हाईकोर्ट ने किया अवैध भूजल दोहन मामले में BPTP पर लगा जुर्माना रद्द, HWRA को दोबारा जांच करने के आदेश
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बीपीटीपी लिमिटेड पर लगे 2.11 करोड़ रुपये के जुर्माने को रद्द कर दिया। कोर्ट ने माना कि कंपनी को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला। अदालत ने एचडब्ल्यूआरए को दोबारा जांच करने का आदेश दिया है और 11 सितंबर को साइट का निरीक्षण करने को कहा है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गुरुग्राम स्थित रियल एस्टेट कंपनी बीपीटीपी लिमिटेड पर हरियाणा वाटर रिसोर्स अथॉरिटी ( एचडब्ल्यूआरए) द्वारा लगाई गई 2.11 करोड़ रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने माना कि कार्रवाई के दौरान प्राकृतिक न्याय और विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिससे कंपनी को अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने बीपीटीपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए एचडब्ल्यूआरए का आदेश निरस्त कर दिया और मामले की दोबारा जांच करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि 11 सितंबर को सुबह 11 बजे सेक्टर-102, गुरुग्राम स्थित बीपीटीपी की परियोजना साइट का भौतिक निरीक्षण किया जाए, जिसमें कंपनी का प्रतिनिधि मौजूद रहे। यदि कंपनी का प्रतिनिधि निरीक्षण में शामिल नहीं होता तो एचडब्ल्यूआरए एकतरफा कार्रवाई कर सकेगी। निरीक्षण के बाद 45 दिनों के भीतर नया आदेश पारित करने के निर्देश भी दिए गए।
यह मामला मूल रूप से पर्यावरण विकास संघ द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दाखिल एक याचिका से जुड़ा है। इसमें गुरुग्राम के चार डेवलपर्स पर अवैध भूजल दोहन का आरोप लगाया गया था। बीपीटीपी इसमें पक्षकार नहीं थी।
लेकिन 20 सितंबर 2023 को गठित संयुक्त समिति ने अचानक बीपीटीपी की कालोनी में प्रवेश कर सात ट्यूबवेल पाए और बिना कंपनी प्रतिनिधि की मौजूदगी के एनओसी की पुष्टि न होने की बात दर्ज की।
इसी रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने 3 अक्टूबर 2024 को आदेश दिया, जिसके बाद एचडब्ल्यूआरए ने बीपीटीपी को नोटिस जारी कर 27 जून 2025 को पेनल्टी लगा दी।बीपीटीपी ने कोर्ट में दलील दी कि समिति ने अपने अधिकार से बाहर जाकर बीपीटीपी को शामिल किया।
बिना नोटिस साइट पर घुसना और बाद में एनजीटी द्वारा कंपनी को पक्षकार बनाना न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बिना सुनवाई दिए और बिना पक्षकार बनाए लगाए गए जुर्माने अवैध माने जाएंगे।
हाईकोर्ट ने बीपीटीपी की दलील को स्वीकारते हुए पेनल्टी रद्द कर दी और कहा कि आगे की कार्यवाही कानून के अनुसार, निष्पक्ष रूप से और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए की जाए।
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