हरियाणा: उपभोक्ता आयोग और ब्यूरोक्रेट्स के बीच टकराव, हाईकोर्ट का बड़ा हस्तक्षेप; सभी सरकारी आदेशों पर लगाई रोक
हरियाणा राज्य उपभोक्ता आयोग और ब्यूरोक्रेट्स के बीच बढ़ते विवाद में हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए सरकारी आदेशों पर रोक लगा दी है। जस्टिस टीपीएस मान ने सरकार पर आयोग के कामकाज में बाधा डालने का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट ने जस्टिस मान की सुरक्षा वापस लेने पर भी सरकार से जवाब मांगा है। जस्टिस मान को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत प्रशासनिक अधिकार प्राप्त हैं।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। हरियाणा राज्य उपभोक्ता आयोग और ब्यूरोक्रेट्स के बीच बढ़ते टकराव के बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक बड़ा हस्तक्षेप करते हुए आयोग के खिलाफ जारी सभी सरकारी आदेशों पर रोक लगा दी है।
यह आदेश उस समय आया जब आयोग के अध्यक्ष और हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस टीपीएस मान ने सरकार के लगातार “दैनिक हस्तक्षेप” को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जस्टिस मान ने याचिका में दावा किया कि सरकार, विशेष रूप से खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के प्रधान सचिव, आयोग की स्वतंत्र कार्यप्रणाली में बाधा डाल रहे हैं। इससे न केवल आयोग की कार्यक्षमता प्रभावित हुई है, बल्कि कर्मचारियों को वैध निर्देशों की अवहेलना करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है।
सुरक्षा वापसी पर भी हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि जस्टिस मान की सुरक्षा क्यों और किस आधार पर वापस ली गई। यह मुद्दा उस याचिका के दौरान उठा, जिसमें आयोग ने सरकारी अधिकारियों पर गैरकानूनी हस्तक्षेप और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसले लेने का आरोप लगाया।
आयोग अध्यक्ष को कानूनन प्राप्त हैं प्रशासनिक अधिकार
जस्टिस टीपीएस मान को 29 दिसंबर, 2018 को हाई कोर्ट की सिफारिश पर आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 70 के तहत उन्हें राज्य और जिला उपभोक्ता आयोगों के प्रशासनिक प्रमुख का दर्जा प्राप्त है। इसका अर्थ है कि नियुक्तियां, स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई उनके अधिकार क्षेत्र में आती है।
प्रमुख घटनाएं जो याचिका में उठाई गई
20 जनवरी 2025: राज्य सरकार ने पलवल के आयोग अध्यक्ष फूल सिंह का स्थानांतरण अंबाला की अध्यक्ष नीना संधू से करने का आदेश दिया। संधू ने हाई कोर्ट में इसे चुनौती दी, जहां कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी और स्पष्ट किया कि यह निर्णय राज्य आयोग अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है।
पंचकूला आयोग मामला: एक सदस्य का जींद में स्थानांतरण आयोग द्वारा दुराचार के आधार पर किया गया था, जिसे बाद में प्रधान सचिव ने रद्द कर दिया।
उप अधीक्षक गौरव विवाद: याचिका में गौरव के मामले का भी विवरण दिया गया, जो राज्य आयोग में एक उप-अधीक्षक हैं और उन पर बार-बार दुराचार और वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें स्वयं जस्टिस मान शामिल हैं, के साथ दुर्व्यवहार का आरोप है।
16 जून को, गौरव ने कथित तौर पर न्यायिक और प्रशासनिक कर्मचारियों की मौजूदगी में अध्यक्ष के साथ टकराव किया और उन्हें अपशब्द कहे, साथ ही आधिकारिक रिकार्ड जब्त कर लिए।
बाद में उन्हें चार्जशीट दी गई, उनके दुराचार के बारे में सीसीटीवी फुटेज दिखाए गए, और गवाहों को डराने से रोकने के लिए यमुनानगर स्थानांतरित किया गया। हालांकि, प्रधान सचिव ने जांच कार्यवाही पर रोक लगा दी और स्थानांतरण रद्द कर दिया
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