गोहाना कांड के आरोपी बरी
पंचकूला, जागरण संवाददाता : सोनीपत के गोहाना में 31 अगस्त, 2005 को 50 दलित घरों को आग लगाने के मामले में सभी आरोपी बरी हो गए। सीबीआइ की पंचकूला स्थित अदालत के विशेष न्यायाधीश एएस नारंग ने सोमवार को इस मामले में 11 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले सोनीपत के पूर्व सासद किशन सागवान के बेटे सहित कुल 14 आरोपी थे। मास्टर कर्ण सिंह, महिपाल और खुशी राम की मामले की सुनवाई के दौरान पहले ही मृत्यु हो चुकी है। वे सभी दंगे भड़काने के आरोपी थे।
सितंबर 2005 में यह मामला सीबीआइ को सौंप दिया गया था। एजेंसी ने 9 सितंबर 2005 को मामला पंजीकृत किया था। इस मामले में सभी गवाह अदालत में मुकर गए। अभियोजन पक्ष के गवाह हेड कास्टेबल जगबीर सिंह ने अपने बयान में कहा कि वह थानेदार के सरकारी वाहन की रखवाली कर रहा था। उसने आरोपियों को नहीं देखा। तत्कालीन नायब तहसीलदार बलवान सिंह ने कहा कि वह गोहाना भवन में जाट नेताओं की एक बैठक में हिस्सा लेने जा रहे थे। उन्होंने अदालत में कहा कि वह यह नहीं कह सकते हैं कि आरोपी वहा मौजूद भीड़ का हिस्सा थे। महेंद्र सिंह कुंडू अपने बयान से पहले ही मुकर चुके है। रामफल ने भी अभियोजन पक्ष का इस मामले में समर्थन नहीं किया है। फैसले के अनुसार उप निरीक्षक सतपाल ने केवल प्राथमिकी दर्ज की थी और एजीएल कौल महज जाच अधिकारी थे। उनके पास आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं था। जब घरों में आग लगाई जा रही थी, तो दलित वहा से पहले से ही भाग गए थे। अदालत ने अपने निर्णय में बताया है कि सीबीआइ के पास कोई भी पर्याप्त सबूत अभियुक्तों के खिलाफ नहीं है, जिससे उन्हे दोषी ठहराया जा सके। सभी आरोपियों को आज बरी किया जाता है। आज जिन आरोपियों को बरी किया गया है, उनमें दलबीर सिंह, राजेश कुमार, राधेश्याम, राजेन्द्र सिंह, प्रदीप सागवान, भोला राम, लाहना सिंह, मनोज कुमार, रमेश कंचा, बलबीर सिंह, नफे सिंह शामिल हैं, जबकि मास्टर कर्ण सिंह, महिपाल और खुशी राम की मामले की सुनवाई के दौरान पहले ही मृत्यु हो चुकी है। प्रदीप सागवान ने अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक राजनीति से प्रेरित मामला था, उन्हें फंसाने की कोशिश की गई थी क्योंकि उसके पिता सोनीपत के सासद थे।
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