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    अल-फलाह सहित 26 प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर एक्शन! हरियाणा सरकार का नया कानून करेगा देशविरोधी गतिविधियों पर रोक

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 09:14 PM (IST)

    हरियाणा सरकार निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी रोकने के लिए विधेयक ला रही है। निजी विश्वविद्यालय बिना अनुमति पाठ्यक्रम शुरू नहीं कर सकेंगे और सरकार प्रश ...और पढ़ें

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    हरियाणा सरकार का निजी विश्वविद्यालयों पर शिकंजा, विधेयक 2025 पेश। (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार राज्य के निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी बंद करने जा रही है। इसके सरकार हरियाणा निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2025 लाया जा रहा है। इस विधेयक के अंतर्गत कोई भी निजी विश्वविद्यालय अपनी मर्जी से नए पाठ्यक्रम शुरू नहीं कर सकेगा, क्षमता से अधिक प्रवेश नहीं ले पाएगा और पाठ्यक्रमों के नाम बदल-बदलकर विद्यार्थियों अथवा उनके अभिभावकों को गुमराह नहीं कर सकेगा।

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    विशेष परिस्थितियों में प्रदेश सरकार इन निजी विश्वविद्यालयों में प्रशासक नियुक्त कर सकती है। प्रशासक को अपने हिसाब से विश्वविद्यालय की आर्थिक व शैक्षणिक गतिविधियां संचालित करने तथा मान्यता रद करने के लिए सरकार को सिफारिश भेजने का अधिकार प्राप्त होगा। सरकार को एक करोड़ रुपये तक जुर्माने से लेकर प्रबंधन भंग करने तक का अधिकार नए संशोधित कानून में रहेगा।

    हरियाणा सरकार की ओर से उच्च शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सोमवार को निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2025 पेश करेंगे। इस संशोधित विधेयक के साथ राज्य के उन 26 निजी विश्वविद्यालयों की सूची भी जोड़ी गई है, जिनमें प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है।

    इन्हें फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी भी शामिल है, जहां आतंक का बड़ा कनेक्शन सामने आया है।अल फलाह विश्वविद्यालय में देशविरोधी गतिविधियां और वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद यह सख्ती की जा रही है। इस बिल के माध्यम से राज्य सरकार गुरुग्राम में डिजाइन नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी खोलने जा रही है, जिसकी समस्त औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी है।

    हरियाणा सरकार ने इस संशोधित बिल के माध्यम से चिंता जताई है कि प्राइवेट विश्वविद्यालयों को उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने व उसके प्रचार प्रसार के लिए मान्यता प्रदान की जाती है, लेकिन वे इन प्रविधानों का अनुपालन नहीं करते, जिस वजह से उन पर शिकंजा कसना जरूरी है।

    प्रशासकों के माध्यम से सरकार इन निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी पर रोक लगाने का काम करेगी। संभावना है कि इस बिल के स्वीकृत होते ही फरीदाबाद की अलफलाह यूनिवर्सिटी में प्रशासक नियुक्त कर दिया जाएगा और समस्त जांच-पड़ताल के बाद प्रशासक की रिपोर्ट के आधार पर उसकी मान्यता भी रद की जा सकती है।

    अल फलाह यूनिवर्सिटी ने उठाया था कानून में ढिलाई का फायदा

    नई दिल्ली में लाल किले के पास हुए बम धमाके के बाद जांच के घेरे में आए अल फलाह विश्वविद्यालय ने पुराने कानून में खामियों का ही फायदा उठाया था। हुड्डा सरकार में साल 2013 में अलाह फलाह यूनिवर्सिटी निजी विश्वविद्यालय एक्ट के तहत ही स्थापित हुई थी। स्थापना के 12 साल बाद भी अल फलाह ने अभी तक राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद से मान्यता नहीं ली। इसके तीन कालेजों में से दो को मान्यता मिली पर मान्यता खत्म होने के बाद नवीनीकरण नहीं हुआ। वित्तीय गड़बड़ी व फंडिंग के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच कर रहा है।

