Palwal News: करोड़ों का जीएसटी देने वाले औद्योगिक क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम नहीं, फैक्ट्रियों में भरा बरसाती पानी
पलवल के पृथला औद्योगिक क्षेत्र में जलभराव से उद्यमी परेशान हैं क्योंकि यहाँ उचित ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। बारिश का पानी फैक्ट्रियों में भर जाता है जिससे उत्पादन में बाधा आती है। उद्यमी जेट पंप से पानी निकालने को मजबूर हैं। कर्मचारियों को भी काम करने में दिक्कतें आ रही हैं। उद्यमियों ने उपायुक्त से ड्रेनेज सिस्टम की गुहार लगाई है।
अंकुर अग्निहोत्री, पलवल। जिला मुख्यालय से करीब नौ किलोमीटर दूर फरीदाबाद जिले की सीमा से सटा पृथला औद्योगिक क्षेत्र स्थापित है। गांव बधौला, पृथला, ततारपुर, दूधौला, जटौला, घतीर, छपरौला, सिकंदरपुर, नंगला भीकू, देवली यह सभी पृथला औद्योगिक क्षेत्र के हिस्सा हैं।
यहां छोटी बड़ी दो सौ से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। जहां करीब 20 हजार लोग काम करते हैं। क्षेत्र के उद्योग हर साल सरकार को करोड़ों का जीएसटी देते हैं। बावजूद वहां मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं। क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के चलते फैक्ट्रियों में बरसाती पानी भरा हुआ है।
उद्यमी जेट पंप का जरिये पानी निकाल रहे हैं। फैक्ट्रियों में पानी भरा होने से उद्यमियों को नुकसान हो रहा है। फैक्ट्रियों में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम तो है पर वो अपर्याप्त है क्योंकि इस समय क्षेत्र में वाटर लेवल काफी ऊंचा है।
फैक्ट्रियों में पानी भरने और उसकी निकासी की उचित व्यवस्था न होने से कर्मचारी परेशान हैं। इससे कर्मचारियों को काम करने में दिक्कतें आ रही हैं। ड्रेनेज सिस्टम के लिए उद्यमी उपायुक्त से गुहार लगा चुके हैं। उपायुक्त से आश्वासन भी मिला, लेकिन अबतक कोई समाधान नहीं हुआ है। उद्यमियों का कहना है कि इस समय एक समुचित ड्रेनेज सिस्टम की बहुत जरूरत है।
बता दें पृथला औद्योगिक क्षेत्र विकास और असीम संभावनाओं के लिए पलवल जिले का ग्रोथ इंजन कहा जाता है। तीन दशक पहले पृथला व आस-पास के गांव में कुछ उद्योगों के आने से इसकी शुरुआत हुई थी। देखते ही देखते यह औद्योगिक क्षेत्र में तब्दील हो गया।
सरकार की नजर में आने के बाद 2010-11 में इस औद्योगिक क्षेत्र बना दिया गया। वर्तमान में यहां छोटी-बड़ी दो से अधिक इकाइयां हैं। यहां ज्यादातर आटो कंपोनेंट के उद्योग हैं। 16 बड़े उद्योग हैं, जिनका सालाना ढाई सौ करोड़ से अधिक का टर्न ओवर है। मगर क्षेत्र में पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने से उद्यमी परेशान हैं।
आम दिनों में भी पूरा क्षेत्र जलभराव की समस्या से जूझता रहता है। यहां जल निकासी की व्यवस्था होना बेहद जरूरी है। खाली पड़े प्लाटों में औद्योगिक इकाइयों निकला केमिकल युक्त पानी भरा रहता है। खाली प्लाटों में केमिकल का पानी भरा होने से वातारण भी प्रदूषित हो रहा है।
पृथला औद्योगिक क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम पर हम काम कर रहे हैं। औद्योगिक इकाइयों से मेरी अपील है कि सभी अपने यहां रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था करें। फैक्ट्रियों का पानी सड़क पर न बहाएं। उद्यमी जिले व औद्योगिक क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए सीएसआर फंड से सहयोग करें।
डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ, उपायुक्त
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