रामपाल का हाईकोर्ट में पछतावा, अवमानना स्वीकार कर जमानत के बाद अदालत का सम्मान निभाने का किया वादा
चंडीगढ़ हाई कोर्ट में रामपाल और उसके साथियों ने अदालत की अवमानना स्वीकार की। उनके वकील ने कहा कि उन्हें पछतावा है और भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी वे अदालत का सम्मान करेंगे। 2014 में हाई कोर्ट ने रामपाल के रवैये पर संज्ञान लिया था जिसके बाद से वह जेल में है। गिरफ्तारी के दौरान हिंसक झड़प हुई थी और उस पर कई गंभीर आरोप हैं।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़।
हाई कोर्ट की अवमानना का सामना कर है कथित संत राम पाल व उसके साथी अपना अपना दोष स्वीकार करने को तैयार हैं। हाई कोर्ट में राम पाल के वकील ने कहा कि आरोपिताें को घटना पर पछतावा है और वे भविष्य में किसी भी परिस्थिति में इस तरह की गलती दोहराने का साहस नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अदालत और उसके आदेशों की गरिमा का सम्मान करेंगे।
ज्ञात रहे कि हाई कोर्ट ने न्यायपालिका के खिलाफ राम पाल व उसके साथियों के रवैये पर कड़ा रुख अपनाते हुए संज्ञान लेकर 2014 में अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। तब से राम पाल जेल में बंद है।
2014 में जब पुलिस राम पाल को गिरफ्तार करने गई तो उसने अपनी गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए महिलाओं और बच्चों सहित बड़ी संख्या में भक्तों को इकट्ठा किया। इसी गिरफ्तारी के दौरान हिंसक झड़प हुई थी। राम पाल के खिलाफ 2014 में एक और एफआईआर दर्ज की गई।
एफआईआर के अनुसार, राम पाल ने लगभग 600-700 महिलाओं और बच्चों को मुख्य द्वार के बाहर बैठा दिया और 1500-2000 युवा लाठी, बम और बंदूक लेकर आश्रम की छत पर तैनात थे। जब पुलिस ने लाउडस्पीकर पर घोषणा की कि गिरफ्तारी वारंट हैं तो राम पाल के सहयोगियों ने आश्रम के बाहर डीजल और पेट्रोल के केन वाले लोगों को बैठा दिया, जो पुलिस को धमकी दे रहे थे कि वे राम पाल को गिरफ्तार नहीं होने देंगे और पुलिस को ऐसा करने के लिए उनके शवों के ऊपर से गुजरना पड़ेगा।
ट्रायल कोर्ट रामपाल को दो अलग-अलग आरोपों में हत्या का दोषी ठहराया चुका है जिस पर पिछले दिनों हाई कोर्ट ने रोक लगाते हुए उनको जमानत देने का आदेश दिया था। हालांकि राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामले में वह अभी जेल में बंद है।
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