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    Haryana Politics: भूपेंद्र हुड्डा होंगे विपक्ष के नेता, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र के अध्यक्ष बनने की संभावना

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 07:01 PM (IST)

    बिहार के पटना में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाए जाने की संभावना है जबकि राव नरेंद्र प्रदेश अध्यक्ष बन सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए बैकवर्ड कार्ड खेलने की तैयारी में है और कार्यकारी अध्यक्षों का फार्मूला फिर से लागू हो सकता है।

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    भूपेंद्र हुड्डा होंगे विपक्ष के नेता, राव नरेंद्र के अध्यक्ष बनने की संभावना। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। बिहार के पटना में बुधवार को होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की मीटिंग से पहले हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में नये समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विधायक दल के नेता और प्रदेश अध्यक्ष के नामों पर किसी भी समय घोषणा हो सकती है।

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    पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर विधायक दल का नेता बनाए जाने की संभावना है, जबकि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र को हरियाणा कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। भाजपा के बाद सबसे बड़ा दल होने के नाते कांग्रेस विधायक दल का नेता ही विधानसभा में विपक्ष का नेता होगा।

    हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदारों में दीपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, कैप्टन अजय यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव राव दान सिंह और पूर्व मंत्री राव नरेंद्र के नाम लिए जा रहे हैं।

    कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि विधायक दल के नेता का पद हुड्डा खेमे को प्रदान किया जा सकता है, इसलिए हुड्डा खेमे ने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अपनी दावेदारी छोड़ दी है, जिसके बाद कांग्रेस की ओर से कराए गए आंतरिक सर्वे में प्रदेश अध्यक्ष के लिए पूर्व मंत्री राव नरेंद्र का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। अहीरवाल की नारनौल विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर कुलदीप बिश्नोई की हजकां तोड़ने और हुड्डा सरकार में मंत्री बनने वाले राव नरेंद्र की राहुल गांधी तक पहुंच है।

    उन्हें कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला का आशीर्वाद भी प्राप्त बताया जाता है, जबकि हुड्डा सरकार में मंत्री रहने की वजह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत उनके तत्कालीन सहयोगी मंत्रियों और विधायकों को भी राव के नाम पर ज्यादा आपत्ति नहीं है। बैकवर्ड समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले राव नरेंद्र की गिनती भले ही रणदीप सुरजेवाला के समर्थकों में होती है, लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें हरियाणा कांग्रेस के सर्वमान्य नेता के रूप में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।

    स्वराज आंदोलन के प्रमुख नेता योगेंद्र यादव ने भी राव नरेंद्र के नाम की सिफारिश राहुल गांधी के समक्ष की है। उनके नाम पर हुड्डा के साथ-साथ सैलजा व बीरेंद्र सिंह को भी कोई आपत्ति नहीं है। हुड्डा खेमा इस बात से संतुष्ट है कि उनके नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दोबारा विपक्ष का नेता बनने का मौका मिल रहा है। इसलिए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं खड़ा किया जा रहा है।

    लंबे समय से पार्टी के भीतर खींचतान और गुटबाजी से यह मामला अटका था, लेकिन दिल्ली से जुड़े सूत्रों के अनुसार अब हाईकमान ने दोनों पदों पर नियुक्तियों के लिए नामों को हरी झंडी दे दी है। बाक्स बैकवर्ड कार्ड से बदलेंगे समीकरण प्रदेशाध्यक्ष पद पर कांग्रेस राव नरेंद्र के रूप में बैकवर्ड कार्ड खेलने की तैयारी में लगी है। मौजूदा अध्यक्ष चौधरी उदयभान दलित हैं।

    राव नरेंद्र सिंह का राजनीतिक सफर भी दिलचस्प रहा है। वे 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के टिकट पर नारनौल से विधायक बने और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। हुड्डा सरकार के दूसरे कार्यकाल (2009-14) में वे स्वास्थ्य मंत्री भी रहे। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि प्रदेशाध्यक्ष पद पर बैकवार्ड नेता को तवज्जो देकर कांग्रेस चुनावी समीकरण साधना चाहती है।

    कार्यकारी अध्यक्षों का फार्मूला फिर लागू कांग्रेस सूत्रों की मानें तो प्रदेशाध्यक्ष के साथ दो से तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का फार्मूला लागू किया जा सकता है। पिछली बार चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे। उस समय पूर्व सांसद श्रुति चौधरी भी कार्यकारी अध्यक्ष बनीं, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद श्रुति और उनकी माता किरण चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं।

    फिलहाल कांग्रेस में रामकिशन गुर्जर, जितेंद्र कुमार भारद्वाज और सुरेश गुप्ता कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। इसी तरह का संतुलन इस बार भी साधा जाएगा। कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति में सभी गुटों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है।