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    हरियाणा में वोट चोरी के आरोप के बीच चुनाव आयोग ने संभाला मोर्चा, मोहन लाल बडौली बोले- हमें 22 सीटें और मिलती; अगर...

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 09:15 PM (IST)

    हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि मतदाता सूचियों का संशोधन एक सामान्य प्रक्रिया है और राजनीतिक दलों को त्रुटि सुधारने का पर्याप्त समय दिया जाता है। उन्होंने वोट चोरी के आरोपों का खंडन किया और कहा कि मतदाता सूचियों पर आपत्तियां दर्ज नहीं कराई गईं। राहुल गांधी के आरोपों के बाद हलफनामा मांगा गया है जिसका जवाब आना बाकी है।

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    हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ।  लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को नोटिस भेजकर वोट चोरी के आरोपों पर हलफनामा मांग चुके हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ए श्रीनिवास ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के लिए मतदाता सूचियों का संशोधन सामान्य और रुटीन की प्रक्रिया है।

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    राज्यों की मतदाता सूची तैयार करने के प्रत्येक चरण में राजनीतिक दलों की भागीदारी और त्रुटियों को सुधारने के लिए चुनाव आयोग की ओर से पर्याप्त समय और अवसर प्रदान किया जाता है, ताकि शुद्ध मतदाता सूचियां लोकतंत्र को मजबूत बना सकें। उन्होंने इस बात से इन्कार किया कि चुनाव में किसी तरह की वोट चोरी हुई है।

    साथ ही आशंका जताई कि मतदाता सूचियों के प्रकाशन के बाद कुछ राजनीतिक दलों ने इन पर अपनी कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई, जिसका मतलब स्पष्ट है कि मतदाता सूचियों में कोई खामी नहीं थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नई दिल्ली में प्रेस कान्फ्रेंस कर बाकी राज्यों की तरह हरियाणा को लेकर भी कहा था कि 22 हजार 779 वोटों से कांग्रेस राज्य में आठ सीटें हारी है।

    इसके जवाब में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और मुख्यमंत्री नायब सिंह ने दावा किया था कि राज्य में सात विधानसभा सीटें भाजपा सिर्फ 3500 से कम वोटों के अंतर हारी है। भाजपा को यदि 22 हजार वोट और मिल जाते तो राज्य में पार्टी 22 सीटें और जीत जाती। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी से हलफनामा देकर जवाब मांगा था, जिसका अभी कोई जवाब नहीं आया है।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद उसकी डिजिटल और प्रकाशित भौतिक प्रतियां सभी राजनीतिक दलों को उपलब्ध करवाई जाती हैं और साथ ही उन्हें भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर भी डाला जाता है, ताकि कोई भी इसका अवलोकन कर सके। ए श्रीनिवास ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करने से पहले मतदाताओं और राजनीतिक दलों को दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पूरे एक महीने का समय दिया जाता है।

    अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद अपील की एक द्वि-स्तरीय प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट के पास और दूसरी अपील प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास की जा सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलएएस) द्वारा सही समय पर मतदाता सूचियों की जांच नहीं की गई और यदि कोई त्रुटि थी तो उसे एसडीएम/ईआरओ, डीइओ या सीइओ के संज्ञान में नहीं लाया गया।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति मतदाता सूचियों में त्रुटियों के बारे में अब मुद्दे उठा रहे हैं, जिनमें पूर्व में तैयार की गई मतदाता सूचियां भी शामिल हैं। यदि यह मुद्दे सही समय पर सही माध्यमों से उठाए गए होते तो संबंधित एसडीएम और ईआरओ को चुनावों से पहले गलतियां सुधारने में मदद मिलती।

    चुनाव आयोग राजनीतिक दलों और किसी भी मतदाता द्वारा मतदाता सूची की जांच का स्वागत करता है। इससे एसडीएम और ईआरओ को त्रुटियों को दूर करने और मतदाता सूची को शुद्ध करने में मदद मिलेगी, जो हमेशा से चुनाव आयोग का उद्देश्य रहा है।