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    Haryana News: 'बीजेपी की सोच, हरियाणवी युवा सरकारी नौकरी से रहें वंचित', CET मामले में SC के फैसले पर बोले दीपेंद्र हुड्डा

    Updated: Tue, 25 Jun 2024 09:28 PM (IST)

    रोहतक सांसद दीपेंद्र हु्ड्डा (Deepender Hooda) ने सीईटी पर आए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले को लेकर प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी नहीं की। राज्य सरकार जान बूझकर लचर नियम बनाती है। पिछले चार साल से बीजेपी सरकार सीईटी के नाम पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।

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    CET मामले में SC के फैसले पर बोले दीपेंद्र हुड्डा (फाइल फोटो)।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कांग्रेस प्रवक्ता एवं रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट है कि बीजेपी सरकार युवाओं को नौकरी देना तो दूर, सही ढंग से नियम भी नहीं बना सकती। युवाओं की अदालत में मजबूती से पैरवी भी नहीं की जा सकी। आज हालत ये है कि भीषण बेरोजगारी झेल रहा हरियाणवी युवा भाजपा सरकार की दोषपूर्ण नीतियों का शिकार हो रहा है।

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    हरियाणवी युवाओं को सरकारी नौकरी से वंचित करने की सोच

    सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deepender Hooda) ने कहा कि सीईटी पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि बीजेपी सरकार की सोच हरियाणवी युवा को सरकारी नौकरी से वंचित रखने की है। पिछले चार साल से बीजेपी सरकार सीईटी के नाम पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। पहले हर भर्ती को सीईटी का झांसा देकर स्थगित किया गया।

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    सीईटी के नाम पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़

    दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार ने सीईटी के नाम पर लाखों युवाओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया। सीईटी क्वालीफाई करने वाले साढ़े तीन लाख युवाओं को योग्य मानने से ही इंकार कर दिया। उसके बाद साजिश के तहत सीईटी के ऐसे नियम बनाए गए, जो कोर्ट में टिक ही नहीं पाए।

    बीजेपी ने जानबूझकर बनाए कमजोर नियम- दीपेंद्र हु्ड्डा

    रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार जानबूझकर ऐसे लचर नियम बनाती है कि वे कोर्ट में टिक नहीं पाते। कौशल विकास निगम की आड़ में पक्की नौकरियां बंद कर दी गई हैं। ग्रुप डी भर्ती में साढ़े 13 हजार पदों के लिए 13 लाख से भी ज्यादा अभ्यर्थियों का सीईटी परीक्षा के आधार पर चयन हुआ, जिसमें सोशियो-इकोनामिक आधार के 5 अंक भी जोड़े गए। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नौकरी ज्वाइन करने वाले करीब 11 हजार युवाओं की नौकरी पर तलवार लटक गई है।

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