Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोरनी में गांवों तक नहीं पहुंचती एंबुलेंस, प्रसूता पंचकूला अस्पताल से डिस्चार्ज होने के 8 घंटे बाद पहुंची घर

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 07:03 PM (IST)

    मोरनी में एंबुलेंस की पहुंच न होने से प्रसूता को अस्पताल से छुट्टी के बाद चारपाई पर घर ले जाना पड़ा। बारिश से सड़कें खराब होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाई। ग्रामीणों ने 5 किलोमीटर तक महिला को चारपाई पर पहुंचाया। ग्रामीणों ने प्रशासन से रास्तों को दुरुस्त करने की मांग की है ताकि मरीजों को परेशानी न हो।

    Hero Image
    आखिरकार रात करीब 11 बजे महिला अपने घर पहुंच पाई।

    संवाद सहयोगी, मोरनी। मोरनी के ग्रामीण इलाकों की बदहाल स्थिति ने एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और ग्रामीणों की लाचारी को उजागर कर दिया है। इलाके के कई गांवों में प्रसूता महिलाओं और गंभीर मरीजों को इलाज या अस्पताल से घर तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है या फिर मरीज को चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है। बारिश के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे रास्ते बुरी तरह टूट चुके हैं और अनेक स्थानों पर कीचड़ और मलबा पड़ा है, जिस कारण एंबुलेंस और वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाते।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसा ही एक वाकया सोमवार देर रात देखने में आया, जब मोरनी खंड की राजी टिकरी पंचायत के गांव बूंगा धनीर की एक महिला कांता देवी पत्नी प्रीतम सिंह को अस्पताल से छुट्टी के बाद घर तक पहुंचने के लिए कठिन दौर से गुजरना पड़ा। महिला ने सिविल अस्पताल पंचकूला में सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चे को जन्म दिया था। सोमवार देर शाम जब वह डिस्चार्ज होकर मोरनी पहुंची तो एंबुलेंस ठंडोग के पास मुख्य सड़क तक तो आई लेकिन गांव तक जाने के लिए कोई सड़क न होने पर वहीं छोड़ गई। ऐसे में ग्रामीणों को चारपाई लेकर आना पड़ा।

    गांव वालों और महिला के परिजनों ने बताया कि एंबुलेंस से उतरने के बाद महिला को रात 8 बजे चारपाई पर लिटाकर गांव ले जाया गया। कच्चे रास्तों और दुर्गम पगडंडियों से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में 3 घंटे लग गए और आखिरकार रात करीब 11 बजे महिला अपने घर पहुंच पाई। इस दौरान महिला दर्द से कराह उठी और उनकी आंखों से आंसू झरते रहे कि आज भी मोरनी क्षेत्र का ऐसा हाल है कि एंबुलेंस उनके दरवाजे तक नहीं पहुंच सकती।

    महिला के पति ने पूरी घटना बताते हुए कहा कि सोमवार दोपहर 3 बजे अस्पताल से छुट्टी मिली थी और शाम करीब 5 बजे वे मोरनी पहुंचे। इसके बाद से ही उनकी असली परीक्षा शुरू हो गई जब उन्हें ठंडोग के पास उतार दिया गया। टूटे रास्तों और अंधेरे में ग्रामीण ही सहारा बने और चारपाई पर महिला को लेकर घर पहुंचे।

    ग्रामीणों का कहना है कि ये समस्या सिर्फ बूंगा धनीर गांव की नहीं है बल्कि मोरनी के कई गांवों में लोग इसी तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि आपातकालीन स्थिति में मोरनी के गांवों के ग्रामीण बूंगा धनीर की तरह समस्याएं झेल रहे हैं इसलिए इन रास्तों को इस लायक बना दिया जाए कि गांव में गंभीर मरीजों और गर्भवती व प्रसूता महिलाओं को आसानी से पहुंचाया जा सके।