की खेती छोडऩे वाले किसानों को सात हजार रुपये प्रति एकड़ आर्थिक प्रोत्साहन की भी घोषणा की थी। लेकिन, विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस ने इसे सियासी मुद्दा बना दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कम पानी वाले क्षेत्रों के किसानों को धान की खेती न करने की सिर्फ सलाह दी गई है। किसानों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल के इस बयान के बाद विपक्ष के नेता भले ही इसे अपनी जीत बता रहे हैं, लेकिन दक्षिण हरियाणा के उनके ही दल के नेता क्षुब्ध हैं। उनका मानना है कि ज्यादा पानी लेने वाली फसल से किसानों को परहेज करना चाहिए। इसके लिए भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह ने खुलेआम अपनी बात कह चुके हैं।
अब कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा का भी कहना है कि पानी की बचत के लिए सरकार किसानों को जागरूक करे। अन्यथा न तो एसवाइएल का पानी दक्षिण हरियाणा में आएगा और न ही मौजूदा पानी से दक्षिण हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलेगा। इससे दक्षिण हरियाणा में अभी तो सिंचाई के ही पानी की समस्या है, आने वाले समय में पीने के पानी की भी समस्या हो जाएगी। नीरज बताते हैं कि पूरे क्षेत्र में पानी की कमी के कारण उनके एनआइटी विधानसभा क्षेत्र में तो लोग पीने के पानी की किल्लत भी झेल रहे हैं।
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पानी बचाने के अलावा पौष्टिकता पर जोर दे रहे हैं सांसद धर्मबीर
भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह का कहना है कि दादरी क्षेत्र में तो आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां धान की फसल बोने पर गांववासी उस किसान का बहिष्कार करते हैं। गांव के जागरूक लोग किसान को समझाते हैं कि धान की बजाए ऐसी फसल बोई जाए, जिसमें पानी कम लगे।
धर्मबीर सिंह के अनुसार वह लोकसभा में भी कई बार यह मुद्दा रख चुके हैं कि चावल सिर्फ पेट भरने के काम आता है। इसका उत्पादन केवल वहां होना चाहिए जहां पानी भरपूर हो। हरियाणा जहां पानी सीमित है वहां गेहूं,चना, जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार सहित दाल,तिलहन की फसल बोई जानी चाहिए। क्योंकि इन फसलों से पौष्टिक आहार मिलता है। जब वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का संकट हो तब पौष्टिक आहार उत्पादन की तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए।
भाजपा पूर्व शिक्षा मंत्री और महेंद्रगढ़ से कई बार विधायक रह चुके पंडित रामबिलास शर्मा तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल से यह गुहार लगा चुके हैं कि दक्षिण हरियाणा जहां पारा 48 डिग्री तक पहुंच जाता है, वहां अंतिम छोर तक पानी पहुंचना चाहिए।
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