Rajya Sabha Chunav 2022: हरियाणा में निर्दलीय और जजपा विधायकों में प्रेम-पींग बढ़ा रही कांग्रेस, क्रास वोटिंग का खतरा बरकरार
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होना है। इसमें एक सीट पर कांटे की टक्कर है। इस सीट पर निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन को टक्कर देने की स्थिति में हैं।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए 10 जून को होने वाला चुनाव रोचक होता जा रहा है। एक सीट पर भाजपा प्रत्याशी कृष्णलाल पंवार का जीतना तय है, जबकि दूसरी सीट पर कांग्रेस के अजय माकन और भाजपा, जजपा व निर्दलीय विधायकों द्वारा समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के बीच कांटे का मुकाबला है। पहली सीट पर कृष्णलाल पंवार को 31 वोट देने के बाद बाकी बचे नौ भाजपा विधायकों का समर्थन कार्तिकेय शर्मा को मिलेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल शनिवार को इसका ऐलान कर चुके हैं।
हरियाणा लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा ने रविवार को अपना समर्थन कार्तिकेय शर्मा को दिया है। इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला, महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और आदमपुर के कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इन तीनों विधायकों का रुख किसी भी उम्मीदवार की हार-जीत तय करेगा। कांग्रेस की कोशिश निर्दलीय व जजपा विधायकों में सेंधमारी करने की है।
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला को हरियाणा के राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत को पार्टी पर्यवेक्षक बनाया है। कांग्रेस विधायक छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित मेफेयर होटल में ठहरे हुए हैं।
भूपेश बघेल वहां उनसे एक बार मुलाकात कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस विधायकों की रायपुर में मौजूदगी को प्रशिक्षण शिविर का नाम दिया है। कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई और किरण चौधरी इस प्रशिक्षण शिविर में नहीं गए हैं। कुलदीप खुद को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाए जाने से पार्टी हाईकमान से नाराज हैं। वह राहुल गांधी से अपनी मुलाकात का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने विधायकों से अपनी अंतर आत्मा की आवाज पर वोट देने की अपील करते हुए खुद को पुराना कांग्रेसी बताया है। अंतर आत्मा की आवाज पर वोट देने को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कुलदीप बिश्नोई में आरोप प्रत्यारोप हो चुके हैं। हुड्डा ने कहा है कि किसी की भी अंतर आत्मा पार्टी में ही बसी होती है। इसके विपरीत, यदि कुलदीप की राहुल गांधी से मुलाकात नहीं होती और वह क्रास वोटिंग करते हैं तो उनका राजनीतिक भविष्य दांव पर लग सकता है।
इसकी एक वजह यह है कि कुलदीप के भाजपा में जाने के तमाम प्रयास पूर्व में विफल हो चुके हैं, जबकि आप उन्हें अपनी पार्टी में लेने को तुरंत राजी नहीं है। कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन द्वारा बिश्नोई से फोन पर बात की गई है। दोनों आपस में बिजनेस पार्टनर भी बताए जाते हैं, इसलिए कुलदीप कांग्रेस उम्मीदवार से बाहर जाएंगे, इसके सिर्फ कयास हैं।
दूसरे दलों के विधायकों से रिश्ते भुनाने की कोशिश में दीपेंद्र
कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की सीट जीतने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा बेहद सक्रिय हैं। कांग्रेस के 31 विधायक हैं। सभी विधायकों द्वारा कांग्रेस को वोट देने का हुड्डा व दीपेंद्र को पूरा भरोसा है, लेकिन कुलदीप जिस तरह से बार-बार नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, उससे उनकी भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। इसके बावजूद दीपेंद्र व भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस विधायक कुलदीप के संपर्क में हैं और उन्हें पार्टी के लिए वोट देने के लिए मना रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान की ओर से भी ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं। नंबर गेम के मास्टर माइंड भूपेंद्र हुड्डा व दीपेंद्र की कोशिश है कि अजय माकन को जीतने के लिए जरूरी 31 से अधिक वोट मिलें। इसके लिए वह कुछ निर्दलीय व कुछ जजपा विधायकों के संपर्क में हैं।
दीपेंद्र हुड्डा के प्रयास सिरे चढ़े तो वह जजपा व निर्दलीय विधायकों को कोई बड़ा खेल कर सकते हैं। भूपेंद्र हुड्डा व दीपेंद्र का इन विधायकों के साथ व्यक्तिगत प्रेम-संपर्क है। इसलिए जरूरत के मौके पर यह रिश्ते भुनाये जा सकते हैं।
निर्दलीय विधायकों को कांग्रेस व कार्तिकेय के मिलने की आस
दूसरी तरफ, पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय अपनी जीत के लिए विधायकों के संपर्क में हैं। जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ कार्तिकेय शर्मा की राजनीतिक सांठगांठ पर राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा है। जिसके जितने मुंह, उतनी बात कही जा रही है।
कई निर्दलीय विधायक ऐसे हैं, जिनका कहना है कि वह भले ही वोट कार्तिकेय शर्मा को देने की बात कह रहे हैं, लेकिन उनकी चाय में जो जितना गुड़ डालेगा, उतनी मीठी चाय पीने को मिलेगी। यानी अभी तक कई विधायक ऐसे हैं, जिनकी राजनीतिक सेटिंग सिरे नहीं चढ़ पाई है, जिस कारण क्रास वोटिंग की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।
कुछ विधायक ऐसे भी हैं, जो कह रहे हैं कि उनके नेता की भले ही निर्दलीय उम्मीदवार से समर्थन के लिए बातचीत हो चुकी है, लेकिन जब तक कोई उनसे व्यक्तिगत संपर्क नहीं करेगा, तब तक वह वोट का निर्णय सार्वजनिक नहीं करने वाले हैं।