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गाम्बिया में बच्चों की मौत की जिम्मेदार दवा कंपनी का पुराना संदिग्ध रिकार्ड, विज के निर्देश पर रिपोर्ट तैयार

गाम्बिया में जिस भारतीय कंपनी का कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत हुई है उस हरियाणा की दवा कंपनी को वियतनाम कर ब्लैकलिस्ट कर चुका है। गुजरात केरल और बिहार में भी इस पर कार्रवाई हो चुकी है। अब हरियाणा में भी रिपोर्ट तैयार है।

By Jagran NewsEdited By: Kamlesh BhattPublished: Sat, 08 Oct 2022 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 08 Oct 2022 07:41 PM (IST)
मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड का पहले भी रहा संदिग्ध रिकार्ड। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। अफ्रीकी देश गाम्बिया में जिस भारतीय कंपनी का कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत हुई है, वह काफी लंबे समय से विवादों में चली आ रही है। हरियाणा के सोनीपत में स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड नाम की इस कंपनी को कई राज्यों में संदिग्ध मानकर कार्रवाई की जा चुकी है।

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मेडेन फार्मास्युटिकल्स उन भारतीय 39 दवा निर्माता कंपनियों में शामिल है, जिन्हें वियतनाम ने दवा नियंत्रक मानकों के उल्लंघन में ब्लैकलिस्ट कर दिया था। गुजरात, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी यह दवा निर्माता कंपनी विवादित रह चुकी है। केरल, गुजरात और बिहार की राज्य सरकारें तो मेडेन फार्मास्युटिकल्स पर कार्रवाई कर चुकी हैं। पिछले सात साल में इस फार्मा कंपनी की करीब छह दवाएं ऐसी थीं, जो गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतर पाईं. जिनमें से चार इसी साल बनाई गई थी।

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के निर्देश पर चीफ ड्रग कंट्रोलर डा. मनमोहन तनेजा ने इस कंपनी की पूरी कुंडली तैयार की है। ड्रग कंट्रोलर के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम ने कंपनी के सोनीपत स्थित मुख्यालय पर छापेमारी करने के साथ ही पूरे प्रदेश में उन दवाओं की जांच की, जिन्हें पीने से गाम्बिया में बच्चों की मौत हुई है।

हालांकि टीम को यह दवाइयां खुले बाजार में नहीं मिली, लेकिन जो रिपोर्ट तैयार हुई, उसके मुताबिक मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई जा रही इन दवाओं की बिक्री भारत में नहीं की जाती। यह दवाइयां सिर्फ विदेश में निर्यात के लिए हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा कि बिना मानकों की उचित जांच और पुरानी कार्रवाई के रिकार्ड के बावजूद इस कंपनी को इतनी छूट कैसे दी जाती रही कि वह अपनी दवाइयां बिना रोक-टोक लंबे समय से निर्यात कर रही है। इस कंपनी की दवाइयां अवैध रूप से हिमाचल, महाराष्ट्र और दिल्ली में भी बिकने की जानकारी मिली है।

मेडेन फार्मास्युटिकल्स का पिछला रिकार्ड काफी संदिग्ध और विवादास्पद है। गाम्बिया में बच्चों की मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जिन दवाओं को प्रतिबंधित किया है, उनमें प्रोमेथाजिन ओरल साल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मकाफ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप शामिल हैं। ये सभी सोनीपत स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स ने बनाए हैं। इन दवाइयों में डायथाइलीन ग्लाइकाल और एथिलीन ग्लाइकाल की मात्रा मंजूरी से ज्यादा थी।

गुजरात और केरल में पांच बार घटिया मिली दवाई

गुजरात और केरल सरकारों ने पिछले नौ सालों में कम से कम छह बार मेडेन फार्मास्युटिकल्स की बनाई दवाओं के घटिया बैच की जानकारी सार्वजनिक की है। केरल में मेडेन फार्मास्युटिकल्स के बनाए गए प्रोडक्ट 2021 और 2022 में कम से कम पांच बार घटिया क्वालिटी के पाए गए थे।

