चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन स्नैचिंग केस : बरामदगी में विरोधाभास, पहचान परेड में चूक, कोर्ट ने किया बरी
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन स्नैचिंग मामले में अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया। अदालत ने पुलिस की जांच में खामियां पाईं और अभियोजन पक्ष को संदेह से परे मामला साबित करने में विफल बताया। शिकायतकर्ता का पर्स रेलवे स्टेशन पर चोरी हो गया था लेकिन अदालत ने पुलिस की बरामदगी की कहानी को झूठा पाया।

जागरण संवाददाता, पंचकूला। अदालत ने एक साल पुराने स्नैचिंग केस में उत्तर प्रदेश निवासी 24 वर्षीय आरोपित छोटेलाल को बरी कर दिया। सेशंस जज ने पुलिस की जांच में गंभीर खामियां गिनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अपना केस संदेह से परे साबित करने में बुरी तरह नाकाम रहा।
अदालत ने कहा कि पुलिस और सरकारी वकील आरोपित के खिलाफ अपना केस संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा है। इसलिए उसे लगाए गए आरोप से बरी किया जाता है। यह मामला 3 फरवरी 2024 को दर्ज हुआ था।
शिकायतकर्ता पिंकी, जो हिमाचल के ऊना में पंचायत राज विभाग में तकनीकी सहायक हैं, ने पुलिस को बताया था कि 26 जनवरी 2024 को जब वह साबरमती-दौलतपुर चौक ट्रेन से जयपुर से ऊना जा रही थीं, तभी पंचकूला-चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से ट्रेन रवाना होते समय करीब सुबह 8:30 बजे किसी अज्ञात शख्स ने उनका पर्स छीन लिया।
पर्स में मोबाइल फोन, आधार कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड और कुछ नकद राशि थी। इस पर जीआरपी ने मामला दर्ज किया। पुलिस ने मार्च 2024 में छोटेलाल को गिरफ्तार किया और दावा किया कि उसने खुलासे के बाद मोबाइल फोन बरामद करवाया। लेकिन अदालत ने पाया कि पुलिस की बरामदगी कहानी झूठी है।
पुलिस ने कहा कि मोबाइल रेलवे स्टेशन के पास एक पर्स से मिला, जबकि गवाह ने अदालत में बयान दिया कि आरोपित ने फोन उसे बेच दिया था और पुलिस ने वही मोबाइल उसकी चाय की दुकान से बरामद किया। अदालत ने इसे पुलिस द्वारा तैयार की गई झूठी रिकवरी मेमो करार दिया।
पुलिस ने नहीं करवाई पहचान परेड
अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने अपनी शुरुआती शिकायत में आरोपी का कोई हुलिया नहीं बताया और पुलिस ने उसकी पहचान परेड भी नहीं करवाई। इस वजह से अदालत में की गई पहचान को कानून की नजर में निरर्थक माना गया। साथ ही, रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी पेश नहीं की गई, जिसे अदालत ने गंभीर चूक बताया।
न्यायाधीश ने कहा कि धारा 201 आईपीसी के तहत अपराध भी साबित नहीं होता, क्योंकि इस बात का कोई सबूत नहीं कि आरोपी ने पर्स मालगाड़ी में फेंका था। आरोपित द्वारा बाद में घटना स्थल की निशानदेही भी महत्वहीन है, क्योंकि पुलिस पहले से उस स्थान को जानती थी।
इन सभी खामियों और विरोधाभासों को देखते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी की दोष सिद्धि में नाकाम रहा है। नतीजतन, आरोपित छोटेलाल को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
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