हरियाणा: रोजगार का लालच देकर 15 साल के बच्चे को दी यातना, मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान; तत्काल कार्रवाई के आदेश
हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने जींद और नूंह में एक नाबालिग को बंधुआ मजदूरी के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। किशनगंज बिहार के 15 वर्षीय बालक को रोजगार का ल ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने जींद और नूंह जिलों से जुड़े एक बेहद संवेदनशील मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रशासन को कड़े निर्देश जारी किए हैं। मामला बिहार के किशनगंज जिले के 15 वर्षीय नाबालिग का है, जिसे झूठे रोजगार का लालच देकर बंधुआ मजदूरी और शोषण की दलदल में धकेल दिया गया।
जानकारी के अनुसार, यह बालक बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन पर अपने साथियों से बिछड़ गया। उसी दौरान एक व्यक्ति उससे मिला जिसने उसे जींद जिले में स्थित एक भैंस डेयरी पर 10 हजार मासिक वेतन का झांसा दिया। रोजगार का सपना लेकर बच्चा उसके साथ चला गया, लेकिन वास्तविकता इसके ठीक उलट थी।
दो महीने तक उसे लगातार जबरन काम कराया गया, शारीरिक यातना दी गई और किसी तरह की मजदूरी नहीं दी गई। हालत तब और खराब हो गई जब चारा काटते समय बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बावजूद नियोक्ता ने उसकी मदद करने के बजाय उसे एक सुनसान जगह पर छोड़ दिया।किसी तरह यह बच्चा घायल अवस्था में नूंह पहुंचा।
वहां एक शिक्षक ने उसकी मदद की, उसे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया और पुलिस को सूचना दी। इस मानवीय पहल ने उसकी जान बचाई और पूरे मामले को उजागर किया।आयोग के अध्यक्ष ललित बत्रा और सदस्यों कुलदीप जैन एवं दीप भाटिया की पीठ ने कहा कि यह घटना न सिर्फ अमानवीय शोषण है बल्कि बाल अधिकारों की रक्षा करने वाली व्यवस्था की विफलता भी है।
आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि आरोप सत्य पाए जाते हैं तो यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (गरिमा के साथ जीवन का अधिकार) और अनुच्छेद 23 (जबरन मजदूरी व मानव तस्करी पर प्रतिबंध) का गंभीर उल्लंघन है। आयोग ने यह भी कहा कि समय रहते इस घटना का पता न लग पाना राज्य के निगरानी तंत्र पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
आयोग ने सरकार को आदेश दिया कि आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए और डेयरी प्रतिष्ठान में बंधुआ मजदूरी की प्रथाओं की विस्तृत जांच हो।घायल बच्चे की संपूर्ण चिकित्सीय जांच रिपोर्ट तैयार की जाए और पुनर्वास योजना बनाई जाए।
श्रम कानूनों के उल्लंघन पर विस्तृत रिपोर्ट आयोग को सौंपी जाए।आयोग ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि पीड़ित को न केवल चिकित्सा सुविधा बल्कि मनोवैज्ञानिक और पुनर्वास सहायता भी तुरंत उपलब्ध कराई जाए। इस मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर 2025 को होगी।
आयोग ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती गई तो व्यक्तिगत स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।