हरियाणा में 10% तक ही टूटा चावल खरीदेंगी एजेंसियां, पहले इतने प्रतिशत तक स्वीकार करता था भारतीय खाद्य निगम
हरियाणा में पहले नवरात्र से धान की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। खाद्य विभाग ने इसके लिए आदेश जारी कर दिए हैं जिसके तहत 246 मंडियों में धान खरीदा जाएगा। इस बार 10 प्रतिशत तक ही टूटा चावल खरीदा जाएगा जबकि पहले यह सीमा 25 प्रतिशत थी। राइस मिलर्स इस बदलाव से नाखुश हैं और उन्होंने सरकार से स्पष्टता की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में पहले नवरात्र यानी कि सोमवार से धान की सरकारी खरीद शुरू करने के लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने शनिवार को लिखित आदेश जारी कर दिए हैं। पूरे प्रदेश में 246 अनाज मंडियों और खरीद केंद्रों पर सरकार की ओर से धान खरीदा जाएगा।
सरकारी खरीद एजेंसी द्वारा इस बार 10 प्रतिशत तक ही टूटा चावल खरीदा जाएगा। नई कस्टम मिल्ड राइस पालिसी में बड़ा बदलाव करते हुए डिलीवरी में टूटे चावल की स्वीकार्य सीमा को 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे नाखुश राइस मिलर्स का कहना है कि इससे उन पर बोझ बढ़ जाएगा, क्योंकि मिलिंग के दौरान चावल का टूटना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
नई नीति में सरकार ने टूटे चावल को कम करने के लिए अतिरिक्त मिलिंग लागत के लिए 2.23 रुपये प्रति क्विंटल, अतिरिक्त भंडारण लागत के लिए 1.23 रुपये प्रति क्विंटल और टूटे चावल की पैकेजिंग शुल्क के लिए 3.33 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। इन दरों के मुकाबले टूटे चावल की प्रसंस्करण और हैंडलिंग लागत 25 रुपये प्रति क्विंटल है।
ऐसे में राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन ने बाकी बचे 15 प्रतिशत टूटे चावल पर भी स्पष्टता की मांग की है। नई पालिसी के तहत राइस मिलर्स को दिसंबर तक 15 प्रतिशत, जनवरी तक 25 प्रतिशत, फरवरी अंत तक 20 प्रतिशत, मार्च तक 15 प्रतिशत, मई तक 15 प्रतिशत और 30 जून तक अंतिम 10 प्रतिशत चावल की आपूर्ति करनी होगी।
अनाज मंडियों से एफसीआई गोदामों तक धान ले जाने के लिए राइस मिलर्स को खुद खर्च उठाना होगा। प्रदेश में इस वर्ष लगभग 13.97 लाख एकड़ में धान की बुआई हुई है। मंडियों और खरीद केंद्रों में लगभग 84 लाख टन धान की आवक होगी। इसमें से खरीद एजेंसियों द्वारा लगभग 54 लाख टन धान की खरीद की जाएगी। लगभग 36 लाख टन सीएमआर (वितरित चावल का लगभग 67 प्रतिशत) केंद्रीय पूल में दिए जाने की उम्मीद है।
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