मानसून सत्र से पहले हरियाणा में पूर्व विधायकों ने उठाई सुविधाओं की मांग, दूसरे राज्यों का दिया हवाला
हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र से पहले पूर्व विधायकों ने मुख्यमंत्री और स्पीकर से मुलाकात की और अन्य राज्यों की तरह सुविधाएं देने की मांग की। उन्होंने वेतन भत्तों और पेंशन को महंगाई सूचकांक से जोड़ने का अनुरोध किया। सरकार ने हाल ही में सुविधाओं पर लगी कैपिंग हटाई है। पूर्व विधायकों ने उत्तराखंड झारखंड और छत्तीसगढ़ में मिलने वाली सुविधाओं का हवाला दिया और अपनी समस्याओं का ज्ञापन सौंपा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र से पहले राज्य के पूर्व विधायकों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण से मुलाकात कर झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर सुविधाएं देने की मांग की है।
पूर्व विधायकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि बढ़ती महंगाई के मद्देनजर वेतन, भत्तों और पेंशन को महंगाई सूचकांक से जोड़ा जाए, ताकि बार-बार सुविधाओं में बढ़ोतरी की मांग नहीं करनी पड़े। मुख्यमंत्री के समक्ष पूर्व विधायकों ने दूसरे राज्यों में मिलने वाली सुविधाओं की पूरी सूची पेश की।
हरियाणा सरकार ने हाल ही में पूर्व विधायकों को मिलने वाली सुविधाओं पर एक लाख रुपये की कैपिंग हटा दी है। इस कैप के हटने के बाद पूर्व विधायकों को बिना बिल के 10 हजार रुपये चिकित्सा भत्ता और 10 हजार रुपये यात्रा भत्ता मिल सकेगा। इसके लिए पूर्व विधायकों ने मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया है।
पूर्व विधायक एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष रामबीर सिंह, महासचिव रणबीर सिंह मंदौला, नरेश शर्मा बादली, लक्ष्मण नापा रतिया, धर्मपाल सांगवान दादरी और सूबे सिंह पुनिया उचाना ने मुख्यमंत्री व स्पीकर से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि देश के 28 राज्यों में हरियाणा अपने विधायकों को वेतन, भत्ते व सुविधाएं देने में चौथे स्थान पर है और पूर्व विधायकों को पेंशन, भत्ते व सुविधाएं देने में 24वें नंबर पर है, जबकि महंगाई, पारिवारिक जिम्मेदारी, सामाजिक देनदारी और जन भागीदारी पूर्व विधायक भी उतनी ही निभाते हैं, जितनी विधायक निभाते हैं।
पूर्व विधायकों ने कहा कि हरियाणा में लंबे समय से पूर्व विधायकों की सुविधाओं में बढ़ोतरी नहीं हुई है। उत्तराखंड में पूर्व विधायक को 60 हजार रुपये बेसिक पेंशन, 3 लाख 40 हजार रुपये प्रति वर्ष यात्रा भत्ता या 26 हजार रुपये प्रतिमाह तेल के नगद और 65 वर्ष आयु होने पर 5%, 70 वर्ष पर 10%, 75 वर्ष आयु पर 25% व 80 वर्ष की आयु होने पर 50% पेंशन बढ़ोतरी होती है।
झारखंड में 50 हजार रुपये बेसिक पेंशन, 5,000 रुपये चिकित्सा भत्ता प्रतिमाह, बिलों की प्रतिपूर्ति, 15 हजार रुपये अर्दली भत्ता, 4 लाख रुपये प्रति वर्ष यात्रा भत्ता प्रदान करने का प्रविधान है। छत्तीसगढ़ का जिक्र करते हुए पूर्व विधायकों ने सीएम व स्पीकर को बताया कि वहां 58 हजार 300 रुपये बेसिक पेंशन, 15 हजार रुपये चिकित्सा भत्ता हर महीने, 15 हजार रुपये अर्दली भत्ता, 10 हजार रुपये टेलीफोन भत्ता व 5 लाख रुपये के यात्रा भत्ता के कूपन दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि 2016 में 1 लाख रुपये की लगाई गई कैप को हरियाणा सरकार ने अब हटा लिया है, जिसकी पूरे राज्य में पूर्व विधायक सराहना कर रहे हैं। पूर्व विधायकों ने सीएम को ज्ञापन सौंपकर आधा दर्जन समस्याओं के समाधान की मांग की है, जिस पर विचार करने का भरोसा दिलाया गया है।
हरियाणा सरकार से पूर्व विधायकों को यह उम्मीद
- विशेष यात्रा भत्ते की जगह उत्तराखंड में पूर्व विधायकों को मिलने वाले यात्रा भत्ते की तर्ज पर राशि दी जाए। हिमाचल, झारखंड या छत्तीसगढ़ के अनुरूप भी यात्रा भत्ता दिया जा सकता है।
- उत्तराखंड विधानसभा में पूर्व विधायकों की पेंशन 65 वर्ष होने पर 5%, 70 वर्ष पर 10%, 75 वर्ष होने पर 25% और 80 वर्ष आयु होने पर 50% पेंशन बढ़ाई जाती है। उसी तर्ज पर पूर्व विधायकों के सीनियर होने पर पेंशन बढ़ाई जाए। पंजाब, राजस्थान व दिल्ली में ऐसी ही व्यवस्था है।
- झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्यों की तर्ज पर हरियाणा के पूर्व विधायकों को एक अर्दली, सेवादार और टेलीफोन भत्ते की जगह सत्कार भत्ता दिया जाए।
- 60 वर्ष के बाद हमें कोई बैंक लोन नहीं देता, इसलिए घर या गाड़ी के लिए हमें हिमाचल प्रदेश की विधानसभा की तर्ज पर 25 लाख रुपये लोन विधानसभा से दिलवाया जाए, जिसे हमारी पेंशन से रिकवर किया जाए।
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