Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बंबीहा गैंग के बदमाश को जमानत से इनकार, हत्या की साजिश में था शामिल, विदेशी हैंडलर्स के इशारे पर हथियार और कारतूस पहुंचाए थे

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 06:15 PM (IST)

    हरियाणा के पंचकुला में बंबीहा गैंग के एक बदमाश मोहम्मद इमरान को जमानत देने से इनकार कर दिया गया है. वह हत्या की साजिश में शामिल था और विदेशी हैंडलर्स ...और पढ़ें

    Hero Image

    हत्या की साजिश और अवैध हथियार मामल में अदालत ने सुनाया आदेश।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। हत्या की साजिश में हथियारों के साथ पकड़े गए बदमाश मोहम्मद इमरान की जमानत याचिका अदालत ने  खारिज कर दी है। इमरान बंबीहा गैंग से जुड़ा है और उसके खिलाफ रायपुररानी थाने में मामला किया गया था। इमरान ने विदेशी हैंडलर्स हरसिमरन उर्फ सिम्मू के इशारे पर साथी अनमोल को पिस्तौल और आठ कारतूस उपलब्ध कराए थे। रायपुररानी निवासी ठेकेदार राजू गुर्जर की हत्या करने का प्लान था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत के समक्ष प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार 26 सितंबर 2025 को पुलिस को सूचना मिली थी कि गैंगस्टर भूप्पी राणा और हरसिमरन उर्फ सिम्मू गैंग के बदमाश बिना नंबर प्लेट की कार में हथियारों के साथ किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं।

    पुलिस ने रायपुररानी क्षेत्र के रामपुर मोड़ पर अनमोल कुमार, गुरप्रीत उर्फ गोपी और मुनीश कुमार उर्फ काला को गिरफ्तार किया था। तलाशी के दौरान उनके पास से एक पिस्तौल और कई कारतूस बरामद हुए थे।

    जांच में सामने आया कि इस मामले में मोहम्मद इमरान की भूमिका हथियार उपलब्ध कराने की थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार इमरान बंबीहा गैंग का सक्रिय बदमाश है और गैंग के सरगना हरसिमरन उर्फ सिम्मू के निर्देशों पर काम करता है, जो विदेश से गैंग का संचालन करता है।

    आपराधिक इतिहास, संगठित अपराध में संलिप्तता 

    जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने आरोपित को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे झूठा फंसाया गया है और वह लंबे समय से जेल में बंद है। वहीं अभियोजन पक्ष ने आरोपित के आपराधिक इतिहास, संगठित अपराध में संलिप्तता और अपराध की गंभीरता का हवाला देते हुए जमानत का कड़ा विरोध किया।

    कोर्ट ने माना- अत्यंत गंभीर प्रकृति के आरोप 

    दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और रिकाॅर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने माना कि आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं और आरोपित की भूमिका संगठित अपराध से जुड़ी हुई है। अदालत ने कहा कि सह आरोपितों की गिरफ्तारी अभी शेष है और ऐसे में आरोपित को जमानत देना न्यायोचित नहीं होगा। इन आधारों पर कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी।