हरियाणा कांग्रेस जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में हुड्डा का दबदबा, सैलजा-रणदीप-कैप्टन को भी साधा; BC व SC पर रहा फोकस
संगठन सृजन अभियान के तहत हरियाणा कांग्रेस ने जिलाध्यक्षों की सूची जारी की है जिसमें नए चेहरों को मौका मिला है। 32 में से 24 जिलाध्यक्ष हुड्डा समर्थक बताए जा रहे हैं जिससे हाईकमान ने हुड्डा खेमे को नजरअंदाज न करने का संकेत दिया है। जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा गया है।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। संगठन सृजन अभियान के अंतर्गत आखिरकार हरियाणा कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की चौंकाने वाली सूची जारी हो गई। इस सूची को देखकर लग रहा कि पार्टी ने नये चेहरों को अपना राजनीतिक कौशल दिखाने का मौका दिया है। साथ ही यह भी मान लिया कि राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को पार्टी की कमान सौंपे बिना संगठन की गति नहीं है।
कांग्रेस के 32 जिलाध्यक्षों में से 24 पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक बताए जा रहे हैं, मतलब साफ है कि कांग्रेस हाईकमान के पास केंद्रीय पर्यवेक्षकों की यह रिपोर्ट पहुंची कि हरियाणा में हुड्डा-दीपेंद्र खेमे को नजरअंदाज करना पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं है।
छह-छह नामों के तैयार किए गए पैनल
जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करते समय बीसी-एससी की राजनीति पर कांग्रेस का फोकस रहा है। केंद्रीय पर्यवेक्षक जब फील्ड में गए तो उन्हें हर जगह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभावी होने की सूचनाएं मिलीं। छह-छह नामों के पैनल ऐसे तैयार किए गए, जिसमें हुड्डा के साथ सैलजा और रणदीप समर्थकों के नाम भी शामिल रहे।
राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल और बीके हरिप्रसाद के साथ हुई बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने पार्टी के इन शीर्ष नेताओं को स्पष्ट बता दिया कि राज्य में हुड्डा को नजरअंदाज करना न तो उचित है और न ही संगठन के लिए उपयुक्त। ऐसे में संगठन इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि प्राथमिक तौर पर यह बिल्कुल भी न लगे कि जिलाध्यक्षों की सूची पर हुड्डा की छाप है, जिलाध्यक्ष बनाने में हुड्डा की पसंद को भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेतृत्व ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट को गंभीरता से लिया। नामचीन चेहरों को जिलाध्यक्ष की दौड़ से पूरी तरह बाहर कर उन नये चेहरों को कप्तानी करने का मौका दिया।
इसका फायदा पिछली पंक्ति में काम करने वालों को आगे आने का मौका मिला। यह छाप नहीं पड़ी कि हुड्डा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए लिस्ट में नामचीन चेहरों को शामिल करा लिया। यह अलग बात है कि भले ही नामचीन नहीं, लेकिन दो दर्जन चेहरे हुड्डा समर्थक हैं, जिन्हें जिलाध्यक्ष बनाया है। कांग्रेस संगठन में हुड्डा का पूरा दबदबा रहेगा।
सैलजा-सुरजेवाला को उनके जिलों में मिली कप्तानी
कुमारी सैलजा के प्रभाव वाले अंबाला, सिरसा और फतेहाबाद जिलों में उनके छह समर्थकों को जिला प्रधानी सौंपी गई है, जबकि रणदीप सुरजेवाला के समर्थकों को कैथल व कैप्टन अजय यादव के समर्थक को रेवाड़ी में प्रधानी दिलाई गई है।
सुरजेवाला प्रदेश की राजनीति में जितने सक्रिय हैं, उतने ही राष्ट्रीय राजनीति में भी हैं। उनके संबंध जैसे सैलजा के साथ हैं, उससे बढ़िया संबंध हुड्डा के साथ भी हैं। ऐसे में सुरजेवाला ने जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों में बहुत अधिक हस्तक्षेप नहीं किया।
सीएलपी लीडर व प्रदेशाध्यक्ष का फैसला भी संभव
गुजरात के बाद हरियाणा में संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत यह पहली लिस्ट है। अब प्रदेशाध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल के नेता का फैसला भी जल्द होगा। फिलहाल चौधरी उदयभान प्रदेश अध्यक्ष हैं, जिन्हें बदले जाने की चर्चा है। इसके अलावा 22 अगस्त से विधानसभा का मानसून सत्र चालू होने वाला है।
संभावना है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व 22 अगस्त से पहले विधायक दल के नेता का नाम घोषित कर दे और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की जाए।
10 बीसी, पांच एससी और छह जाट, महिला सिर्फ एक जिलाध्यक्षों की सूची में जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा गया है। वहीं, सिर्फ एक महिला को ही जिलाध्यक्ष बनाया गया।
कांग्रेस ने 32 जिलाध्यक्षों में 10 बीसी, पांच एससी और छह जाट जिलाध्यक्ष बनाए हैं, जबकि तीन वैश्य, दो-दो ब्राह्मण, राजपूत व पंजाबी तथा एक-एक सिख व मुस्लिम जिलाध्यक्ष नियुक्त किए हैं। भाजपा का फोकस बीसी व एससी की राजनीति पर है। इसलिए बीसी पर पूरी दरियादिली दिखाई है।
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