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    Palwal News: थके शरीर, बूढ़ी आंखें और कम सुनाई देने वाले चौकीदारों के हवाले बाजारों की सुरक्षा

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 05:12 PM (IST)

    पलवल में, घने कोहरे और अंधेरी रातों में चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस के पास कोई ठोस योजना नहीं है। बाजारों की सुरक्षा बूढ़े चौकीदारों के भरोसे ...और पढ़ें

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    अशोक कुमार यादव, पलवल। सर्दियों में घना कोहरा और खासतौर पर अंधेरी रातों में चोरी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। पिछले साल लेकिन पुलिस के पास सर्दियों में चोरी की वारदात पर अंकुश लगाने के लिए कोई पुख्ता रणनीति नहीं है। थके शरीर, बूढ़ी आंखें, कानों से कम सुनाई और हांफती जागते रहो की आवाज और कांपते हाथों में एक लाठी लिए बुजुर्ग चौकीदार बाजारों की सुरक्षा में लगे हुए हैं।

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    55 से लेकर 65 साल के ये बुजुर्ग चौकीदार एक या दो सालों से नहीं बल्कि कई वर्षों से बाजारों की सुरक्षा कर रहे हैं। चौकीदार तो रातभर कड़ाके की ठंड में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, लेकिन रात के समय सुरक्षा का दम भरने वाली पुलिस से सोती है। रात को गश्त के नाम पर मात्र बाजार में एक आध चक्कर मारकर खानापूर्ति की जा रही है। चौकीदारों का कहना है कि पुलिस कर्मचारी रात्रि में कभी कभार चक्कर मारकर चले जाते हैं।

    बता दें कि 2018 की दो जनवरी को एक साइको किलर ने नरेश द्वारा छह लोगों को लोहे की रॉड से पीट-पीटकर मार डाला था। मरने वालों में एक महिला और तीन चौकीदार शामिल थे। सभी हत्याएं बीती रात 2 बजे से 4 बजे के बीच हुई थीं। घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई थी। किलर ने ये छह हत्याएं अलग-अलग जगहों पर एक ही तरीके से की थी। सभी हत्याएं शहर के सिटी थाना एरिया के 100 मीटर के दायरे में हुई थी।

    दैनिक जागरण की टीम द्वारा यह जांचने के लिए बुधवार की देर रात्रि दौरा किया कि जिला प्रशासन द्वारा इन चौकीदारों की सुरक्षा के लिए क्यों इंतजाम किए हैं। रात 11 बजे से लेकर एक बजे तक शहर का दौरा किया बुजुर्ग चौकीदार शहर के बाजार की सुरक्षा में लगे दिखाई दिए। किसी भी चौक-चौराहे पर पुलिस कर्मचारी दिखाई नहीं दिए। यहां तक कि बस अड्डा परिसर में भी चौकीदार मौजूद नहीं था। रेलवे स्टेशन व सिविल अस्पताल में पुलिस पोस्ट की लाइट बंद मिली। ऐसे में शहरवासी कितने सुरक्षित है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

    रात के समय पूरे पलवल शहर की सुरक्षा राम-भरोसे हैं। शहर की सुरक्षा में खाकी नहीं बल्कि बुजुर्ग चौकीदारों करने में लगे हुए हैं। ये चौकीदार एक लाठी के सहारे सुरक्षा कर रहे हैं। चौकीदारों के पास बैटरी, लाठी सहित ठंड से बचने के लिए गर्म कंबल सहित अन्य जो सुविधाएं दुकानदारों को दी जानी होती है। उसकी भी कोई सुविधा इन चौकीदारों को नहीं दी गई है। चौकीदार अपने खर्च पर ही बैटरी व लाठी खरीदने पर मजबूर हैं। अब कोहरे का मौसम भी शुरू होना वाला है।

    वहीं, रात के समय अंधेरे व कोहरे का फायदा उठाते हुए चोर वारदातों को अंजाम देने की जुगाड़ में लगे हुए हैं। ऐसे में शहर में कोई बड़ी आपराधिक वारदात की घटना होती है तो ये बुजुर्ग चौकीदार कैसे इस पर काबू पाएंगे इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ज्यादातर बुजुर्ग चौकीदारों केवल सड़क पर लाठी पटक-पटककर अलर्ट करते नजर आते हैं।

    रात के 11 बजे बजे थे, जागरण टीम बस अड्डा परिसर में पहुंची। जहां कोई चौकीदार मौजूद नहीं था। जबकि बस अड्डा परिसर में कई एलइडी लगी हुई हैं। परिसर में यात्री कतार में सो रहे थे। इसके बाद बस अड्डा मार्केट में जहां एक बुजुर्ग चौकीदार अलाव सेक रहा था। बुजुर्ग चौकीदार से हाल-चाल पूछा तो उसने कहा मैं कई वर्षों से यहां चौकीदारी कर रहा हूं।

    वहीं प्रशासन की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिल रही है। इसी रोड पर एक ज्वेलर्स के शोरूम के बाहर दो कुर्सी लगाकर एक गार्ड सोता मिला।

    इसके बाद सीधे आगरा चौक से होते हुए जवाहर नगर कैंप मार्केट पहुंचे तो एक चौकीदार मेन रोड पर एक दुकान के बाहर मुंह ढककर सोने की कोशिश कर रहा था। इसके बाद में गोल चक्कर पहुंचे, वहां मौके पर कोई चौकीदार नहीं मिला। एक दुकान के बाहर एक आदमी सोने के लिए बिस्तर लगा रहा था। उससे संवाददाता ने पूछा कि आप चौकीदार हो, उसने मना करते हुए बताया कि वह सामने सूप की रेहड़ी लगाता है और रात में ही यहीं सोता हूं।

    चौकीदार के बारे में पूछने पर उसने बताया कि अभी साढ़े 11 बजे हैं। थोड़ी देर में आते ही होंगे। उक्त व्यक्ति ने बताया कि चौकीदारों को सुरक्षा के नाम मात्र लाठी और सीटी मिली हुई है। पूरे बाजार में करीब चार सौ दुकानें हैं। इन सभी दुकानाें की जिम्मेदारी मात्र तीन चौकीदारों पर है। करीब 12 बजे तक संवाददाता ने चौकीदारों के आने का इंतजार किया, मगर वे नहीं पहुंचे।

    इसके बाद 12 बजे बजे आगरा चौक से होते हुए न्यू सोहना रोड पर स्थित पलवल अस्पताल पहुंचे। जहां साइको किलर ने सबसे पहले महिला को अपना शिकार बनाया था। इस चौक पर गुरूग्राम जाने के लिए वाहन आ-जा रहे थे । मगर चौक पर कोई भी चौकीदार नजर नहीं आया। हां, वहां कूड़ा बीने वाली कुछ महिलाएं खड़ी होकर बातें कर रही थीं।

    इसके बाद 12.15 पर मीनार गेट बाजार पहुंचे। बुजुर्ग चौकीदार हाथ में लाठी लिए बैठा हुआ था।इसके बाद थाेड़ा आगे जाने पर प्रताप परचून की दुकान पर एक चौकीदार मिला। उस चौकीदार ने बताया कि इस बाजार में सात चौकीदार तैनात हैं। ज्यादातर चौकीदार बुजुर्ग हैं। चौकीदार का कहना था कि उन्हें हर दुकान से पैसा उगाना पड़ता है। कोई देता है और कोई नहीं देता। मजबूरी में चौकीदार करनी पड़ रही है।

    करीब एक बजे अलावलपुर चौक स्थित धर्मकांटा के सामने एक बुजुर्ग कुर्सी पर बैठकर अलाव जलाकर बैठा हुआ था। उसके पास जाकर संवाददाता ने बात करनी चाही। बातचीत में पता चला कि उसे कम सुनाई देता है। ऊंचा बोलने पर उस चौकीदार ने अपना नाम योगेश उम्र 60 वर्ष बताई। उसे आंखों से भी कम दिखाई दे रहा था। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है वह बाजार की सुरक्षा कैसे कर सकता है।

    कहां गश्त कर रही पीसीआर

    कहने को पुलिस द्वारा शहर में नियमित रूप से गश्त का दावा किया जा रहा है। जब पुलिस विभाग पीसीआर की गश्त की बात कह रहा था तो पुलिस की गाड़ियां किस क्षेत्र में गश्त कर रही है। जागरण टीम द्वारा 11 बजे से लेकर एक बजे बजे तक शहर की सुरक्षा को जांचा गया तो कहीं भी पुलिस गश्त करते हुए नजर नहीं आई।