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तकनीकी कारणों से तंवर को फिर मिला जीवनदान, हुड्डा खेमा इस्तीफे पर अड़ा

हरियाणा कांग्रेस में लोकसभा चुनाव के बाद खींचतान फिर शुरू हो गई है। अशोक तंवर का अध्‍यक्ष पद तकनीकी कारणों से बच गया है लेकिन हुड्डा समर्थक तंवर के इस्‍तीफे पर अड़ गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 09:55 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 09:55 AM (IST)
तकनीकी कारणों से तंवर को फिर मिला जीवनदान, हुड्डा खेमा इस्तीफे पर अड़ा
तकनीकी कारणों से तंवर को फिर मिला जीवनदान, हुड्डा खेमा इस्तीफे पर अड़ा

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी दस सीटें हारने के बाद भी कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी रुकने का नाम नहीं ले रही है। हार की समीक्षा के लिए मंगलवार सायं नई दिल्ली स्थित कांग्रेस वाररूम (15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड) में हुई पार्टी नेताओं की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे ने एक बार फिर प्रदेशाध्यक्ष डाॅ.अशोक तंवर के इस्तीफे की मांग कर दी।

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आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हो रहा है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट
बेशक राज्य कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी पिछले छह साल से लगातार चल रही है मगर यह पहला मौका था जब हुड्डा खेमे के पार्टी विधायकों ने प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद के सामने प्रदेशाध्यक्ष डॉ.तंवर का इस्तीफा मांगा। हालांकि इस्तीफे की इस राजनीति से नाराज प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा मांग रहे विधायकों से ही सवाल किया कि तंवर इस्तीफा किसे दें और फिलहाल की परिस्थितियों में जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस्तीफा दिया हुआ, तब कौन तंवर का इस्तीफा मंजूर करेगा।

बैठक के बाद कुलदीप शर्मा और करण दलाल।

आजाद ने इन नेताओं से साफ कहा कि वे पहले अपना घर मजबूत करें और आपसी गुटबाजी छोड़कर हार के असल कारण पर जाएं। प्रदेश की जनता को यदि कांग्रेस नेताओं ने एकजुटता नहीं दिखाई तो पार्टी विधानसभा चुनाव में भी कुछ नहीं कर पाएगी। सिर्फ एक घंटे चली इस बैठक को आजाद ने इस नसीहत के साथ खत्म कर दिया कि बैठक की जानकारी कोई नेता सार्वजनिक नहीं करेगा।

इसके बाद सबसे पहले आजाद खुद बैठक से निकले और बिना मीडिया से कुछ बात किए चले गए। प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर भी उनके पीछे बैठक से निकल गए और उन्होंने भी किसी से बात नहीं की। एक के बाद एक करके कांग्रेस नेता बैठक से बाहर निकले मगर सभी के चेहरे उड़े हुए थे। जो नेता मीडिया से अक्सर बात करते थे वे भी यह कहते हुए चले गए कि वे बातचीत के अधिकृत नहीं हैं।

विधायक दल की नेता किरण चौधरी और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने सिर्फ इतना कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से इस्तीफा वापस लेने का प्रस्ताव बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया है। राहुल के इस्तीफे पर निर्णय के बाद कांग्रेस बूथ स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं का प्रबंधन करेगी। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा या उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा ने बैठक के बारे में किसी से कोई बात नहीं की। इस बैठक में रणदीप सुरजेवाला, कैलाशो सैनी और पूर्व सांसद नवीन जिंदल नहीं पहुंचे। प्रदेश समन्वय समिति के अन्य सदस्यों सहित लोकसभा चुनाव हारे सभी नेता बैठक में उपस्थित थे।

सूत्र बताते हैं कि बैठक में सबसे पहले हुड्डा समर्थक कांग्रेस विधायक डॉ.रघुबीर कादियान ने प्रदेशाध्यक्ष तंवर के इस्तीफे की मांग रखी। इसके बाद हुड्डा समर्थक अन्य विधायकों ने इस मांग का समर्थन किया। इन नेताओं का यह भी कहना था कि लोकसभा चुनाव प्रत्याशी खुद की टीम के साथ लड़ रहे थे। ब्लॉक और जिला स्तर पर संगठन नाम की कोई चीज नहीं थी। पिछले पांच साल में प्रदेश से कांग्रेस का संगठन खत्म कर दिया गया है।

खुद हुड्डा और उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा बैठक में चुप रहे मगर उनके हाव-भाव से यह साफ था कि वे अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। कादियान द्वारा उठाए इस्तीफे के मुद्दे पर तंवर के साथ पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व सांसद अवतार भड़ाना सहित पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव नजर आए। उन्‍होंने साफ कहा कि तंवर का इस्तीफा कोई समाधान नहीं है। इन नेताओं का कहना था कि लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार का राष्ट्रवाद का नारा प्रदेश में युवाओं के सिर चढ़कर बोला है।

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