पलवल में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनदेखी, नाक के नीचे डंप हो रहा बायोमेडिकल कचरा; कबाड़ में बिक रही सिरिंज-निडिल
पलवल में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही के कारण बायोमेडिकल कचरा खुले में फेंका जा रहा है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। अस्पतालों से निकलने वाले सिरिंज और निडिल जैसे कचरे को कबाड़ में बेचा जा रहा है। स्थानीय लोगों की शिकायत के बावजूद प्रदूषण बोर्ड कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

एक निजी अस्पताल के बाहर से बायोमेडिकल वेस्ट रिक्शा में लोड करता कबाड़ी। जागरण आर्काइव
अशोक कुमार यादव, पलवल। शायद मेडिकल बायो वेस्ट खुले में फेंकना क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नजर में कोई अपराध न हो। इसलिए बोर्ड का ध्यान इस ओर नहीं है। बायो वेस्ट फेंकने वालों हौंसले इतने बुलंद है कि वो वेस्ट को विभाग के कार्यालय के मात्र सौ मीटर की दूरी पर डंप कर रहे हैं।
बोर्ड की अनदेखी का फायदा उठाकर निजी अस्पतालों और क्लीनिक से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को विभिन्न जगहों पर खुले में फेंका जा रहा है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इसमें इस्तेमाल की गए बैग्स, ग्लब्ज, खून चढ़ाने में इस्तेमाल होनी वाली नली जैसी सामग्री शामिल है। इस तरह की सामग्री का खुले में निपटान न केवल घोर लापरवाही है, बल्कि बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स का उल्लंघन है।
बता दें कि दैनिक जागरण मेडिकल बायो वेस्ट को लेकर बार-बार अभियान चलाता है। समाचार प्रकाशित होने के बाद कुछ दिन तक इस रोक लगती है। मगर यह खेल फिर से शुरू कर दिया जाता है। इसकी वजह है कि प्रदूषण कंट्रोल विभाग इन निजी अस्पतालों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।
यही कारण है कि पूरे शहर में निजी अस्पतालाें, क्लीनिकों व मेडिकल लैब के आसपास बायो मेडिकल वेस्ट इसमें पट्टियां, सीरिंज, खाली बोतल, टिश्यू, खाली इंजेक्शन कांच की शिशियां आदि मेडिकल कचरे का ढेर खाली पड़ी जमीन पर फेंक दिया जाता है।
मानसून के दौरान जिला प्रशासन की ओर से न्यू सोहना रोड पर बने उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के नाले की सफाई कराई थी, उस दौरान नाले की सफाई में काफी मात्रा में बायो वेस्ट निकला था। उस दौरान जिला प्रशासन की ओर से इन अस्पताल को वेस्ट न फेंकने के बारे में जागरूक किया था।
इसके बाद अस्पताल संचालकों ने अपना कूड़ा नाले में फेंक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टर-12 में खाली पड़ी जगहों पर फेंकना शुरू कर दिया है। स्थानीय लोगों हरपाल सिंह ठाकुर, जगदीप ठाकुर, मनदीप, हरिंद्र कुमार ने बताया कि पिछले तीन चार महीने से सप्ताह में दो तीन बाद एक व्यक्ति बायो वेस्ट को रेहड़ी में डालकर लाता है।
रात के अंधेरे में उस बायो वेस्ट में आग लगाकर चला जाता है। या बायो वेस्ट दिन भर पड़ा रहता है। इस बायो वेस्ट में गोवंशी, आवारा कुत्ते व अन्य पशु पक्षी इसमें मुंह मारते रहते हैं।
पशु-पक्षियों के लिए भी खतरनाक
डाक्टरों का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट इंसानों के साथ पशु-पक्षियों के लिए भी खतरनाक है। खुले में फेंका जाने वाले बायो मेडिकल वेस्ट में लावारिस घूमने वाले पशु मुंह मारते रहते हैं, जिससे उनमें संक्रमण का खतरा उत्पन्न होता है। इसी प्रकार पक्षियों को भी इस वेस्ट से अपने घोंसले के लिए इस्तेमाल करे हुए देखा गया है। यह कचरा हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक है।
50 प्रतिशत भी नहीं आ रहा बायो मेडिकल वेस्ट
पलवल में बायो वेस्ट को कलेक्ट करने वाली एजेंसी गोल्डन ईगल के मैनेजर रमन कुमार ने बताया कि फरीदाबाद के जसाना गांव में प्रतिदिन पांच टन वेस्टेज को ट्रीट करने वाली क्षमता के इंसीनरेटर प्लांट लगाया हुआ है। पलवल व फरीदाबाद के अस्पतालों से रोज दस टन से अधिक वेस्टेज निकलता है, लेकिन रोज ढाई टन वेस्टेज ही कलेक्ट हो पाता है।
बाकी वेस्टेज की चोरी हो जाती है। हमारे पास यलो, ब्लू और व्हाइट कैटेगरी के वेस्टेज तो आ रहे है, लेकिन रेड कैटेगरी के वेस्टेज काफी कम आ रहे हैं। मैनेजर रमन कुमार ने बताया कि हम किसी नर्सिंग होम मालिकों पर दबाव नहीं बना सकते कि वो हमारी कंपनी को मेडिकल वेस्ट दें।
कंपनी छह से दस बेड के अस्पताल से प्रतिमाह 1850 रुपये, दस से बीस बेड के अस्पताल से प्रतिमाह 2475 तथा 50 से अधिक बेड वाले अस्पताल से 8.80 रुपये प्रति बेड प्रतिदिन के हिसाब से बायो मेडिकल वेस्ट उठाने के लिए शुल्क लिया जाता है।
कबाड़ में बिकता है बायो वेस्ट
निजी अस्पतालों का संक्रमण शहर के कबाड़ में बिक रहा है। बड़े अस्पताल से लेकर झोलाछाप क्लीनिकों के बायो वेस्ट कबाड़ की दुकानों में किलो के भाव तराजू पर चढ़ते हैं। बायो वेस्ट का कबाड़ में बिकना कई बीमारियों को फैलाने का खतरा पैदा कर रहा है।
शहर में ऐसे दर्जनों कबाड़ वाले हैं, जो अवैध रूप से बायो मेडिकल वेस्ट को खरीद और बेच रहे हैं। बड़े स्तर पर मेडिकल वेस्टेज से प्लास्टिक के सिरिंज, स्लाइन सेट, मेटेलिक निडिल, सर्जरी ब्लेड को अलग कर पलवल से बाहर भेजा जाता है। इस काम को रोहिंग्या या फिर बांग्लादेशी हैं, जो अपनी पहचान छिपाकर पलवल में रह रहे हैं।
बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर निजी अस्पताल संचालक गंभीर नहीं है। मेडिकल बायो वेस्ट को खुले में फेंकना और कबाड़ में बेचना नियमों के खिलाफ है। इन सभी की जांच कर नियमों की अवहेलना करने वाले अस्पताल संचालकों को नोटिस जारी कर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। वैसे सभी को निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी मेडिकल वेस्ट उसे इकट्ठा करने के लिए रखी तीन तरह की पालीथीन में ही डालें। इससे मेडिकल बेस्ट उठाने वाली फर्म उसे ले जाकर नियमानुसार निस्तारण करेगी।
सिद्धार्थ भार्गव, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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