पलवल में पराली जलाने पर कृषि विभाग की सख्ती, किसानों पर मुकदमा दर्ज कर 10 हजार का जुर्माना लगाया
पलवल में कृषि विभाग ने पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती दिखाई है। विभाग ने किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कृषि विभाग ने पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया और किसानों को चेतावनी दी है।
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पराली जलाने पर कृषि विभाग सख्त। जागरण
जागरण संवाददाता, पलवल। कृषि विभाग ने पराली जलाने पर जनौली और किठवाड़ी गांव में किसानों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज किए है। बता दें कि जिला प्रशासन ने फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए पराली प्रबंधन के लिए लगाई गई टीमों की ओर से किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है, इसके बावजूद 19 तथा 20 अक्टूबर को जनौली तथा किठवाड़ी में हरसैक द्वारा आगजनी की घटनाएं प्राप्त हुई।
इन आगजनी की घटनाओं पर जिला प्रशासन द्वारा जनौली के जीतराम पर मुकदमा दर्ज कराया गया और 10 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया। इसी तरह किठवाड़ी गांव में पराली जलाने पर रोनीजा के किसान हरवीर के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया।
कृषि उप निदेशक डा. बाबूलाल ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल की टीमों द्वारा जिले में लगातार किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ-साथ टीम किसानों को पर्यावरण संरक्षण में अतुलनीय योगदान देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसान पराली का प्रबंधन करके अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं।
विभाग ने किया प्रेरित
सरकार की ओर से पराली प्रबंधन पर 1200 रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इससे अतिरिक्त आमदनी के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी सहयोग मिलेगा। मंगलवार को विभाग की विभिन्न टीमों ने जिला के गांवों में जाकर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन में योगदान के लिए प्रेरित किया।
सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए 1200 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। बहुत से जागरूक किसानों द्वारा पराली प्रबंधन का कार्य किया जा रहा है। इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा भी किसानों की पूरी सहायता की जा रही है।
किसानों को किया जा रहा जागरूक
सहायक तकनीकी प्रबंधक पलवल अतुल शर्मा ने बताया कि कृषि विभाग की टीमों द्वारा फील्ड में जाकर किसानों को निरंतर जागरूक किया जा रहा है कि फसल अवशेष जलाने से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है और भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है।
इसके अलावा इसका धुआं स्वास्थ्य के लिए भी अधिक नुकसानदायक है। एक ओर जहां पराली को जलाने से भूमि में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया व कीट नष्ट हो जाते हैं, वहीं दूसरी ओर मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
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