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    हरियाणा: CET पॉलिसी को हाईकोर्ट में चुनौती, तकनीकी पदों के लिए अलग परीक्षा की मांग

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 07:54 PM (IST)

    हरियाणा में ग्रुप सी और डी पदों की भर्ती के लिए सीईटी पालिसी को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं ने तकनीकी पदों के लिए अलग परीक्षा की मांग की है क्योंकि मौजूदा नीति में तकनीकी और गैर-तकनीकी उम्मीदवारों को एक साथ शामिल किया गया है। उनका तर्क है कि यह नीति मनमानी और असंगत है जिससे विशेषज्ञ उम्मीदवारों के अवसर प्रभावित हो रहे हैं।

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    सीईटी पॉलिसी को हाईकोर्ट में चुनौती। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में ग्रुप-सी और ग्रुप-डी पदों की भर्ती के लिए लागू की गई कामन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) पालिसी को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में कानूनी चुनौती मिली है।

    याचिकाकर्ताओं ने एक ही तरह की परीक्षा में तकनीकी योग्यता और अनुभव रखने वाले अभ्यर्थियों को अन्य विषयों के उम्मीदवारों के साथ शामिल करना अनुचित है यह तर्क देते हुए तकनीकी पदों के लिए अलग सीईटी परीक्षा आयोजित करने की मांग उठाई है।

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    याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील दी कि सरकार की मौजूदा सीईटी पालिसी मनमानी, अतार्किक और असंगत है। उनका कहना है कि विभिन्न तकनीकी विभागों जैसे स्वास्थ्य, कृषि, इंजीनियरिंग, बिजली, मैकेनिकल, कंप्यूटर व अन्य क्षेत्रों में पदों के लिए विशेषज्ञ ज्ञान और अनुभव की आवश्यकता होती है, लेकिन सरकार ने सामान्य सीईटी लागू कर इन पदों पर भी सामान्य अभ्यर्थियों को शामिल कर दिया है। इससे विशेषज्ञ उम्मीदवारों के अवसर प्रभावित हो रहे हैं।

    याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि 31 दिसंबर 2024 को हरियाणा सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर तकनीकी पदों के लिए भी सामान्य सीईटी को अनिवार्य कर दिया। इसके खिलाफ विभिन्न अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई थी, लेकिन उनकी आपत्तियों पर विचार किए बिना नीति लागू कर दी गई। याचिकाकर्ताओं ने इस नीति को रद करने और तकनीकी पदों के लिए अलग पात्रता परीक्षा आयोजित करने की मांग की है।

    मामले की सुनवाई दौरान, सरकार की ओर से कहा गया कि इस नीति से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत जवाब तैयार करने के लिए उन्हें समय चाहिए। कोर्ट ने सरकार को समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख 21 अगस्त 2025 निर्धारित की है।

    याचिका में दिए गए तथ्यों के अनुसार, 26 मई 2025 और 27 जून 2025 को हुई सीईटी परीक्षाओं में तकनीकी पदों के लिए भी वही प्रश्न पूछे गए जो गैर-तकनीकी पदों के लिए होते हैं। इससे तकनीकी विषयों में विशेषज्ञता रखने वाले अभ्यर्थियों को प्रतिस्पर्धा में अनुचित नुकसान हुआ।