राजकीय महाविद्यालयों के सहायक प्राध्यापक के लिए अच्छी खबर, अब आधिकारिक रूप से बने ग्रुप ए अधिकारी
हरियाणा में पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार द्वारा अक्टूबर 2010 में राजकीय महाविद्यालयों के असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर को क्लास वन अधिकारी का दर्जा दिया गया था। इसके लिए अब विधिवत रूप से अधिसूचना जारी कर दी गई है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर अब आधिकारिक रूप से ग्रुप ए अधिकारी बन गए हैं। अक्टूबर 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने इन्हें क्लास वन अधिकारी का आधा-अधूरा दर्जा प्रदान किया था। शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर सहायक प्राध्यापकाें को ग्रुप-ए अधिकारी का दर्जा दिया गया है।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि दो अधिसूचनाओं से वर्ष 1986 के हरियाणा शिक्षा (कालेज कैडर) के ग्रुप ए और ग्रुप बी सेवा नियमों में संशोधन कर उसे 12 वर्ष पहले की तारीख अर्थात सात अक्टूबर 2010 से लागू किया गया है। इससे पहले सात अक्टूबर 2010 को तत्कालीन हुड्डा सरकार द्वारा वरिष्ठ कालेज लेक्चर को एचईएस -1 अर्थात हरियाणा एजुकेशन सर्विस क्लास वन का दर्जा देने की अधिसूचना जारी की गई थी। उसमें उल्लेख था कि कालेज लेक्चरर को एचईएस-1 का दर्जा तो मिलेगा परंतु वह इसका कोई लाभ/सुविधाएं या उच्च वेतनमान क्लेम नहीं करेंगे। इस तरह एचईएस-1 का दर्जा होने के बावजूद ग्रुप बी कालेज प्रोफेसर क्लास-1 /ग्रुप ए अधिकारी के तौर पर लाभ नहीं उठा सकते थे।
इसी आधार पर एडवोकेट हेमंत ने दो वर्ष पूर्व जुलाई 2020 में उच्चतर शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव और महानिदेशक को पत्र लिखकर नान-एचसीएस कोटे से आइएएस की पांच रिक्तियों के लिए असिस्टेंट प्राेफेसरों के नाम शामिल करने पर आपत्ति उठाई थी।
तब वे आधिकारिक तौर पर राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी नहीं थे। उक्त चयन प्रक्रिया में केवल न्यूनतम आठ वर्ष की नियमित सेवा वाले राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारी ही योग्य होते हैं। बहरहाल चार सितंबर 2020 को उच्चतर शिक्षा विभाग ने एक पत्र भेजकर माना था कि सरकारी कालेजों के प्रोफेसरों के सेवा नियमों में आवश्यक संशोधन नहीं किया गया है। साथ ही लिखा गया कि सेवा नियमों में संशोधन हेतु फाइल मुख्यमंत्री के पास भेज दी गई है।
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