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    साइबर धोखाधड़ी के आरोपित की अग्रिम जमानत खारिज, कोर्ट ने कहा-हिरासत में पूछताछ जरूरी ताकि नेटवर्क का खुलासा हो सके

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 07:59 PM (IST)

    पंचकूला अदालत ने साइबर धोखाधड़ी के मामले में मोहित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। मोहित पर 3 करोड़ 79 लाख रुपये से अधिक की साइबर ठगी का आरोप है। अदालत ने कहा कि मोहित से हिरासत में पूछताछ जरूरी है ताकि पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सके। जांच में पता चला कि मोहित ने फर्जी नामों पर खाते खुलवाकर ठगी की।

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    साइबर धोखाधड़ी मामले में जिला अदालत का आदेश।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। जिला अदालत ने साइबर धोखाधड़ी मामले में आरोपित मोहित की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। मामला 3 करोड़ 79 लाख रुपये से अधिक की साइबर फ्राॅड से जुड़ा है। अदालत ने कहा कि आरोपित की हिरासत में पूछताछ जरूरी है ताकि पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सके। 20 अगस्त 2025 को तमिलनाडु साइबर इंटेलिजेंस टीम से मिली ई-मेल पर यह जांच शुरू हुई थी। इसी आधार पर मोहित के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 318(4) और 61(2) में मामला दर्ज किया गया।

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    बैंक खाते में करोड़ों का लेनदेन

    पुलिस जांच में सामने आया कि हिमांशु के नाम पर खोले गए यस बैंक खाते में 3 करोड़ 79 लाख 82 हजार 543 रुपये का लेनदेन हुआ। इस खाते से जुड़ी 23 शिकायतें विभिन्न राज्यों में दर्ज पाई गईं। गिरफ्तार सह-आरोपित हिमांशु और सुमित कुमार ने पूछताछ में बताया कि मोहित ने ही पूरी साजिश रची। उसने फर्जी नामों पर पांच बैंक खाते खुलवाए और उन्हीं के जरिए करोड़ों रुपये की ठगी की।

    मोहित ने अपने दोस्त संदीप के जरिये एक दुकान भी किराए पर ली, जिसे ठगी के अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया गया। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने कहा कि मोहित इस मामले का मुख्य मास्टरमाइंड है। ऐसे आर्थिक अपराध देश की वित्तीय स्थिरता और जनता के विश्वास पर चोट करते हैं। अदालत ने कहा कि हिरासत में पूछताछ से ही अन्य दोषियों और दस्तावेजों की बरामदगी संभव है। इसी आधार पर अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया।