Abhay Chautala Interview: जरूरत पड़ने पर INLD लेगी जजपा का सपोर्ट? सवाल पर क्या बोले अभय चौटाला; पढ़ें खास बातचीत
अभय सिंह चौटाला हरियाणा के प्रमुख राजनेता हैं। उन्होंने दादा चौधरी देवीलाल और पिता ओम प्रकाश चौटाला की विरासत को आगे बढ़ाया है। वह इनेलो के प्रमुख महासचिव और विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं। अब वह इनेलो-बसपा गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। दैनिक जागरण ने इनसे आगामी चुनावों को लेकर वार्ता की। पेश हैं साक्षात्कार के कुछ अंश...

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। Abhay Chautala Full Interview: हरियाणा में जब भी पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल की राजनीतिक विरासत की बात आती है तो सबसे पहले इनेलो प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और फिर उनके बेटे अभय सिंह चौटाला का नाम आता है। ताऊ देवीलाल ने जिस तरह अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था, ठीक उसी तरह इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने अभय सिंह चौटाला को राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर रखा है।
इनेलो के दोफाड़ होने के बाद अभय सिंह चौटाला ने इस पार्टी को बिखरने नहीं दिया। तीन कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने का मामला हो या फिर विधानसभा से सड़क तक किसानों, युवाओं और गरीबों के हक की आवाज बुलंद करने का मामला। वह हर मोर्चे पर पूरी मजबूती के साथ खड़े नजर आए।
इनेलो में प्रधान महासचिव का दायित्व संभाल रहे अभय सिंह चौटाला के सामने कई ऐसे मौके आए, जब उनके बड़े भाई अजय सिंह चौटाला की ओर से इनेलो व जजपा के एक होने के प्रस्ताव आए, लेकिन इसके लिए न तो अभय सिंह चौटाला राजी हुए और न ही ओमप्रकाश चौटाला ने कभी अनुमति दी।
चुनावी रण में अब इनेलो और बसपा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इस गठबंधन की ओर से अभय सिंह चौटाला राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा हैं। विधानसभा चुनाव में मुद्दों से लेकर सत्ता तक पहुंचने के प्रयासों पर दैनिक जागरण के राज्य ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके अभय सिंह चौटाला से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश।
1. प्रदेश में पांच बार सत्ता चलाने वाली पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल पिछले 20 साल से सत्ता से दूर है। सत्ता से इतनी लंबी दूरी को कैसे देखते हैं?
मेरी रगों में ताऊ देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला का खून दौड़ रहा है। ताऊ देवीलाल जैसे लोग राजनीति में बहुत कम होते हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री का पद तक ठुकरा दिया था। ताऊ देवीलाल ने जिंदगी भर किसान, मजदूर और कमेरे वर्ग के कल्याण की दिशा में काम किया।
उनके अधूरे कार्यों को ओमप्रकाश चौटाला ने आगे बढ़ाया। अब मैं उन दोनों की राह पर हूं। इसलिए संघर्ष मेरे लिए नई बात नहीं है। मेरे खून की बूंद-बूंद में संघर्ष है। जनता के हितों के आगे हम कुर्सी की परवाह नहीं करते। आपने देखा होगा कि सड़क से लेकर विधानसभा तक मैंने हर वर्ग के लोगों के मुद्दे उठाए। मुझे कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की सरकारों ने दबाने की कोशिश की, लेकिन मैं न तो कभी दबा, न डरा और न कभी झुका।
2. तीन कृषि कानूनों के विरोध में आपने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया। ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। आप फिर जीतकर आ गये तो इस्तीफा देने का फायदा ही क्या हुआ?
मैंने किसी राजनीतिक लाभ के लिए इस्तीफा नहीं दिया था। मैंने वास्तविक रूप से किसानों के हक की लड़ाई लड़ी। किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा ने उपचुनाव में मुझे हराने के लिए हाथ मिला लिये थे। फिर भी वह मुझे चुनाव नहीं हरा सके।
पूरे देश में मैं अकेला ऐसा विधायक था, जिसने इस्तीफा देने की पहल की। यदि कांग्रेस और भाजपा के विधायक किसानों के इतने ही हितैषी थे तो उन्होंने ऐसी पहल क्यों नहीं की। उल्टा, मेरे विरुद्ध हो गये। किसानों की एकजुटता और मेरे इस्तीफा देने का असर यह हुआ कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। यह किसानों की एकजुटता और वोट की ताकत का ही नतीजा है।
3. इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन आज प्रदेश में राजनीतिक रूप से कहीं ठहरता दिखाई नहीं दे रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेता अपनी-अपनी पार्टियों में मुकाबला मान रहे हैं?
यह इन दलों की गलतफहमी है। इनेलो और बसपा का गठबंधन सिर्फ दलों का गठबंधन नहीं है। यह किसान, मजदूर, गरीब और कमेरे वर्ग का गठबंधन है, जो किसी भी सत्ता को बनाने में और किसी भी सत्ता को गिराने में अहम भूमिका निभाता रहा है।
कांग्रेस और भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि इन दलों के नेताओं को अपने दिल्ली दरबार में हाथ जोड़कर मांगने के लिए खड़ा देखा जा सकता है, लेकिन हमें किसी से मांगने की जरूरत नहीं होती। राज्य में इनेलो ने हमेशा गरीब, जरूरतमंद और आम आदमी की सरकार चलाई है। ताऊ देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला ने लोगों की सरकार लोगों के हिसाब से चलाई।
4. पिछले 10 साल के कांग्रेस और 10 साल के भाजपा के राज को आप कैसे देखते हैं? दोनों दलों ने किस तरह का राज चलाया?
हरियाणा कृषि प्रधान राज्य है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने 10 साल के कार्यकाल में जमीनों के सीएलयू (चेंज आफ लैंड यूज) यानी प्रापर्टी डीलिंग की सरकार चलाई। उसी तर्ज पर भाजपा सरकार ने अपने 10 साल के कार्यकाल में किसान, वंचित और गरीब विरोधी फैसले लिये।
अब समय बदलाव का है। लोगों को समझ आ चुका है। राज्य में इनेलो और बसपा गठबंधन ताऊ देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला के साथ बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की नीतियों की सरकार बनाने की दिशा में अग्रसर है।
5. कांग्रेस की वरिष्ठ वंचित वर्ग से नेता कुमारी सैलजा को लेकर पूरे देश में राजनीति हो रही है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी उनके प्रति सहानुभूति जताई है।
कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का इतिहास रहा है कि वे किसी भी वंचित नेता को अपनी पार्टी में उभरने नहीं देते। पहले राहुल गांधी के करीबी अशोक तंवर के साथ मारपीट कर उन्हें कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। अब सोनिया गांधी की करीबी कुमारी सैलजा को पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हुड्डा कांग्रेसी नहीं, बल्कि भाजपा के एजेंट के रूप में राज्य में काम कर रहे हैं। सैलजा के साथ हमारी पूरी सहानुभूति है।
6. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो इनेलो समेत विभिन्न क्षेत्रीय दलों की उपस्थिति स्वीकार करने को तैयार नहीं होते। उनकी नजर में इनेलो, जजपा, हलोपा और हजपा जैसे दल सिर्फ वोटकाटू दलों की भूमिका में होते हैं
यही तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा की गलतफहमी है। हम रीजनल (क्षेत्रीय) पार्टी नहीं, बल्कि ओरिजनल (वास्तविक) पार्टी हैं। नेशनल दलों की सरकारें फैसलें नहीं ले पातीं। वह दिल्ली की राजनीति और दिल्ली की केंद्र सरकार के फैसलों से जुड़ी होती हैं। चाहकर भी प्रदेश का विकास जनता की जरूरत के हिसाब से नहीं कर पाती।
राज्य में जब भी लोकदल की सरकार रही, पूरे प्रदेश में सरकार चलकर लोगों के द्वार तक गई और उनकी समस्याओं का समाधान हुआ। इसलिए किसी भी बड़े दल या नेता को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि क्षेत्रीय पार्टियों का कोई वजूद नहीं होता। विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सरकारें पहले भी थी और अब भी हैं।
7.कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता के रण में इनेलो-बसपा गठबंधन को आप कहां खड़ा पाते हैं
पहले तो मैं आपको बता दूं कि राज्य में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। हरियाणा में हंग असेंबली (त्रिशंकु) विधानसभा बनेगी। इनेलो-बसपा गठबंधन को 20 से 25 सीटों पर जीत मिलने वाली है। तब हम सरकार बनाने के लिए किसी दल के पास नहीं जाएंगे, बल्कि दूसरे दलों को हमारी सरकार में शामिल होने के लिए हमारे पास आना पड़ेगा। राज्य में कई सीट ऐसी हैं, जहां निर्दलीय मुकाबले में हैं।
इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि राज्य में इनेलो-बसपा गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। ताऊ देवीलाल की जयंती पर 25 सितंबर को जींद के उचाना में सम्मान दिवस समारोह है, जिसमें बसपा अध्यक्ष मायावती और इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला आ रहे हैं। इस रैली के बाद गठबंधन राज्य में बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरकर सामने आएगा।
8. कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वह दावा कर रहे हैं कि इनेलो की एक भी सीट राज्य में नहीं आएगी।
आपने ठीक ध्यान दिला दिया। आप सुरजेवाला, जय प्रकाश और भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत विभिन्न कांग्रेस नेताओं की वीडियो उठाकर देखो। यह लोग नौकरियां अभी से बेचने लगे हैं। कोटा सिस्टम पर आधारित सरकार की बात कर रहे हैं। कोई किसान व मजदूर के हित की बात नहीं करता। अपने कार्यक्रमों में इनेलो को गालियां तक दे रहे हैं। अभद्र व अश्लील भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रदेश की जनता इनकी सच्चाई से परदा उठाने के लिए तैयार बैठी है।
9. कांग्रेस और भाजपा से कहीं आगे बढ़कर आपके गठबंधन ने साढ़े सात हजार रुपये मासिक पेंशन देने का वादा किया है। राज्य में 35 लाख लोग पेंशन लेते हैं। इतने बजट का इंतजाम कैसे होगा।
मैंने पहले भी कहा था कि हमें सरकार चलाने के लिए दिल्ली की जरूरत नहीं होती। ताऊ देवीलाल ने सामाजिक कार्यों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए राजनीति से ऊपर उठकर ऐसे फैसले लिए थे, जो आज की जरूरत बन गये हैं। ताऊ ने सौ रुपये पेंशन आरंभ की थी, जो आज के दस हजार रुपये के बराबर है। किसानों का कर्जा माफ किया था। हमारी गठबंधन की सरकार उसी परिपाटी पर ताऊ देवीलाल की नीतियों को आगे बढ़ाने का काम करेगी और धन की कमी इसमें बाधा नहीं आएगी।
10. जननायक जनता पार्टी कभी इनेलो का ही हिस्सा रही है। अगर जरूरत पड़ी तो क्या जजपा का सहयोग लेने से कोई परहेज होगा
हमें जरूरत ही नहीं पड़ेगी। और वैसे भी जजपा की एक भी सीट नहीं आने जा रही है। लोग उनसे जवाब मांगने को तैयार बैठे हैं। जब किसानों के हित की लड़ाई लड़ी जा रही थी, तब जजपा के यह लोग भाजपा की गोद में बैठकर राज का मजा ले रहे थे। इसलिए लोग उनका फील्ड में इंतजार कर रहे हैं। कब वे आएं और कब उनसे जवाब मांगें।
किसानों की एकजुटता और मेरे इस्तीफा देने का असर यह हुआ कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। मैंने वास्तविक रूप से किसानों के हक की लड़ाई लड़ी। पूरे देश में मैं अकेला ऐसा विधायक था, जिसने इस्तीफा देने की पहल की।
हुड्डा भाजपा के एजेंट के रूप में राज्य में काम कर रहे हैं। हुड्डा का इतिहास रहा है कि वे किसी भी दलित नेता को अपनी पार्टी में उभरने नहीं देते। तंवर के साथ मारपीट कर उन्हें कांग्रेस छोड़ने को मजबूर किया। सैलजा के साथ हमारी पूरी सहानुभूति है।
हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा बनेगी। इनेलो-बसपा गठबंधन को 20 से 25 सीटों पर जीत मिलने वाली है। तब दूसरे दलों को हमारे पास आना पड़ेगा।
इंटरव्यू से जुड़ीं खास बातें
- कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने मुझे दबाने की कोशिश की, लेकिन मैं न दबा, न डरा और न झुका
- कांग्रेस और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक बताएं, उन्होंने किसानों के हित में इस्तीफे क्यों नहीं दिए
- भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस में किसी भी दलित नेता को उभरने नहीं देना चाहते
- हुड्डा ने सीएलयू की सरकार चलाई और भाजपा ने उनकी परिपाटी को आगे बढ़ाया
- गठबंधन के वादे पूरा करने में नहीं आने देंगे धन की कमी
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