इन दवाओं के सभी बैच हरियाणा में तैयार किए गए थे। केरल के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मार्च 2022 में पलक्कड़ के एक अस्पताल से और सितंबर 2022 में एर्नाकुलम के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से टाइप-टू डायबिटीज के ईलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा मेटफार्मिन के सैंपल लिए थे।

हरियाणा में बनाए गए लगभग सभी सैंपल या तो डिसाल्यूशन टेस्ट में फेल हो गए या आइपी स्टैंडर्ड के मुताबिक नहीं थे। बिहार सरकार ने 2011 में घटिया दवाओं की सप्लाई के लिए मेडेन फार्मास्युटिकल्स समेत दो दवा कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया था।

बिहार में टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो चुकी कंपनी

बिहार सरकार कह चुकी है कि हरियाणा की यह कंपनी कई बार राज्य में नकली और घटिया दवाओं की सप्लाई करती पाई गई थी। बिहार सरकार ने कंपनी को दवा सप्लाई के लिए राज्य की टेंडर प्रक्रिया तक से बाहर कर दिया था। पता चला है कि मेडेन फार्मास्युटिकल के दो डायरेक्टर नरेश कुमार गोयल और तकनीकी निदेशक एमके शर्मा पर 2018 में गाजियाबाद में सीडीएससीओ के ड्रग इंस्पेक्टर की तरफ से दायर एक मामले में ड्रग क्वालिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।

मेडेन की इन दवाइयों पर उठ चुके सवाल

मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की तरफ से हाई ब्लड शुगर के लिए तैयार की गई दवा मेटोमिन इस साल टेस्ट में फेल हो चुकी है। इस दवा के दो बैच इस साल और एक तीसरा बैच पिछले साल टेस्ट में फेल हुआ था। इस साल मार्च में इस कंपनी की माइसल-डी टैबलेट भी अपना गुणवत्ता टेस्ट पास नहीं कर पाई थी। इसका इस्तेमाल विटामिन-डी और कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाना था।

इन टैबलेट को भी हरियाणा के सोनीपत यूनिट में तैयार किया गया था। इसके अलावा जून में इसी कंपनी की एस्प्रिन 75 एमजी भी लेबोरेट्री टेस्ट पूरी तरह पास नहीं कर पाई थी। इस दवा का इस्तेमाल खून को पतला करने के लिए किया जाता है। इससे पहले दिसंबर 2015 में वडोदरा (गुजरात) में स्थित फूड एंड ड्रग लेबोरेटरी ने एक रिपोर्ट में बताया था कि मेडेन की मैकीप्रो 250 टैबलेट अपने डिजाल्यूशन टेस्ट में पास नहीं हो पाई है। इस दवा का इस्तेमाल बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने के लिए किया जाता है।

अनिल विज बोले- केंद्र सरकार की मामले पर निगाह 

हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कहना है कि इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार निगाह रखे हुए हैं। वहीं से समस्त कार्रवाई चल रही है। पहले कंपनी की पूरी प्रोफाइल और उसके द्वारा बनाई जा रही दवाइयों की गहराई में जाकर जांच होगी। किसी भी बड़ी कार्रवाई से पहले केंद्र सरकार पूरी तरह आश्वस्त हो लेना चाहती है कि क्या वास्तव में भारतीय कंपनी का कोई दोष है।

विज ने कहा कि इसके लिए पूरे देश में सैंपल लेने की प्रक्रिया जारी है। हरियाणा में भी हालांकि सैंपल लिए गए हैं, लेकिन यह दवाई सिर्फ एक्सपोर्ट के लिए थी। केंद्र सरकार जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद कार्रवाई के जो भी निर्देश हरियाणा सरकार को देगी, उन्हें पूरी गंभीरता से साथ लागू किया जाएगा।


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