    पुराने कानून में यह हैं खामियां

    पुराने कानून में विश्वविद्यालय को मान्यता प्राप्त करने व सरकार को सूचित करने का अनिवार्य नियम है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी को हर साल अपनी वार्षिक रिपोर्ट, वित्तीय जानकारी (बैलेंस शीट और आडिट रिपोर्ट) शासन संस्थाओं व राज्य सरकार को देनी होती है। इन नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, इसकी जांच को लेकर उचित तंत्र नहीं है। नियमों का पालन कराने के लिए भी सख्ती नहीं हो पा रही। दंड का प्रविधान तो है लेकिन इसमें जांच का कोई प्रविधान नहीं है। दंड किस तरह से देना है, उसकी भी कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है। इन्हीं सबका अल फलाह के प्रबंधन ने फायदा उठाया और वहां देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता रहा।

    नए कानून में पांच सदस्यों की समिति गठित करने का अधिकार

    इस कानून के अंतर्गत राज्य सरकार यदि किसी विश्वविद्यालय में प्रशासक नियुक्त करती है तो उसके अलावा अधिकतम पांच व्यक्तियों की एक समिति भी गठित कर सकती है। समिति को सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होंगी। समिति की रिपोर्ट पर कुलाधिपति, कुलपति, रजिस्ट्रार और प्रायोजक निकाय को सात दिन का कारण बताओ नोटिस जारी का जवाब मांगा जा सकेगा। नए संशोधित कानून के अंतर्गत

    विश्वविद्यालय सरकार की विशेष अनुमति के बिना छात्रों का प्रथम नामांकन प्रारंभ नहीं कर सकेंगे। सरकार के पास पाठ्यक्रम रद करने का अधिकार होगा। विश्वविद्यालय कर्तव्यों और दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने की स्थिति में नहीं है तो सरकार जांच के बाद पाठ्यक्रम या अध्ययन कार्यक्रम को जारी रखने की अनुमति रद कर सकेगी।

    हरियाणा निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक में इन 26 विश्वविद्यालयों के नाम शामिल

    1. दी नार्थकैंप विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    2. एमिटी विश्वविद्यालय - गांव ग्वालियर, पंचगांव (नजदीक मानेसर) गुरुग्राम

    3. एपीजे सत्य विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    4. महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय - अंबाला

    5. बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय - रोहतक

    6. सुशांत विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    7. श्री गुरु गोबिंद सिंह त्रि. शताब्दी विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    8. ओपी जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय गांव जगदीशपुर (अब डीम्ड विश्वविद्यालय) - जिला सोनीपत

    9. एनआइआइएलएम विश्वविद्यालय - कैथल

    10. एमवीएन विश्वविद्यालय - पलवल

    11. जगन नाथ विश्वविद्यालय - बहादुरगढ़

    12. जीडी गोयनका विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    13. केआर मंगलम विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    14. एसआरएम विश्वविद्यालय - सोनीपत

    15. अशोका विश्वविद्यालय - सोनीपत

    16. अल अलाह विश्वविद्यालय - फरीदाबाद

    17. बीएमएल मुंजाल विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    18. मानव रचना विश्वविद्यालय - फरीदाबाद

    19. पीडीएम विश्वविद्यालय - झज्जर

    20. स्टारैक्स विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    21. विश्व डिजाइन विश्वविद्यालय - सोनीपत

    22. आईआइएलएम विश्वविद्यालय - गुरुग्राम

    23. ओम स्ट्रलिंग ग्लोबल विश्वविद्यालय - हिसार

    24. ऋषिहुड विश्वविद्यालय - सोनीपत

    25. गीता विश्वविद्यालय - पानीपत

    26. संस्कारम विश्विविद्यालय - झज्जर