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    सड़क हादसे में घायल युवक को मिलेंगे 12.57 लाख रुपये, पंचकूला ट्रिब्यूनल का फैसला

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 05:25 PM (IST)

    पंचकूला में एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने सड़क हादसे में घायल यश को 12.57 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। मुलाना निवासी यश 9 अप्रैल को किड्स गार्ड ...और पढ़ें

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    एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने सुनाया फैसला।


    जागरण संवाददाता, पंचकूला। एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए यश को 12 लाख 57 हजार 548 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट किया कि मुआवजा राशि पर दावा दायर करने की तारीख से अदायगी तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा और बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को यह राशि पहले चरण में अदा करनी होगी।

    मामले के अनुसार मुलाना निवासी यश 9 अप्रैल 2024 की शाम हनुमान मंदिर से पूजा-अर्चना कर मोटरसाइकिल पर अपने घर लौट रहा था। जब वह किड्स गार्डन स्कूल के सामने पहुंचा, तभी बराड़ा की ओर से आ रही कार ने तेज और लापरवाही से गलत दिशा में आकर उनकी मोटरसाइकिल से टकरा गई।

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    टक्कर इतनी जोरदार थी कि यश हवा में उछलकर कार के पिछले हिस्से पर गिर पड़ा। हादसे के बाद चालक मौके पर कार छोड़कर फरार हो गया, जिसकी पहचान अंबाला के साहिल के रूप हुई। 

    यश ने अपने दावे में कहा कि हादसे के समय वह शूफ्लाई नाम से बराड़ा के मेन बाजार में दुकान चलाता था और करीब 60 हजार रुपये मासिक कमाता था। दुर्घटना में उनके दाहिने पैर की टिबिया, पसलियों और पेल्विस में गंभीर फ्रेक्चर हुए तथा उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उनका इलाज एमएमयू अस्पताल मुलाना, जीएमसीएच सेक्टर-32 चंडीगढ़, अल्केमिस्ट अस्पताल पंचकूला और मोंगा अस्पताल अंबाला कैंट में हुआ।

    उसने दावा किया कि इलाज पर करीब 20 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं और भविष्य में भी 10 लाख रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है। उसने यह भी कहा कि हादसे के बाद वह सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे, उनका व्यवसाय बंद हो गया और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित हुआ। इसी आधार पर उन्होंने 80 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी।

    दूसरी ओर चालक और वाहन मालिक ने हादसे से इनकार करते हुए एफआईआर को झूठा बताया, जबकि बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस ने दुर्घटना में वाहन की संलिप्तता, चालक के लाइसेंस और दावे की राशि को चुनौती दी। बीमा कंपनी ने एफआईआर दर्ज होने में 12 दिन की देरी का भी हवाला दिया।

    ट्रिब्यूनल ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर माना कि हादसा प्रतिवादी चालक की लापरवाही से हुआ। हालांकि, यश अपनी दुकान और आय से संबंधित कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सके, इसलिए अधिकरण ने उन्हें अकुशल श्रमिक मानते हुए हरियाणा सरकार की न्यूनतम मजदूरी दर के अनुसार आय का आकलन किया।

    डिसेबिलिटी प्रमाण पत्र के अनुसार यश को 40 प्रतिशत स्थायी शारीरिक विकलांगता पाई गई। इसी आधार पर ट्रिब्यूनल ने युवक को मुआवजा राशि देने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि हादसे के समय चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था और वाहन मालिक संजीव कुमार ही पंजीकृत स्वामी है। चूंकि वाहन बीमित था, इसलिए चालक, मालिक और बीमा कंपनी तीनों संयुक्त रूप से उत्तरदायी हैं, लेकिन बीमा कंपनी को निर्देश दिया गया कि वह पहले चरण में पूरी राशि का भुगतान करे।